
जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले को अब से कुछ दिन बाद एक साल हो जाएंगे. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे. इन शहीदों में से एक थे आगरा के कौशल कुमार रावत. हमले के बाद केंद्र सरकार के साथ सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने शहीदों के परिवार को हर संभव मदद का भरोसा दिया था, लेकिन एक साल बीतने के बाद ही ये आश्वासन आजतक खोखले ही साबित हुए हैं.
पुलवामा आतंकी हमले में शहीद होने वालों में से आगरा के कौशल कुमार रावत भी थे. कौशल कुमार रावत के परिवार को आज भी सरकारी मदद की दरकार है. शहीदों की शहादत के बाद बड़े- बड़े दावे करने वाले नेताओं ने दोबारा कभी शहीद के परिवार की सुध तक नहीं ली.
कौशल कुमार रावत की शहादत के बाद से अबतक उनकी बुजुर्ग मां सुधा रावत की आंखे नम है. मदद के नाम पर उन्हें कुछ नहीं मिला. शहीद कौशल कुमार रावत की मां का कहना है कि उन्हें न तो केंद्र सरकार से कोई मदद मिली है न ही कोई सामाजिक संगठन और जनप्रतिनिधि उनके परिवार की मदद के लिए आगे आया.
शहीद कौशल कुमार रावत
शहीद कौशल कुमार की मां का कहना है कि वह खुद कई बार आगरा के जिलाधिकारी से मदद की गुहार लगा चुकी हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. उनकी किसी ने मदद नहीं की. इतना ही नहीं तत्कालीन ग्राम प्रधान और मृतक के चचेरे भाई का कहना है कि पुलवामा हमले में कौशल कुमार रावत की शहादत के बाद जिला प्रशासन ने शहीद की याद में स्मारक बनवाने की घोषणा की थी, लेकिन वो अबतक पूरी नहीं हो पाई. शहीद का सम्मान बचाए रखने के लिए उनका परिवार अपनी जमीन पर ग्राम पंचायत विभाग की मदद से स्मारक बनवा रहा है.
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1991 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए कौशल
कौशल के बड़े भाई कमल किशोर ने बताया कि 47 साल के कौशल, 1991 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. उनके दो बेटे और एक बेटी हैं. बेटी की शादी हो चुकी है. जनवरी 2019 के अंत में उनका तबादला सिलीगुड़ी से जम्मू-कश्मीर हुआ था. वह ट्रांसफर के बाद 15 दिन की छुट्टी काटकर 12 फरवरी को नई जॉइनिंग के लिए रवाना हुए थे.
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हमले में 40 जवान हुए थे शहीद
पिछले साल फरवरी में आतंकी आदिल डार ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमला किया था. इसमें सीआरपीएफ के 40 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे. आदिल डार जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी था. इसके बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की थी और आतंकियों के ठिकानों को तबाह कर दिया था.