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Jamia Student Protest: जामिया में छात्रों के प्रदर्शन पर FIR दर्ज, पुलिस बोली- हमने नहीं की मारपीट

पुलिस पर छात्रों ने यह भी आरोप लगाया है कि उन पर लाठीचार्ज किया गया है. लेकिन पुलिस ने इसका खंडन किया है. पुलिस ने कहा कि जामिया प्रदर्शन को लेकर आईपीसी की धारा 186 और 353 के तहत एक एफआईआर दर्ज कर ली गई है.

धक्का-मुक्की में कुछ छात्र घायल हुए हैं (फोटो-रॉयटर्स) धक्का-मुक्की में कुछ छात्र घायल हुए हैं (फोटो-रॉयटर्स)
तनुश्री पांडे
  • नई दिल्ली,
  • 10 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 11:42 AM IST

  • छात्रों का आरोप, पुलिस ने किया हमला
  • पुलिस पर पानी के पाउच फेंके गए

जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों ने सोमवार को नागरिकता कानून के खिलाफ मार्च निकाला, जिसमें  उनकी पुलिस के साथ धक्का-मुक्की हुई. इसमें कुछ छात्र घायल बताए जा रहे हैं. दिल्ली पुलिस छात्रों के मार्च को संसद की ओर जाने से रोक रही थी. कुछ छात्रों का आरोप है कि उन पर पुलिस ने हमला किया.

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पुलिस पर छात्रों ने यह भी आरोप लगाया है कि उन पर लाठीचार्ज किया गया है. लेकिन पुलिस ने इसका खंडन किया है. हालांकि, पुलिस ने माना कि पहली लाइन में प्रदर्शन कर रहे कुछ प्रदर्शनकारियों पर लाठी भांजा गया था. पुलिस ने कहा कि जामिया प्रदर्शन को लेकर आईपीसी की धारा 186 और 353 के तहत एक एफआईआर दर्ज कर ली गई है.

साउथ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी आरपी मीणा ने कहा, पुलिस की तरफ से कोई मारपीट नहीं की गई है. हमने बकायदा वीडियोग्राफी कराई है. छात्रों का विरोध-प्रदर्शन 12 बजे के आसपास शुरू हुआ और यह करीब 8 घंटे बाद खत्म हुआ. पुलिसकर्मियों को भी गुम चोट आई हैं. बताया जा रहा है कि जो छात्र मार्च में आगे खड़े थे वे पुलिस के हटाने पर भी नहीं रुक रहे थे, केवल उन्हीं छात्रों को पुलिस ने हटाने की कोशिश की.

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जामिया प्रोटेस्ट पर पुलिस ने कहा कि साउथ-ईस्ट जिला पुलिस ने जामिया छात्रों के उग्र प्रदर्शन को होली फैमिली अस्पताल के पास बेहद शांतिपूर्ण तरीके से हैंडल किया है. छात्र पुलिस बैरिकेड को तोड़ रहे थे और आदेश न होने के बाद भी संसद की ओर मार्च कर रहे थे.

जामिया की एक छात्रा का इस मामले पर कहना है कि उस पर महिला पुलिसकर्मी ने हमला किया और बुर्का उतार फेंका. वहीं समाजवादी पार्टी के आधिकारिक टि्वटर हैंडल से ट्वीट किया गया है कि दिल्ली में सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण मार्च पर निकले छात्रों पर लाठीचार्ज अत्यंत दुखद है. संविधान विरोधी कानून से मिले विरोध के मौलिक अधिकार को भी सत्ता तले कुचला जा रहा है. घायल छात्रों के प्रति संवेदना है. हम इस कायरता की भर्त्सना करते हैं.

पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प (रॉयटर्स फोटो)

सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी (जेसीसी) ने इस मार्च का आयोजन किया था. संसद कूच करते वक्त प्रदर्शनकारियों को ओखला के होली फैमिली अस्पताल के सामने पुलिस ने रोकने की कोशिश की, इस दौरान दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए.

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सुरक्षा बलों और छात्रों के बीच धक्का-मुक्की उस वक्त शुरू हुई, जब प्रदर्शनकारियों ने उनपर पानी के पाउच फेंके और गालियां दीं. सीएए विरोधी मार्च सोमवार को निर्धारित समय से काफी देर से जामिया मिलिया इस्लामिया से भारी सुरक्षा के बीच शुरू हुआ. पुलिस ने शुरुआत में प्रदर्शनकारियों को मार्च की अनुमति नहीं दी थी.

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संसद मार्च का आह्वान नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के खिलाफ जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी ने किया था. इसी तरह का एक मार्च महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर 30 जनवरी को बापू की समाधि राजघाट तक निकाला जा रहा था, जिस दौरान खुद को रामभक्त बताते वाले एक युवक ने सीएए के समर्थन नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारियों पर गोली दाग दी थी, जिसमें एक छात्र घायल हो गया था.

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