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जस्टिस काटजू ने लोकमान्य तिलक को बताया 'ब्रिटिश एजेंट'

सोशल नेटवर्किंग साइट और ब्लॉग पर अपनी टिप्पणियों के चलते अक्सर चर्चा में रहने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्केंडेय काटजू ने अब स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक को ब्रिटिश एजेंट बताकर नए विवाद को हवा दे दी है.

जस्टिस मार्केंडेय काटजू  (फाइल) जस्टिस मार्केंडेय काटजू (फाइल)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 अगस्त 2015,
  • अपडेटेड 5:38 PM IST

सोशल नेटवर्किंग साइट और ब्लॉग पर अपनी टिप्पणियों के चलते अक्सर चर्चा में रहने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्केंडेय काटजू ने अब स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक को ब्रिटिश एजेंट बताकर नए विवाद को हवा दे दी है. काटजू ने अपने ब्लॉग 'सत्यम ब्रूयात- जस्टिस काटजू' में एक लेख में इस बात का जिक्र किया है.

लोकमान्य तिलक की पुण्यतिथि पर काटजू ने अपने बलॉग पर कि सारा देश तिलक को महान सेनानी समझता है लेकिन वह इससे समहत नहीं है. उन्होंने लिखा- 'मुझे पता है कि लोग मुझसे सहमत नहीं होंगे और इसके लिए मुझे गालियां भी देंगे, लेकिन मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता. मेरी नजर में तिलक रुढ़िवादी, अतिवादी हिंदुत्व प्रचारक और महात्मा गांधी की तरह एक ब्रिटिश एजेंट थे. उनकी विचारधारा, बयान और कार्य बिट्रेन की फूट डालो और राज करो वाली नीति से प्रेरित लगते हैं.

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काटजू ने कुछ खास किस्सों का दावा किया:
1.1894 में तिलक ने महाराष्ट्र के कई हिस्सों में गणेश की प्रतिमाओं को घर-घर स्थापित करवाया और सार्वजनिक पूजा समारोह करवाए. इनमें हिंदुओं से गायों की रक्षा और मुहर्रम में भाग न लेने की अपील की गई. इसी तरह उन्होंने 1895 में शिवाजी फेस्टिवल आयोजित किया था.
2. 1891 में जब ब्रिटिश शासन ने शादी की उम्र 10 साल की बजाय 12 करने का प्रस्ताव लाया तो उन्होंने इसका भी इस आधार पर विरोध किया था कि यह हिंदुत्व के खिलाफ है.
3. 1896 में जब बॉम्बे से लेकर पुणे तक प्लेग का प्रकोप फैला था तब ब्रिटिश सरकार ने सारे घरों में धुआं देकर बैक्टीरिया को मारने का प्रस्ताव रखा तो तिलक ने यह कहते हुए इसका विरोध किया कि इससे हिंदू महिलाओं की पर्दा प्रथा पर आंच आएगी.
4. तिलक ने एक और रुढ़िवादी व मूर्खतापूर्ण थ्योरी देते हुए कहा था कि आर्यों का असल क्षेत्र आर्कटिक में था.
5. छह साल तक बर्मा की मांडले जेल में बंद रहने के बाद तिलक पूरी तरह ब्रिटिश एजेंट की तरह काम करने लगे. यहां तक कि उन्होंने पहले विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना में भारतीयों की भर्ती का समर्थन किया. इसके अलावा मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधारों का भी समर्थन किया.
6. महात्मा गांधी और बाल गंगाधर तिलक दोनों ने अंग्रेजों के हितों को पूरा करने के लिए काम किया. भले ही उन्हें इसके लिए कुछ पैसा मिलता रहा हो या नहीं. लेकिन उन्होंने काम ब्रिटिश सरकार के लिए ही किया.

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