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भारत के मस्तक पर न्यू कश्मीर की दस्तक, देश को मिले 2 नए केंद्र शासित प्रदेश

जम्मू-कश्मीर में लागू रहा संविधान का अस्थायी प्रावधान अनुच्छेद 370 आज से इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है, अब इसका जिक्र संवैधानिक बहस, राजनीतिक रैलियों और बौद्धिक बहस तक सीमित रह गया है.

श्रीनगर की मशहूर डल झील (फोटो-रॉयटर्स) श्रीनगर की मशहूर डल झील (फोटो-रॉयटर्स)
पन्ना लाल
  • नई दिल्ली/श्रीनगर ,
  • 31 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 10:32 AM IST

  • भारत के नक्शे पर दो नये केंद्र शासित प्रदेशों का उदय
  • अनुच्छेद 370 सदा के लिए इतिहास बना
  • नहीं होगा जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा और संविधान
पांच अगस्त को देश की नरेंद्र मोदी सरकार ने जो ऐतिहासिक फैसला लिया था, वो आज (31 अक्टूबर) से लागू हो गया है. देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के मौके पर आज से दो नए केंद्र शासित प्रदेश वजूद में आ गए हैं. ये प्रदेश हैं जम्मू-कश्मीर और लद्दाख. इसी के साथ ही आज से भारत का मस्तक कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर में न्यू कश्मीर ने दस्तक दे दी है. संविधान का अस्थायी प्रावधान अनुच्छेद 370 आज से इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है, अब इसका जिक्र संवैधानिक बहस, राजनीतिक रैलियों और बौद्धिक बहस तक सीमित रह गया है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून को 9 अक्टूबर को मंजूरी दे दी थी. गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा था कि ‘जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019  द्वारा प्रदत्त शक्तियों के अनुरूप, केंद्र सरकार ने इसके लिए 31 अक्टूबर, 2019 की तारीख निर्धारित की है,  इस कानून के अनुसार जम्मू कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश में पुडुचेरी की तरह विधानसभा होगी और लद्दाख, चंडीगढ़ की तरह विधायिका के बिना केन्द्र शासित प्रदेश होगा, यानी कि यहां पर विधानसभा नहीं होगी.

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इन दोनों केन्द्र शासित प्रदेशों में कानून एवं व्यवस्था का जिम्मा केन्द्र के पास होगा, यानी यहां की पुलिस गृह मंत्रालय के अधीन होगी. केन्द्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल होगा और इसकी विधानसभा की अधिकतम सीमा 107 होगी जिसे डिलिमिटेशन के बाद 114 तक बढ़ाया जा सकेगा.

अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी

31 अक्टूबर 2019 से जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी हो गया है. यह प्रावधान जम्मू-कश्मीर को अपना कानून बनाने की अनुमित देता था, इसके तहत सुरक्षा और विदेश मामलों और संचार को छोड़कर राज्य प्रशासन के सारे फैसले जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को खुद करने का अधिकार था, लेकिन अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी होने के साथ ही जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म हो गया है, साथ ही इस राज्य के विशेष अधिकार भी खत्म हो गए हैं.

अनुच्छेद 35-A खत्म

अनुच्छेद 370 खत्म होते ही 35-A का भी वजूद खुद ब खुद खत्म हो गया है.  35-A अनुच्छेद-370 का ही एक हिस्सा था. ये प्रावधान जम्मू-कश्मीर राज्य विधानसभा को 'स्थायी निवासी' परिभाषित करने और उन नागरिकों को विशेषाधिकार प्रदान करने का अधिकार देता था. इस प्रावधान को भारतीय संविधान में जम्मू-कश्मीर सरकार की सहमति से तत्कालीन राष्ट्रपति के आदेश पर जोड़ा गया. राष्ट्रपति ने 14 मई 1954 को इस आदेश को जारी किया था. इस प्रावधान के खत्म होते ही जम्मू-कश्मीर के अलावा दूसरे राज्यों के नागरिक भी नियमों का पालन करते हुए वहां पर जमीन-मकान खरीद सकेंगे. इसके अलावा दूसरे राज्यों के लोग यहां पर नौकरियां और बिजनेस कर पाएंगे.

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विधानसभा का कार्यकाल, नहीं होगा 6 साल  

पहले जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का होता था, लेकिन अब जब भी जम्मू-कश्मीर में नई विधानसभा गठित होगी, इस विधानसभा का कार्यकाल 5 साल होगा.

