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अब झारखंड के इस अस्पताल में महीने भर में 64 बच्चों की मौत

एमजीएम अस्पताल में पिछले एक महीने में 64 शिशुओं की मौत हो गई. बच्चों की मौत का कारण कुपोषण बताया जा रहा है. एक जांच रिपोर्ट के अनुसार 16 बच्चों की मौत अंडरवेट के कारण हुई. सामान्य तौर पर नवजात का वजन जन्म के दौरान 2.5 किलो तक ठीक माना जाता है. हालांकि मरने वालों में 9 सौ ग्राम से लेकर 1.5 किलोग्राम के बच्चे थे.

कुपोषण कुपोषण
अंकुर कुमार
  • जमशेदपुर ,
  • 27 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 6:39 PM IST

गोरखपुर के अस्पताल में 63 बच्चों की मौत का मामला अभी खत्म ही नहीं हुआ था कि झारखंड के जमशेदपुर के सरकारी अस्पताल में 64  बच्चों के कुपोषण से मरने की बात सामने आ रही है. मामला जमशेदपुर के महात्मा गांधी मेडिकल(एमजीएम) अस्पताल का है. सूत्रों के मुताबिक यहां अस्पताल की लापरवाही और अस्पताल में भर्ती बच्चों के लिए सही देखभाल की व्यवस्था नहीं होने से 52 बच्चों की मौत हो गई है.

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पिछले एक महीने में हुई इतनी मौतें

एमजीएम अस्पताल में पिछले एक महीने में 64 शिशुओं की मौत हो गई. बच्चों की मौत का कारण कुपोषण बताया जा रहा है. एक जांच रिपोर्ट के अनुसार 16 बच्चों की मौत अंडरवेट के कारण हुई. सामान्य तौर पर नवजात का वजन जन्म के दौरान 2.5 किलो तक ठीक माना जाता है. हालांकि मरने वालों में 9 सौ ग्राम से लेकर 1.5 किलोग्राम के बच्चे थे.

बाहर से आते हैं मरीज

सूत्रों के अनुसार अस्पताल प्रशासन का कहना है कि इस इलाके में बड़े सरकारी अस्पतालों की कमी होने की वजह से एमजीएम अस्तपताल में झारखंड के अलावा ओडिशा, बिहार और पश्चिम बंगाल से भी मरीज आते हैं. साथ ही यह बात किसी से छिपी नहीं है कि यह इलाका कुपोषण बेल्ट है. इस वजह से मौतों का आंकड़ा इतना ज्यादा है. वहीं बिना संसाधन बढ़ाए, अस्पताल में प्रसव करवाने की सरकारी योजना की वजह से भी इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं. एमजीएम अस्तपताल के अध‍ीक्षक डॉ विभीषण ने बताया कि बच्चों की मौत अंडरवेट और प्रीमैचयोर डिलीवरी की वजह से हुई है. अस्पताल प्रशासन अपनी तरफ से बच्चों को बचाने की काफी कोश‍िश कर रहा है. हालांकि 900 ग्राम जैसे कम वजन के बच्चो की सर्वाइवल रेट कम होने की वजह से इतने मामले बढ़े हैं. वहीं मरीजों की संख्या बढ़ने की वजह से मौतों की संख्या में इजाफा हुआ है.  

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जांच के लिए आई टीम

सूत्रों के अनुसार बच्चों की मौत का मामला सामने आने के बाद रांची से स्वास्थ्य टीम ने संस्थान का दौरा किया है. वहीं अब जाकर एमजीएम कॉलेज के प्रिंसिपल ने भी सरकार और हेल्थ विभाग को संसाधनों कमी से अवगत कराने का निर्णय लिया है.वहीं ऐसे में अब इस हॉस्पिटल में 90 दिनों के अंदर 134 बच्चों की मौत को लेकर कांग्रेस  ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. राष्ट्रिय प्रवक्ता और जमशेदपुर के पूर्व सांसद डॉ. अजय कुमार के  नेतृत्व में सोमवार को राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास सहित स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ स्थानीय साकची  थाने में गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज़ किया जाएगा.

कुपोषण से जूझ रहा है झारखंड

सिर्फ एक महीने के अंदर हुई इन मौतों से प्रशासन पर कई सवाल भी उठने लगे हैं. इससे पहले भी एक आंकड़ा आया था, जिसमें 177 दिनों में 164 बच्चों की मौत हुई थी. नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के 2015-16 की एक रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में 5 साल तक के 47.8 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं.

दूसरे अस्पतालों का भी बुरा हाल

यही हाल झारखण्ड के दूसरे सरकारी अस्पतालों का भी है. झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स, रांची में भी बीते दिनों सिर्फ पचास रुपये कम पड़  जाने के कारन इलाज नहीं हो पाया था और एक मासूम की मौत हो गयी थी. जांच के लिए परिजनों से 1350 रुपये मांगे गए, परिजनों के पास सिर्फ 1300 रुपये थे तो उन्होंने जांच करने से मना कर दिया. इसी बीच मां की गोद में ही बच्चे की मौत हो गई. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रामचन्द्र चंद्रवंशी ने इस मामले में कहा था कि मीडिया बेवजह से इसे तूल दे रहा है. अगर इतना ही दुःख है तो सभी पत्रकारों ने दस रुपये चंदे देकर इलाज क्यों नहीं करवाया. बीपीएल तबके से आने के बावजदू मरीजों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है, जबकि रिम्स में गरीब मरीजों के लिए कई तरह की जांच मुफ्त है.

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गोरखपुर हादसा में हो रही है जांच

आपको बता दें कि पिछली 10-11 अगस्त की रात को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में संदिग्ध हालात में 63 बच्चों की मौत हो गयी थी. इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 12 अगस्त को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक जांच कमिटी गठित की थी.20 अगस्त को सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में कमिटी ने गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन एचओडी डॉक्टर राजीव मिश्रा, ऑक्सीजन प्रभारी और एनेस्थिसिया बाल रोग विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर सतीश और एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम बोर्ड के तत्कालीन नोडल अधिकारी डॉक्टर कफील खान और मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की आपूर्तिकर्ता कंपनी पुष्पा सेल्स के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की सिफारिश की थी.

 

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