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आपसी संवाद के लिए एनक्रिप्टेड ऐप का इस्तेमाल कर रहे आतंकी, खुफिया एजेंसियों की चेतावनी

खुफिया सूत्रों के अनुसार, पिछले वर्षों में बाजार में ऐसे कई एंड्रॉयड आधारित अप्लीकेशन आए हैं, जो अपनी एनक्रिप्शन यानी संवाद कूटबद्ध होने की सुविधा वजह से ही जेहादियों में काफी लोकप्रिय हुए हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 05 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 12:18 PM IST

कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों में सक्रिय जेहादी आतंकी आपसी संवाद के लिए गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध कई ऐप की एनक्रिप्टेड सुविधा का फायदा उठा रहे हैं. पहले इनके बीच व्हाट्सऐप से कम्युनिकेशन होता था, लेकिन गूगल प्ले स्टोर में उपलब्ध कई प्राइवेट चैट रूम भी उनके संवाद के लिए बेहतर रास्ता मुहैया कर रहे हैं.  

खुफिया सूत्रों के अनुसार, पिछले वर्षों में बाजार में ऐसे कई एंड्रॉयड आधारित अप्लीकेशन आए हैं, जो अपनी एनक्रिप्शन यानी संवाद कूटबद्ध होने की सुविधा वजह से ही जेहादियों में काफी लोकप्रिय हुए हैं.

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एक खुफिया एजेंसी की साइबर टीम में शामिल एक सूत्र ने आजतक के सहयोगी प्रकाशन मेल टुडे को बताया, 'आईसीक्यू, विकर और जैबर गूगल प्ले स्टार पर उपलब्ध काफी लोकप्रिय प्राइवेट मैंसेंजर हैं. आतंकी संगठन इन ऐप का इस्तेमाल आंतरिक संचार, युवाओं में अपने जहरीले विचारों के प्रसार और उन्हें आतंक के लिए प्रेरित करने या कहिए कि भड़काऊ बातों के लिए कर रहे हैं. अब तो ये संगठन आधिकारिक रूप से हमलों की साजिश रचने के लिए इन ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं.'

खुफिया एजेंसियों के सामने दिक्कत यह है कि यदि कोई गुमराह युवा ऐसे किसी हैंडसेट के साथ पकड़ा भी जाता है जिनमें ये ऐप मौजूद हों, तो भी उनके लिए कुछ साबित कर पाना मुश्किल होता है, क्योंकि वे ऐसे गोपीनीय चैट और फाइल तक नहीं पहुंच पाते.' सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि जेहादी तत्व अब ऐसे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हुए आसानी से तत्काल बातचीत करते हैं, जिनमें उनके संदेश को किसी और के लिए पढ़ पाना संभव नहीं होता.

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गौरतलब है कि इस्लामिक स्टेट से जुड़े आतंकी और चरमपंथी तत्व भी हाल तक वाइबर ऐप का इस्तेमाल कर रहे थे, जिसमें मैसेज को एनक्रिप्ट यानी कूटबद्ध किया गया होता है. लेकिन अब उन्होंने इसका इस्तेमाल छोड़ दिया है, क्योंकि उनको यह शंका हुई कि इस ऐप में उनके संदेशों का रिकॉर्ड रखा जाता है.

सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने इस बात की पुष्ट‍ि की है कि आईएसआईएस, अलकायदा और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों द्वारा संवाद के लिए अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है. एक्सपर्ट का कहना है कि ये प्राइवेट चैट रूम जेहादियों में काफी लोकप्रिय हैं, क्योंकि इनके मैसेज पूरी तरह से एनक्रिप्टेड होते हैं और फोटो, वीडियो तक भी किसी तीसरे पक्ष की पहुंच नहीं हो सकती.

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