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JNU पर उठाए सवाल तो छात्र संघ ने RSS को लताड़ा

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्रसंघ (JNUSU) ने मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की उन टिप्पणियों को ‘प्रतिगामी’ करार दिया कि जेएनयू ‘एक ऐसे बड़े राष्ट्रविरोधी समूह का अड्डा है जिसका मकसद भारत को बांटना है.’

ब्रजेश मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 04 नवंबर 2015,
  • अपडेटेड 1:51 PM IST

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्रसंघ (JNUSU) ने मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की उन टिप्पणियों को ‘प्रतिगामी’ करार दिया कि जेएनयू ‘एक ऐसे बड़े राष्ट्रविरोधी समूह का अड्डा है जिसका मकसद भारत को बांटना है.’

छात्रसंघ की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘आरएसएस की ओर से ऐसे समय में जेएनयू के छात्रों के खिलाफ की गई काफी प्रतिगामी टिप्पणियों की हम निंदा करते हैं जब छात्र गैर-नेट फेलोशिप रद्द करने के सरकार के फैसले के खिलाफ एक राष्ट्रीय आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं.’ बयान के मुताबिक, ‘जेएनयू की संरचना हमारे समाज के चरित्र को दर्शाती है, क्योंकि यहां वंचित वर्गों की महिलाएं एवं छात्रों और पिछड़े जिलों का उचित प्रतिनिधित्व होता है. यह भारतीय समाज को लेकर आरएसएस की कल्पना, जो ‘हिंदू राष्ट्र’ है, के खिलाफ जाता है.’

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RSS के मुखपत्र में छपा है लेख
आरएसएस के मुखपत्र ‘पांचजन्य’ में आरोप लगाया गया है कि जेएनयू ‘एक ऐसे बड़े राष्ट्रविरोधी समूह का अड्डा है जिसका मकसद भारत का विघटन करना है.’ मुखपत्र के कवर लेख में दावा किया गया है कि जेएनयू के नक्सल समर्थक छात्र संघों ने वर्ष 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 75 जवानों की मौत का खुलेआम जश्न मनाया था . ‘यह सब जेएनयू प्रशासन की नाक के नीचे हुआ था.’ इसमें आरोप लगाया गया है कि जेएनयू नियमित रूप से राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का आयोजन करता है.

लेख में कहा गया है कि जब सोवियत संघ का विघटन हुआ तो जेएनयू जैसे संस्थानों में एक नया राजनीतिक विचार उभरा जिसने अपना राजनीतिक नारा ‘क्लास स्ट्रगल’ से ‘कास्ट स्ट्रगल’ में बदलना शुरू कर दिया.

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छात्रसंघ ने किया यह भी दावा
छात्रसंघ ने यह दावा भी किया कि जेएनयू पर ऐसे समय में हमला बोला गया है जब यूनिवर्सिटी की अकादमिक परिषद ने वैदिक संस्कृति के पाठ्यक्रमों की शुरूआत के प्रस्ताव को खारिज कर दिया . JNUSU के बयान के मुताबिक, ‘यह चौंकाने वाली बात है कि आरएसएस ने एक अहम छात्र आंदोलन ‘ऑक्यूपाई यूजीसी’ पर तो अपना मुंह नहीं खोला, लेकिन छात्रों को गालियां दे रहा है और उन्हें सिर्फ इस वजह से राष्ट्र-विरोधी करार दे रहा है क्योंकि वे अपने शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ रहे हैं.’

- इनपुट भाषा

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