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JNUTapes: इंडिया टुडे ने उतारा हमलावरों का नकाब, ऐसे रची गई साजिश

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में रविवार को हुई हिंसा के मामले में पुलिस अब तक कोई भी गिरफ्तारी करने में नाकाम रही है. इसी बीच इंडिया टुडे की स्पेशल इन्वे​स्टीगेटिव टीम (SIT) ने अपनी तफ्तीश में संभावित हमलावरों की पहचान की है.

अक्षत अवस्थी और रोहित शाह (फोटो-JNUTapes India Today-Aajtak Sting) अक्षत अवस्थी और रोहित शाह (फोटो-JNUTapes India Today-Aajtak Sting)
जमशेद खान/नितिन जैन
  • नई दिल्ली,
  • 10 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 11:46 PM IST

  • JNU में फर्स्ट इयर के छात्र हैं हमलावर
  • हमलावर ने की भीड़ की अगुआई करते हुए खुद की पहचान 
  • खुद को बताया ABVP कार्यकर्ता
  • "पुलिस ने हमसे कहा- उन्हें मारो"

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में रविवार को हुई हिंसा के मामले में पुलिस अब तक कोई भी गिरफ्तारी करने में नाकाम रही है. इसी बीच इंडिया टुडे की स्पेशल इन्वे​स्टीगेटिव टीम (SIT) ने अपनी तफ्तीश में संभावित हमलावरों की पहचान की है. हमलावरों ने खुद ही यह माना है कि उन्होंने वामपंथी रुझान वाले छात्रों पर बाहरी छात्रों की मदद से हमले की योजना बनाई थी. हमलावरों का साथ देने के लिए बाहर से आने वाले छात्र दक्षिणपंथी रुझान के हैं.

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जेएनयू में 5 जनवरी को हुई इस हिंसा के चलते पूरे देश में नाराजगी का माहौल है. इस बीच इंडिया टुडे की टीम ने एक प्रमुख हमलावर को कैमरे में यह स्वीकार करते हुए कैद किया कि उसने कैंपस से और बाहरी छात्रों को हिंसा के लिए संगठित किया था.

जेएनयू में फ्रेंच डिग्री प्रोग्राम के प्रथम वर्ष के छात्र अक्षत अवस्थी ने रविवार को हमले के दौरान लिए गए वीडियो में खुद ही खुद की पहचान की और उसने खुद को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) का कार्यकर्ता बताया.

जेएनयू का ऑनलाइन रिकॉर्ड कहता है कि अक्षत अवस्थी जेएनयू के कावेरी हॉस्टल में रहते हैं.

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रविवार को हुई हिंसा वाले वीडियो में अवस्थी हाथ में लाठी लिए हुए दिखते हैं, जिसके बारे में वे कहते हैं कि उन्हें हॉस्टल कॉरिडोर में गुस्से से भागते हुए देखा जा सकता है. वे दरवाजों को पीट रहे हैं और उनके रास्ते में जो भी आ रहा है, उस पर हमला कर रहे हैं.

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इंडिया टुडे के अं​डरकवर रिपोर्टर ने अवस्थी से पूछा, "आपके हाथ में क्या है?"

उन्होंने कहा, "ये लाठी है सर. इसे मैंने पेरियार हॉस्टल के पास लगे झंडे से निकाला था."

रिपोर्टर ने पूछा, "क्या आपने किसी को मारा?"

अवस्थी ने स्वीकार किया, "बढ़ी हुई दाढ़ीवाला एक आदमी था. वह कश्मीरी जैसा दिख रहा था. मैंने उसे पीटा और लात मारकर दरवाजा तोड़ दिया."

उन्होंने कहा, "मैं कानपुर के ऐसे इलाके से आता हूं जहां हर गली में गुंडे आम बात हैं. हमने ये सब बहुत देखा है."

अब जबकि हमलावर किस संगठन के थे, उनकी पहचान पर रहस्य गहरा गया है, एक हमलावर खुद को पहचानता है और अपनी सांगठनिक पहचान और मकसद भी जाहिर करता है.

अवस्थी ने कहा कि यह हमला उसी दिन पेरियार हॉस्टल में वामपंथी छात्रों द्वारा कथित रूप से किए गए हमले के जवाब में किया गया था. "यह क्रिया की प्रतिक्रिया थी."

