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कमलनाथ ने किए बड़े प्रशासनिक फेरबदल, हटाए गए SP और कमिश्नर

कमलनाथ ने अपने जिले छिंदवाड़ा से ही प्रशासनिक फेरबदल शुरू कर दिया है. उन्होंने छिंदवाड़ा एसपी अतुल सिंह को हटाया और उनकी जगह मनोज राय छिंदवाड़ा एसपी बनाए गए.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ.
आदित्य बिड़वई/रवीश पाल सिंह
  • भोपाल,
  • 19 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 12:46 PM IST

मध्य प्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री के तौर पर पद संभालते ही कमलनाथ एक्शन में हैं. उन्होंने अपने जिले छिंदवाड़ा से ही प्रशासनिक फेरबदल शुरू कर दिया है. कमलनाथ ने छिंदवाड़ा एसपी अतुल सिंह को हटाया और उनकी जगह मनोज राय छिंदवाड़ा एसपी बनाए गए.

बताया जाता है कि अतुल सिंह की चुनाव के दौरान शिकायतें रहीं. उन्हें भाजपा सरकार में कटनी से छिंदवाड़ा भेजा गया था. चर्चा है कि उनकी कार्यप्रणाली को लेकर कमलनाथ नाराज भी थे.

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वहीं, रीवा कमिश्नर महेंद्र चौधरी को हटाकर मंत्रालय में पदस्थ किया है. उनकी जगह शहडोल संभाग के कमिश्नर व 2001 बैच के ही आईएएस अधिकारी जेके जैन को प्रभार सौंप दिया गया है.  

रीवा कमिश्नर चुनाव के दौरान आए थे सुर्ख़ियों में...

विधानसभा चुनाव के दौरान रीवा कमिश्नर महेश चौधरी भी विवादों में आए थे. उन पर कांग्रेसियों ने चुनाव के दौरान पक्षपात करने की शिकायत की थी. वहीं, चर्चा यह भी है कि विंध्य के नतीजों के कारण महेश चौधरी को मंत्रालय में ओएसडी पदस्थ किया गया है. क्योंकि विंध्य में ताकत झोंकने के बावजूद कांग्रेस को यहां सीटों का बड़ा नुकसान हुआ था. ऐसे में लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस विंध्य में प्रशासनिक जमावट करना चाहती है.

विंध्य था कांग्रेस का गढ़...

मालूम हो कि विंध्य कांग्रेस का गढ़ रहा है. हर चुनाव में यहां कांग्रेस को अच्छी खासी सीटें मिलती रहीं हैं. लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जरूर जीत गई, लेकिन अपने ही गढ़ में काफी सीटों का नुकसान झेला. बता दें कि कांग्रेस के गढ़ चुरहट में इस बार अजय सिंह तक चुनाव हार गए. इसलिए कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने मंथन के बाद लोकसभा को देखते हुए यह कदम उठाया है.

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सरकारी अफसरों को लेकर कमलनाथ ने दिया था विवादित बयान...

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान सागर जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए कमलनाथ ने बीजेपी के लिए काम करने वाले अफसरों को चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा था कि, ''जो भी सरकारी कर्मचारी सही काम नहीं करता और बीजेपी का बिल्ला जेब में लेकर घूमता है. 11 दिसंबर के बाद उन सबकी गिनती की जाएगी, इसलिए याद रखें कमलनाथ की चक्की देर से चलती है पर बहुत बारीक पीसती है.''

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