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J-K: गिलानी के पोते को 12 लाख की सरकारी जॉब, ताक पर रखे नियम

'टाइम्स ऑफ इंडिया' के मुताबिक पीडीपी-बीजेपी गठबंधन ने अनीस उल इस्लाम को श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कांफ्रेंस सेंटर (एसकेआईसीसी) में बतौर रिसर्च ऑफिसर नियुक्त किया. एसकेआईसीसी जम्मू-कश्मीर पर्यटन विभाग का हिस्सा है. इस नौकरी में अनीस हर महीने करीब 1 लाख रुपये तनख्वाह और पेंशन जैसी सुविधाओं के हकदार हैं.

हुर्रियत नेता सैय्यद अली शाह गिलानी हुर्रियत नेता सैय्यद अली शाह गिलानी
लव रघुवंशी
  • श्रीनगर,
  • 04 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 10:37 AM IST

पिछले साल जब कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन के दौरान रोज नौजवानों की लाशें उठ रही थीं, वहीं दूसरी तरफ हुर्रियत कांफ्रेंस के पाकिस्तान परस्त नेता सैय्यद अली शाह गिलानी के पोते को सूबे की सरकार नौकरी का तोहफा दे रही थी. वो भी कायदों को ताक पर रखकर.

मोटी तनख्वाह पर मिली नौकरी
अंग्रेजी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' के मुताबिक पीडीपी-बीजेपी गठबंधन ने अनीस उल इस्लाम को श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कांफ्रेंस सेंटर (एसकेआईसीसी) में बतौर रिसर्च ऑफिसर नियुक्त किया. एसकेआईसीसी जम्मू-कश्मीर पर्यटन विभाग का हिस्सा है. इस नौकरी में अनीस हर महीने करीब 1 लाख रुपये तनख्वाह और पेंशन जैसी सुविधाओं के हकदार हैं.

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ताक पर रखे नियम
अखबार के सूत्रों का दावा है कि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस वेकेंसी की जानकारी सरकार की भर्ती एजेंसियों को नहीं दी. नियमों के मुताबिक सरकारें ऐसी नियुक्तियां पब्लिक सर्विस कमीशन और राज्य अधीनस्थ चयन बोर्ड के जरिये करती हैं. एसकेआईसीसी के एक अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि पर्यटन सचिव फारुक शाह ने गिलानी के पोते को पहले ही चुन लिया था. वो नियुक्ति के लिए बनी सीनियर सेलेक्शन कमेटी के चेयरमैन थे. विभाग ने ऐसे वक्त गिलानी को नौकरी देने का फैसला किया जब वादी में हिंसक प्रदर्शन पूरे जोरों पर चल रहे थे.

प्रशासन की सफाई
हालांकि फारुक शाह का दावा है कि अनीस को नियमों के तहत ही नौकरी पर रखा गया है. उनकी मानें तो अनीस को उनकी योग्यता के आधार पर चुना गया और करीब 140 उम्मीदवारों ने आवेदन जमा किये थे. लेकिन नौकरी के लिए अर्जी देने वाले कई लोगों का कहना है कि उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया ही नहीं गया था.

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पोते का रिकॉर्ड नहीं पाक
अनीस उल इस्लाम ने जालंधर से एमबीए की डिग्री हासिल की थी. साल 2009 में उन्हें पासपोर्ट नहीं मिल पाया था क्योंकि सीआईडी ने उनके खिलाफ रिपोर्ट दी थी. हालांकि बाद में हाईकोर्ट के आदेश के बाद अनीस को पासपोर्ट मिला और गिलानी ने उन्हें पढ़ाई के लिए ब्रिटेन भेजा. सीआईडी की हरी झंडी ना मिलने के चलते अनीस अब तक वेतन नहीं ले पाये हैं.

अपने बच्चों के लिए नहीं उपदेश..
गिलानी की एक पोती एयरलाइंस में बतौर केबिन क्रू काम करती है. उनका एक बेटा नईम डॉक्टर है. वो भी पहले सरकारी मुलाजिम था. नईम की बड़ी बेटी पिछले साल अक्टूबर में स्कूल की परीक्षा दे चुकी है. हालांकि गिलानी ने युवाओं से परीक्षा का बायकॉट करने की अपील की थी.

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