कुछ ही घंटे में भीड़ को कैसे इकट्ठा किया, यह पूछने पर अवस्थी ने ​अलग अलग कैंपसों के ABVP के पदाधिकारियों का नाम बताया. अवस्थी ने विस्तार से बताया, "वे ABVP के ऑर्गेनाइजेशनल सेक्रेटरी हैं. मैंने उन्हें कॉल की. लेफ्ट विंग के छात्रों और अध्यापकों ने साबरमती हॉस्टल के पास एक मीटिंग रखी थी. जब वहां पर हमला किया गया, वे सभी छुपने के लिए अंदर भाग गए."

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उन्होंने बताया कि कैसे साबरमती हॉस्टल के सामने एक सड़क पर वाहनों को और हॉस्टल के फर्नीचर्स को तोड़ा गया.

उन्होंने कहा, "वहां पर जो भी छात्र और अध्यापक खड़े थे, वे भाग गए. उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि ABVP इस तरह से जवाब ​देगा."

रिपोर्टर ने अवस्थी से पूछा, "आप बता रहे थे कि ABVP के 20 कार्यकर्ता जेएनयू के थे और 20 बाहर से बुलाए गए थे."

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अवस्थी ने दावा किया, "मैं आपको बता सकता हूं क्योंकि सारी भीड़ मैंने ही एकत्र की थी. उनके पास इतना दिमाग नहीं है. आपको पता है, इसके लिए आपको किसी सुपरिटेंडेंट या कमांडर की तरह काम करना होता है. जो करना है वह क्यों करना है और कहां करना है. मैंने उन्हें हर चीज के बारे में गाइड किया, कहां उन्हें छुपना है, कहां जाना है. मैंने उन्हें नियोजित ढंग से सब समझा दिया था. मेरी कोई खास पोजीशन नहीं है, लेकिन उन्होंने मेरी बात को गौर से सुना."

उन्होंने कहा, "मैंने सिर्फ उन्हें एकत्र ही नहीं किया बल्कि उनके गुस्से को सही दिशा में निकालने में मदद की."

इस हिंसा के अगले दिन जब ABVP ने जेएनयू कैंपस में प्रदर्शन किया, तब भी इंडिया टुडे की टीम ने अक्षत को अपने कैमरे में कैद किया.

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फ्रेंच प्रोग्राम के फर्स्ट इयर में ही पढ़ने वाले एक और छात्र ने पुष्टि की कि 5 जनवरी को हुए हमले में अक्षत अवस्थी की संलिप्तता थी.

रोहित शाह नाम के छात्र ने स्वीकार किया कि जब अवस्थी हमले की तैयारी कर रहे थे तब उसने अपना हेलमेट अवस्थी को दिया था. रोहित शाह ने कहा, "जब आप शीशे तोड़ते हैं तो यह (हेलमेट) सुरक्षा के लिए जरूरी था."

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उन्होंने कहा कि भीड़ हॉस्टल में एबीवीपी के एक कमरे में एकत्र हुई, जिसके बाद उसने उन्हें हॉस्टल में रहने वालों के बारे में जानकारी दी कि कौन किस संगठन का है.

रोहित शाह ने कहा, "यह हमला जिस तरह से किया गया, अगर ऐसा नहीं होता तो संभव नहीं था. उन्हें (वामपंथी छात्रों को) एबीवीपी की ताकत का अंदाजा नहीं लग पाया."

अपने कबूलनामे में अक्षत अवस्थी ने दावा किया कि ड्यूटी पर तैनात पुलिस अधिकारी ने भीड़ को लेफ्ट के छात्रों को पीटने के लिए प्रोत्साहित किया.

अवस्थी ने दावा किया, "वे (पुलिस) कैंपस के बाहर नहीं, बल्कि अंदर थे. पेरियार हॉस्टल में (पहले की झड़प में) एक लड़के को चोट लगी थी, उसके बाद मैंने खुद पुलिस को बुलाया था. वह मनीष (एक छात्र) से मिले और कहा, 'उन्हें मारो, उन्हें मारो'."

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भीड़ ने अपना चेहरा क्यों ढंका था, यह पूछने पर इस छात्र ने कहा कि यह तरीका लेफ्ट के हमला करने के तरीके की ही नकल था. "हमने उनकी नकल की. लेफ्ट के लोग चेहरा ढंक कर आए थे. इसलिए हमने कहा कि हम भी चेहरा ढंक लेते हैं."

अवस्थी ने भीड़ में मौजूद चेहरा ढंके हुए एक लड़की के अलावा अन्य कई लोगों की भी पहचान की. इंडिया टुडे पुलिस के समक्ष संदिग्ध लोगों की पहचान जाहिर कर सकता है.

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