
रिसर्च स्कॉलर के साथ-साथ अब कैडेट्स भी बनेंगे जेएनयू के छात्र. दरअसल देशभक्ति और अनुशासन का पाठ पढ़ाने के लिए अब जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रों को एनसीसी की भी ट्रेनिंग देगा. जी हां, एनसीसी यानी कि नेशनल कैडेट कोर, जिसके अंतर्गत सेना, नौसेना और वायुसेना की अलग-अलग विंग शामिल हैं. जेएनयू एनसीसी ट्रेनिंग जल्द से जल्द शुरू करने के लिए निदेशालय से लगातार संपर्क में है.
जानकारी के मुताबिक एनसीसी की ट्रेनिंग दिसम्बर से शुरू होने वाले सत्र में शुरू कर दी जाएगी. विश्वविद्यालय में करीब 300 छात्रों को एनसीसी की ट्रेनिंग लेने का मौका मिलेगा. इसमें से 150 सीट सीनियर विंग गर्ल्स की होंगी, तो वही 150 सीटें बॉयज के सीनियर डिवीज़न के लिए होगा.
अंडरग्रेजुएट छात्रों को A सर्टिफिकेट कराया जाएगा, तो वहीं पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के लिए B सर्टिफिकेट कोर्स होगा. अंडरग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और रिसर्च के पुरुष और महिला छात्र इस ट्रेनिंग में हिस्सा लेंगे. ट्रेनिंग के दौरान छात्रों को अनुशासन और एकता की सीख दी जाएगी, साथ ही देश की तीनों प्रमुख सेनाओं से संबंधित होने के कारण छात्रों में सेना के प्रति सम्मान, राष्ट्र के प्रति गौरव और राष्ट्र निर्माण में छात्रों के योगदान का महत्व सीखने का मौका मिलेगा. साथ ही जो छात्र डिफेन्स में आगे बढ़ना चाहते हैं उन्हें फौज़ की बेसिक ट्रेनिंग के साथ-साथ एनसीसी के सर्टिफिकेट का फायदा मिलेगा.
एनसीसी ट्रेनिंग को सुचारु रूप से कैंपस में शुरू करने के लिए जेएनयू ने एक तीन सदस्यीय समिति बनाई है. समिति के अध्यक्ष सहायक प्रोफेसर बुद्धा सिंह के मुताबिक, 'लगभग सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी में एनसीसी की ट्रेनिंग दी जाती है. जेएनयू में भी एनसीसी की ट्रेनिंग शुरू करने के लिए पहले प्रयास किये गए हैं, लेकिन वामपंथी छात्रों और शिक्षकों के विरोध के चलते अब तक जेएनयू में इसकी शुरुआत नहीं हो पाई थी. लेकिन 9 फरवरी की घटना के बाद जिस तरह जेएनयू की साख पर सवाल उठने लगे, उसके बाद एनसीसी ट्रेनिंग शुरू करने के प्रयास और तेज़ कर दिये गए. इसका मकसद छात्रों को अनुशासित करना तो है ही, साथ ही ऐसे ट्रेनिंग प्रोग्राम से छात्रों के मन में राष्ट्रवाद की भावना और प्रबल होगी. साथ ही छात्र हमारे सुरक्षा बलों के त्याग और परिश्रम को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे.'
आपको बता दें कि जेएनयू कैंपस विचारधारा की लड़ाई के लिये मशहूर रहा है. लाल सलाम का गढ़ माना जाने वाला जेएनयू पिछले कुछ साल से लगातार विवादों में रहा है. अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार पर बहस करने वाले छात्रों को उनके कर्तव्यों से रू-ब-रू कराने की कोशिश भी पिछले कुछ सालों से तेज़ हुई है.
सबसे पहले जेएनयू में ही परमवीर चक्र विजेताओं को सम्मानित करते हुए वाल ऑफ हीरोज़ का डिस्प्ले किया गया था. हाल ही में योग दर्शन का सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किया गया है. इतना ही नहीं, जेएनयू में पहली बार करगिल विजय दिवस भी मनाया गया. हालांकि विजय दिवस आयोजन के मौके पर कैंपस में आर्मी टैंक लगाने के वाइस चांसलर के बयान ने तूल पकड़ लिया और एक नए विवाद को जन्म दे डाला. जेएनयू के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक करगिल युद्ध के पुराने टैंक को कैंपस में करगिल मेमोरियल के तौर पर स्थापित किया जाएगा.