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दूध-फल खाता है, टीवी देखता है, कमरे में बेड पर सोता है दिल्ली गैंगरेप का नाबालिग रेपिस्ट

दिल्ली गैंगरेप का एक जुर्म के वक्त नाबालिग रहा आरोपी अब तीन साल की सजा पाकर सुधार गृह में पहुंच गया है. यहां पर एक कमरे में रहता है, बेड पर सोता है. दूध फल खाता है और टीवी देखने के अलावा खेलता भी है. यह सब मुमकिन है क्योंकि ये सुविधाएं उसे सुधार गृह में मिली हुई हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 सितंबर 2013,
  • अपडेटेड 9:03 PM IST

दिल्ली गैंगरेप का एक जुर्म के वक्त नाबालिग रहा आरोपी अब तीन साल की सजा पाकर सुधार गृह में पहुंच गया है. यहां पर एक कमरे में रहता है, बेड पर सोता है. दूध फल खाता है और टीवी देखने के अलावा खेलता भी है. यह सब मुमकिन है क्योंकि ये सुविधाएं उसे सुधार गृह में मिली हुई हैं.

रेप और हत्या के आरोप में मिलने वाली फांसी और उम्र कैद की सजा से वह इसलिए बच गया क्योंकि स्कूल का एक सर्टिफिकेट कहता है कि वह जुर्म के वक्त 18 साल का होने से महज 170 दिन पीछे था.16 दिसंबर 2012 यानी वारदात वाली रात उसकी उम्र 17 साल छह महीने और 11 दिन थी. स्कूल सर्टिफिकेट के हिसाब से गैंगरेप का ये नाबालिग आरोपी 4 जून 1995 को पैदा हुआ था.

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इस नाबालिग आरोपी का घर, स्कूल, वो सब जगहें जहां वो रेप से पहले रहा, सबकी पड़ताल की इंडिया टुडे ने

सजा में बचे हैं 27 महीने

गैंगरेप के नाबालिग मुजरिम को सजा के बाकी 27 महीने किसी जेल में नहीं काटने हैं. भले ही अब उसकी उम्र 18 साल से ज्यादा हो. इसकी वजह है कानून. जिसे लगता है कि अगर उसे जेल में खुंखार अपराधियों के बीच रखा गया तो वह और बिगड़ जाएगा. इसलिए उसे भेजा गया है सुधार गृह. गैंग रेप के बाद जब पुलिस की गिरफ्त में आया तो किंग्सवे कैंप के बाल सुधार गृह में रखा गया था. फिर वहां से उसे ऩॉर्थ दिल्ली के मजनूं का टीला इलाके में मौजूद दिल्ली सरकार के ऑब्ज़रवेशन होम में भेज दिया गया. यहां वो तब तक बाकी बच्चों के साथ रहा जब तक कि 18 साल का नहीं हो गया. फिर मुकदमे की सुनवाई और सजा के एलान के दौरान चूंकि नाबालिग आरोपी 18 साल का हो गया इसलिए उसे बाकी बच्चों के साथ नहीं रखा जा सकता था. लिहाज़ा सज़ा के ऐलान और बच्चे से बड़ा हो जाने की वजह से उसे अलग कमरे में डाल दिया गया. यानी जगह वही ऑब्जरवेशन होम है, परिसर भी वही, बस कमरा अलग कर दिया गया। और उस कमरे का नाम है प्लेस ऑफ सेफ्टी.

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क्या होती है प्लेस ऑफ सेफ्ट

दरअसल प्लेस ऑफ सेफ्टी वो जगह होती है जहां सज़ायाफ्ता और बच्चे से बालिग हुए लड़कों को रखा जाता है. गैंगरेप के आरोपी को मिलाकर इस वक्त कुल 11 सजायाफ्ता लड़के इस स्पेशल होम में रखे गए हैं. इनमें से 5 बच्चे ऐसे हैं जिनको प्लेस ऑफ सेफ्टी में रखा गया है. लेकिन गैंगरेप का गुनहगार वो इकलौता लड़का है जिसे प्लेस ऑफ सेफ्टी में भी अलग कमरा दिया गया है. दरअसल स्पेशल होम मैनेजमेंट का मानना है कि उसे दूसरे लड़कों से खतरा है. वो उसपर हमला कर सकते हैं. इसीलिए उसे अलग कमरे में अकेले रखा गया है.

दूध फल खाएगा, टीवी देखेगा, खेलेगा

स्पेशल होम के प्लेस ऑफ सेफ्टी के अलग कमरे में अकेले रह रहे दिल्ली गैंगरेप के इस मुजरिम को किसी कैदी की तरह नहीं रखा गया है. कुछ बंदिशों को छोड़ दें तो वो वहां वैसे ही रह रहा है जैसे कोई भी आज़ाद नागरिक. वो अपनी मर्जी के कपड़े पहन सकता है, टीवी देख सकता है, बैडमिंटन, कैरम के साथ बाकी खेल खेल सकता है, साथ ही रोजाना दूध और फल के साथ अच्छा खाना खा सकता है. जेल के कैदियों के उलट स्पेशल होम में रहने वाले बाल अपराधिय़ों को ज़मीन पर दरी के साथ नहीं सुलाया जाता. बल्कि उन्हें बाकायादा बेड, बिस्तर और चादर दिया जाता है. उसे भी ये सब कुछ मिला है. इतना ही नहीं वो जब चाहे घर वालों या रिश्तेदार से मिल सकता है. हालांकि फिलहाल गैंगरेप के मुजरिम से मिलने सिर्फ उसकी मां आती है.

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पुलिस नहीं दे सकती यहां पहरा

यहां गैंगरेप के नाबालिग मुजरिम को बंदिश बस इतनी है कि वो स्पेशल होम परिसर से बाहर नहीं जा सकता. परिसर में हर वक्त प्राइवेट सिक्यूरिटी गार्ड होते हैं. दरअसल स्पेशल होम में पुलिस के आने या पुलिस के पहरा देने पर रोक है. यहां तक कि किसी केस के सिलसिले में पुलिस वहां आती भी है तो उसे सादी वर्दी वर्दी में आना होता है. क्योंकि एक्ट बनाने वालों का मानना है कि इससे बच्चों पर बुरा असर पड़ सकता है. अगले 27 महीने तक दिल्ली गैंगरेप के मुजरिम की स्पेशल होम में अलग-अलग विशेषज्ञ काउंसलिंग करेंगे. वो उसके बर्ताव को समझेंगे और उसे ठीक करने की कोशिश करेंगे. साथ ही उसकी पढ़ाई में दिलचस्पी भी देंखेंगे. अगर वो पढ़ना चाहता है तो पढ़ाई कराएंगे. वर्ना दूसरे कामों में उसकी दिलचस्पी को देखते हुए उसी हिसाब से उसे ट्रेनिंग दी जाएगी. फिलहाल मजनूं का टीला स्पेशल होम में पढ़ाई के अलावा टेलरिंग, और कुकिंग का काम सिखाया जाता है.

 

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