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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सेना को भीड़ पर गोली चलाने का आदेश नहीं दे सकते

चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति यू यू ललित की बेंच ने कहा कि सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त सक्षम है और जब भी स्थिति पैदा होगी चीजों का खयाल रखा जाएगा.

जाट आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी याचिका जाट आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी याचिका
रोहित गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 01 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 9:03 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह सेना को भीड़ पर गोली चलाने के आदेश नहीं दे सकता. कोर्ट ने यह टिप्पणी उस याचिका को खारिज करते हुए की, जिसमें हरियाणा में जाट आंदोलन के दौरान अनियंत्रित भीड़ को काबू करने के लिए सेना को गोली चलाने की खुली छूट देने की मांग की गई थी.

कहा- सेना किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम
चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति यू यू ललित की बेंच ने कहा कि सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त सक्षम है और जब भी स्थिति पैदा होगी चीजों का खयाल रखा जाएगा.

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'जो कानून हाथ में लेगा, उसके ख‍िलाफ केस चलेगा'
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, ‘आप हमसे चाहते हैं कि हम सेना को भीड़ को गोली मारने का निर्देश जारी करें. हम इस तरह का निर्देश नहीं जारी कर सकते. हम सेना को उग्र भीड़ पर गोली चलाने की अनुमति नहीं दे सकते. जब भी स्थिति पैदा होगी चीजों का खयाल रखा जाएगा. सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त सक्षम है.’ हालांकि बेंच ने यह भी कहा कि जो भी कानून को अपने हाथ में लेगा उसके खिलाफ कानून के अनुसार केस चलाया जाएगा और बेंच ने याचिका को वापस लिया हुआ मानकर खारिज कर दिया.

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याचिकाकर्ता मुआवजा मांगता तो विचार करते: SC
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता अधिवक्ता अजय जैन ने हिंसक आंदोलन के पीड़ितों के लिए मुआवजा मांगा होता तो वह इस पर विचार किया जाता. बेंच ने कहा, ‘अगर आपने आंदोलन के पीड़ितों के लिए मुआवजा मांगा होता तो हम इस पर विचार करते.’ याचिकाकर्ता ने तब अपनी याचिका में संशोधन करने की अदालत से अनुमति मांगी, जिसे देने से जजों ने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.

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याचिका वापस लेने के लिए मान गए अजय जैन
जैन ने कोर्ट से याचिका पर विचार करने के लिए जोर दिया, लेकिन बेंच ने याचिकाकर्ता पर जुर्माना नहीं लगाया. बाद में याचिकाकर्ता अपनी याचिका वापस लेने के लिए राजी हो गए.

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