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स्टिंग में हमलावरों ने मानी बाहरी छात्रों के मदद की बात
आपको बता दें कि इंडिया टुडे की स्पेशल इन्वेस्टीगेटिव टीम (SIT) ने अपनी तफ्तीश में संभावित हमलावरों की पहचान की थी. जिसके बाद उनका स्टिंग किया गया और यह पता लगाने की कोशिश की गई कि हिंसा के पीछे उनकी मंशा क्या थी. हमलावरों ने खुद ही यह माना है कि उन्होंने वामपंथी रुझान वाले छात्रों पर बाहरी छात्रों की मदद से हमले की योजना बनाई थी. हमलावरों का साथ देने के लिए बाहर से आने वाले छात्र दक्षिणपंथी रुझान के थे.
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अक्षत ने स्टिंग के दौरान हिंसा के वीडियो में की अपनी पहचान
जेएनयू में 5 जनवरी को हुई इस हिंसा के चलते पूरे देश में नाराजगी का माहौल है. इस बीच इंडिया टुडे की टीम ने एक प्रमुख हमलावर को कैमरे में यह स्वीकार करते हुए कैद किया कि उसने कैंपस से और बाहरी छात्रों को हिंसा के लिए संगठित किया था. जेएनयू में फ्रेंच डिग्री प्रोग्राम के प्रथम वर्ष के छात्र अक्षत अवस्थी ने रविवार को हमले के दौरान लिए गए वीडियो में खुद ही खुद की पहचान की और उन्होंने खुद को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) का कार्यकर्ता भी बताया.
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अक्षत ने स्वीकार की मारपीट की बात
आपको बता दें कि जेएनयू का आनलाइन रिकॉर्ड कहता है कि अक्षत अवस्थी जेएनयू के कावेरी हॉस्टल में रहते हैं. रविवार को हुई हिंसा वाले वीडियो में अवस्थी हाथ में लाठी लिए हुए दिखते हैं, जिसके बारे में वे कहते हैं कि उन्हें हॉस्टल कोरिडोर में गुस्से से भागते हुए देखा जा सकता है. वे दरवाजों को पीट रहे हैं और उनके रास्ते में जो भी आ रहा है, उस पर हमला कर रहे हैं.
एक अन्य हमलावर ने भी सुनाई हमले की कहानी
जेएनयू हिंसा के अगले दिन जब ABVP ने जेएनयू कैंपस में प्रदर्शन किया था, तब भी इंडिया टुडे की टीम ने अक्षत को अपने कैमरे में कैद किया था. फ्रेंच प्रोग्राम के फर्स्ट इयर में ही पढ़ने वाले एक और छात्र ने पुष्टि की कि 5 जनवरी को हुए हमले में अक्षत अवस्थी की संलिप्तता थी. रोहित शाह नाम के छात्र ने स्वीकार किया कि जब अवस्थी हमले की तैयारी कर रहे थे तब उसने अपना हेलमेट अवस्थी को दिया था. शाह ने कहा, "जब आप शीशे तोड़ते हैं तो यह (हेलमेट) सुरक्षा के लिए जरूरी था."
हमले की कहानी बताते हुए उन्होंने कहा कि भीड़ हॉस्टल में एबीवीपी के एक कमरे में एकत्र हुई, जिसके बाद उसने उन्हें हॉस्टल के वासियों के बारे में जानकारी दी कि कौन किस संगठन का है. शाह ने कहा, "यह हमला जिस तरह से किया गया, अगर ऐसा नहीं होता तो संभव नहीं था. उन्हें (वामपंथी छात्रों को) एबीवीपी की ताकत का अंदाजा नहीं लग पाया."