
सिगरेट पीना और तंबाकू चबाना पुरुषों का काम माना जाता था, लेकिन ताजा आंकड़ों से पता चला है कि इन नुकसानदेह चीजों का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं की तादाद बढ़ रही है. पिछले दस वर्षों से जारी सरकार के तंबाकू निषेध कार्यक्रम का कोई असर नहीं दिख रहा है.
2005-06 में 11 फीसदी महिलाएं ही हर प्रकार के तंबाकू का सेवन करती थी. लेकिन 2009 में ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे में ये सामने आया है कि तंबाकू का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं की संख्या 20 फीसदी पहुंच चुकी है. डॉक्टरों का कहना है कि ये खतरे की घंटी है. नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर में तंबाकू से छुटकारा दिलवाना वाली क्लीनिक की प्रमुख डॉक्टर सोनाली झांझी कहती है कि महिलाओं में तंबाकू से होने वाली मौतें और सेहत में खराबी बढ़ी है.
वह कहती हैं कि 'जब हम इस पेशे में आए थे तब महिलाओं में फेंफड़ों के कैंसर का केस मिलना मुश्किल होता था. लेकिन अब ऐसे कई मामले सामने आने लगे हैं. इसका सीधा संबंध तंबाकू के इस्तेमाल से है.'
दिल्ली के अपोलो अस्पताल में रेस्पिरेटरी और क्रिटिकल केयर के सिनियर कंसलटेंट राजेश चावला कहते हैं कि 'कई युवतियां सिगरेट को सशक्तिकरण और समानता से जोड़ कर देखती हैं. पहले ज्यादातर बातचीत चाय या कॉफी पर की जाती थी लेकिन अब बात करने या मिलने के लिए लोग सिगरेट पीना ज्यादा पसंद करते हैं. टीवी और फिल्मों में जवान और कामयाब महिलाओं को जिस तरह से दर्शाया जाता है उसकी इसमें बड़ी भूमिका है.'
महिलाओं का तंबाकू सेवन करना न सिर्फ फेंफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ाता है बल्कि उनकी प्रजनन क्षमता, हृदय और रेस्पिरेटरी सिस्टम को भी नुकसान पहुंचाता है.