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जम्मू और कश्मीर के गृह विभाग ने एक अखबार में छपी इस रिपोर्ट का जोर देकर खंडन किया है कि गिरफ्तार किए गए डीएसपी देविंदर सिंह के प्रमोशन के लिए कोई अलग से फाइल तैयार की गई थी या उप राज्यपाल के दफ्तर से देविंदर की फाइल को तत्काल पास करने के लिए कोई निर्देश दिया गया था.
गृह विभाग ने दी ये सफाई
गृह विभाग ने अखबार की रिपोर्ट को तथ्यात्मक तौर पर गलत बताने के साथ साफ किया- देविंदर सिंह (पुत्र दीदार सिंह निवासी त्राल, पुलवामा) नवंबर 1990 में सब इंस्पेक्टर के तौर पर नियुक्त हुआ. उसकी पोस्टिंग फरवरी 2001 तक SOG, कश्मीर जोन में रही. उसे आउट ऑफ टर्न मई 1997 में PHQ की ओर से इंस्पेक्टर के तौर पर प्रोन्नति मिली. इसके बाद ऑफिशिएटिंग आधार पर वो पहले मार्च 2000 में PHQ से और फिर जनवरी 2003 में गृह विभाग से डीएसपी के तौर पर पोस्टेड रहा.
विभाग ने आगे कहा, 'देविंदर सिंह ने ऑफिशिएटिंग आधार पर सितंबर 2019 तक डीएसपी के तौर पर काम करना जारी रखा क्योंकि जम्मू कश्मीर पुलिस में वरिष्ठता के विवाद की वजह से कोई नियमित प्रोन्नति नहीं की जा सकती थी. ये वरिष्ठता का विवाद सितंबर 2019 में ही सुलझाया जा सका. इसके बाद 153 डीएसपी रैंक के अधिकारियों को जो ऑफिशिएटिंग आधार पर काम कर रहे थे, नियमित किया गया. कुछ अधिकारी तो 19 से भी ज्यादा साल से ऑफिशिएटिंग आधार पर काम कर रहे थे. नियमितीकरण का लाभ अन्यों के साथ देविंदर सिंह को भी मिला.'
देविंदर सिंह का नाम भी इस लिस्ट में था
गृह विभाग ने बताया, 'इसी के आगे के घटनाक्रम में डीएसपी अधिकारियों की वरिष्ठता सूची को फाइनल करने की प्रक्रिया केंद्र सरकार की ओर से शुरू की गई. फिर संभावित वरिष्ठता सूची को अक्टूबर 2019 में गजेटेड ऑर्डर 997 के जरिए वेबसाइट पर 1 अक्टूबर 2019 को अधिसूचित किया गया. देविंदर सिंह का नाम भी इस लिस्ट में था. फाइनल वरिष्ठता तय किए जाना अभी लंबित है. जब ये प्रकाशित हो जाएगी तो डीएसपी रैंक के अधिकारियों का एसपी के तौर पर प्रमोशन होगा जो कि उनकी पात्रता, वरिष्ठता और उपलब्ध रिक्तियों के आधार पर होगा. ये पूरी प्रक्रिया नियमों के सख्त पालन के अनुरूप होगी.'
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गृह विभाग ने साफ किया, 'ये उल्लेख करना प्रासंगिक है कि राज्य को 30 अक्टूबर की मध्यरात्रि को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदला गया जबकि वरिष्ठता सूची को फाइऩल करने की प्रक्रिया इससे बहुत पहले शुरू हो गई थी.'