दोहरी नागरिकता का खात्मा

31 अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर के लोगों की दोहरी नागरिकता खत्म हो गई है. इससे पहले वहां के लोगों को जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिली हुई थी, इसके अलावा वे भारत के भी नागरिक थे अब वे सिर्फ भारतीय नागरिक हैं. नागरिकता कानून के प्रावधानों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी दूसरे राज्य के व्यक्ति से विवाह कर लेती तो उस महिला की जम्मू-कश्मीर की नागरिकता समाप्त हो जाती थी.  इससे इतर अगर कोई कश्मीरी महिला पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर लेती तो उस शख्स को भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती थी.

इतिहास बना जम्मू-कश्मीर का झंडा

Article 370 खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा नहीं होगा.  इस अनुच्छेद के खत्म होने से पहले जम्मू-कश्मीर के सभी सरकारी भवनों और दफ्तरों में जम्मू-कश्मीर और भारत का झंडा एक साथ फहराता था, लेकिन अब कश्मीर का अलग झंडा नहीं होगा. 5 अगस्त को अनुच्छेद-370 खत्म होने के बाद 25 अगस्त को श्रीनगर सचिवालय से जम्मू-कश्मीर का झंडा हटा दिया गया था.

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जम्मू-कश्मीर का झंडा (फोटो-रॉयटर्स)

जम्मू-कश्मीर का बदला नक्शा, लद्दाख का अलग वजूद

31 अक्टूबर से भारत में दो नये प्रदेशों का उदय हुआ है. आज से भारत का नक्शा बदल जाएगा. 31 अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर का भारत के नक्शे में अलग वजूद होगा, जबकि केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख का नक्शा अलग होगा.

दोनों प्रदेशों के लिए एक ही हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर और  लद्दाख भले ही अलग केंद्र शासित प्रदेश बन जाएंगे लेकिन दोनों राज्यों के लिए एक ही हाई कोर्ट होगा. इस वक्त जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए एक हाई कोर्ट है. ये अदालत सर्दियों में जम्मू में लगती है जबकि गर्मियों में श्रीनगर में काम करती है.

RTI और CAG हुआ प्रभावी

धारा 370 की वजह से कश्मीर में आरटीआई (RTI) और सीएजी (CAG) जैसे कानून लागू नहीं होते थे. लेकिन नई व्यवस्था के बाद सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार जैसे कानून जम्मू-कश्मीर में लागू होंगे. केंद्र के 108 कानून दोनों प्रदेशों में लागू होंगे, जबकि 164 कानून खत्म हो जाएंगे, राज्य के 166 कानून आगे भी जारी रहेंगे.

पढ़ें: रियल एस्टेट के लिए नया रेरा आएगा जम्मू-कश्मीर में

रणबीर पीनल कोड की जगह इंडियन पीनल कोड

जम्मू-कश्मीर में अब आपराधिक मुकदमों की सुनवाई इंडियन पीनल कोड के प्रावधानों के तहत हुआ करेगी, इससे पहले जम्मू-कश्मीर में रणबीर पीनल कोड लागू था और इसी के प्रावधान के आधार पर अपराधियों को सजा दी जाती थी.

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राज्यपाल नहीं अब LG की होगी भूमिका

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में केंद्र का प्रतिनिधित्व राज्यपाल नहीं बल्कि लेफ्टिनेंट गवर्नर करेंगे. अनुच्छेद 370 की समाप्ति के साथ ही यहां से राज्यपाल की प्रथा खत्म हो गई है. अब इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्र लेफ्टिनेंट गवर्नर की नियुक्ति करेगा. गिरिश चंद्र मुर्मू जम्मू-कश्मीर के पहले एलजी होंगे, जबकि राधा कृष्ण माथुर लद्दाख के पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर बनेंगे.

अनुच्छेद 356 और 360 लागू करने का अधिकार

पहले भारत के राष्ट्रपति को संविधान की धारा-356 के तहत जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू करने का अधिकार नहीं था, लेकिन अनुच्छेद 370 की समाप्ति के साथ ही अब राष्ट्रपति जरूरत पड़ने पर केंद्र की सिफारिश पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकेंगे, इसके अलावा राष्ट्रपति को संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत इन प्रदेशों में वित्तीय आपातकाल लागू करने का भी अधिकार मिल गया है.

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