
देशभक्त बनाम देशद्रोह, इस मुद्दे की शुरुआत 9 फरवरी 2016 को देश के नामचीन जवाहर लाल यूनिवर्सिटी से शुरु हुई. जब वहां छात्रों के एक गुट ने विवादित नारे लगाए. जेएनयू कांड को एक साल पूरा हो चुका है. इस मामले की जांच पहले स्थानीय पुलिस के पास थी. उसके बाद 28 फरवरी को जांच स्पेशल ब्रांच को दे दी गई. जेएनयू कांड की जांच के दौरान 2 कमिश्नर (बी.एस.बस्सी और आलोक वर्मा) आए और चले गए. अब तीसरे कमिश्नर भी आ चुके हैं. लेकिन अब तक मामले में दिल्ली पुलिस ने अदालत में चार्जशीट दाखिल नहीं की. या यूं कहें मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
'आजतक' को स्पेशल सेल के सूत्रों के हवाले से जेएनयू कांड की जांच की एक्सक्लुसिव जानकारी मिली है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी में देशभक्त बनाम देशद्रोही का मसला एक बार फिर उठा है. इस बार रामजस कॉलेज से शुरु हुई छात्र राजनीति और बवाल के बहाने तमाम विरोधी दल इस मामले में सरकार को निशाने पर लिए हुए हैं. तमाम पार्टियां अपना-अपना सियासी नफा नुकसान देखकर बयानबाजी भी कर रही हैं. और अब मामला दिल्ली पुलिस के पास है और जांच क्राइम ब्रांच के हवाले है.
ठीक ऐसे ही 9 फरवरी 2016 को जेएनयू में 'विवादित नारों' की वजह से बवाल हुआ था. और पहली बार देशभक्त बनाम देशद्रोह का मुद्दा सुर्खियों में आया था.
एक साल बाद भी खाली हाथ दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर बी.एस.बस्सी जिनके रहते जेएनयू के छात्रों पर देशद्रोह का मुकदमा हुआ वो अपना कार्यकाल खत्म कर रिटायर्ड हो गए. उसके बाद दिल्ली के कमिश्नर बने आलोक वर्मा वो भी अपना कार्यकाल पूरा कर सीबीआई डायरेक्टर बन गए लेकिन दोनों ही कमिश्नर के रहते जेएनयू कांड की चार्जशीट अदालत में दाखिल नहीं हो सकी.
कई वीडियो असली, लगाए गए थे देश विरोधी नारे
अब जेएनयू कांड के एक साल बाद स्पेशल सेल की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. स्पेशल सेल के सूत्रों के मुताबिक तरीबन 40 से ज्यादा वीडियो फूटेज को सीएफएसएल लैब जांच के लिए भेजा गया. रिपोर्ट में जेएनयू के कई फूटेज असली पाए गए जिनसे साबित होता है की जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाए गए थे.
40 वीडियो की हुई जांच
स्पेशल सेल ने तकरीबन 40 वीडियो फुटेज जिनमें न्यूज चैनल, प्राइवेट वीडियो, सोशल साइट्स के वीडियो जांच के लिए सीएफएसएल लैब भेजे. जांच में पाया गया कि जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाए गए थे.
उमर खालिद ने बनवाए थे पोस्टर
वीडियो फूटेज की जांच में उमर खालिद और अनिर्बान समेत कुल 9 लोग देश विरोधी नारे लगाते पाए गए. उमर खालिद, अनिर्बान के अलावा बाकी तमाम छात्र कश्मीरी हैं जो जामिया, अलीगढ़ और जेएनयू के छात्र हैं. जांच में पता चला कि 9 फरवरी को जेएनयू कैंपस में उमर खालिद ने कल्चरल इवेंट के लिए इजाजत मांगी थी. साथ ही प्रोटेस्ट में यूज होने वाले पोस्टर बैनर भी उमर खालिद ने बनवाए थे.
कन्हैया ने नहीं लगाए थे नारे
जेएनयू कांड में स्पेशल सेल की जांच में जो सबसे चौंकाने वाली बात सामने आई है, वो ये की देशद्रोह का मुकदमा झेल रहे और जेल की हवा खा चुके जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को किसी भी फुटेज में देश विरोधी नारा लगाते नहीं पाया गया.
झड़प के बाद पहुंचा था कन्हैया
जांच के मुताबिक 9 फरवरी को जेएनयू में एक तरफ उमर खालिद और उसके तमाम साथी प्रोग्राम कर रहे थे. उसी दौरान एबीवीपी के छात्रों से झड़प हुई. और फिर सामने आया 'विवादित नारा'. जांच में पाया गया कि दोनों छात्र संगठनों के झड़प के बाद कन्हैया कुमार को इस बात की जानकारी मिली थी और तभी वह मौके पर पहुंचा था जहां देश विरोधी नारे लगाए जा रहे थे.
दिल्ली पुलिस से हुई गलती
दिल्ली के पूर्व कमिश्नर बी.एस बस्सी और लोकल थाने की पुलिस ने जांच में यहीं लापरवाही बरती और जल्दबाजी में तमाम छात्रों के साथ जेएनयू छात्र संगठन अध्यक्ष कन्हैया पर भी देशविरोधी नारे लगाने के आरोप में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया.
नारा लगाने वालों में ज्यादातर कश्मीरी छात्र
स्पेशल सेल की जांच में पता चला कि देश विरोधी नारा लगाने वालों में ज्यादातर कश्मीरी छात्र थे. जो अलग-अलग कॉलेज में पढ़ाई करते हैं और 9 फरवरी को जेएनयू कैंपस में मौजूद थे.
ऐसे में सवाल उठता है...
- देश विरोधी नारे लगाने वाले कश्मीरी छात्रों पर एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की गई?
- देश विरोधी लगाने वाले कश्मीरी छात्रों को अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?
- आखिर दिल्ली पुलिस पर किसका दबाव?
- 1 साल बाद भी दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दाखिल क्यों नहीं की?
अब पटनायक से उम्मीद
स्पेशल सेल ने अपनी जांच लगभग पूरी कर ली है. जांच में ये भी साबित हो चुका है कि जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाए गए थे. नारे लगाने वालों की पहचान भी हो चुकी है. जांच के दौरान 2 कमिश्नर आए और चले गए. तीसरे कमिश्नर अमूल्य पटनायक के हाथों में कमान है. उम्मीद है इस संवेदनशील मामले में दिल्ली के नए कमिश्नर अदालत में जल्द से जल्द चार्जशीट दाखिल करवा कर दूध का दूध और पानी का पानी करेंगें.