
जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेता और आतंकवादी फारुख अहमद दार उर्फ बिट्टा कराटे ने कैमरे पर कबूल किया है कि 80 के दशक में जब जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद की शुरुआत हुई थी और कश्मीरी पंडित राज्य छोड़कर भाग रहे थे उस वक्त उसने 20 कश्मीरी पंडितों की निर्मम हत्या की थी. 1990 में गिरफ्तार होने के बाद बिट्टा कराटे को जेल भेजा गया था जिसके बाद 2006 में उसको जमानत मिल गई और वह जेल से बाहर आ गया.
'आजतक' पर बिट्टा कराटे के कबूलनामे को दिखलाने के बाद के इस मामले पर 'आजतक' से खास बातचीत करते हुए पूर्व केंद्रीय गृह सचिव आर के सिंह ने कहा है कि बिट्टा कराटे के खिलाफ सभी मामलों की NIA से करानी चाहिए और उसके खिलाफ नए सिरे से चार्जशीट दाखिल की जानी चाहिए.
आर के सिंह ने आगे बताया कि जब वह केंद्रीय गृह सचिव थे तो उनके कार्यकाल के दौरान ऐसे कई मामले उनकी नजर में आए जब कुख्यात आतंकवादियों के पास एके-47 और ग्रेनेड बरामद हुआ लेकिन उसके बावजूद श्रीनगर कोर्ट से इन्हें उम्र कैद नहीं बल्कि सिर्फ 7 से 10 साल की सजा सुनाई गई. साथ ही यह सजा पूरी होने के बाद वह वापस पाकिस्तान चले गए.
पूर्व गृह सचिव और बीजेपी सांसद आर के सिंह ने खुलासा किया कि आतंकवादियों को कम सजा मिलने के पीछे कई बार श्रीनगर का अभियोजन पक्ष था जिसके तार जिहादियों और अलगाववादियों से जुड़े होते हैं. इसी वजह से आर के सिंह ने मांग की है कि आतंकवादियों से जुड़े किसी भी मामले की सुनवाई श्रीनगर के कोर्ट में ना होकर जम्मू के कोर्ट में कराई जाए. सिंह ने कहा कि अक्सर श्रीनगर कोर्ट में बार काउंसिल के वकीलों के तार जिहादियों और अलगाववादियों से जुड़े होते हैं. सिंह ने यह भी मांग उठाई कि उच्चतम न्यायालय को श्रीनगर कोर्ट के सभी मामलों की समीक्षा करनी चाहिए जहां पर आतंकवादियों को गंभीर आतंकी अपराध के बावजूद कम सजा सुनाई गई हो.