
देशद्रोह के आरोपी जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दायर की है. यह याचिका संविधान के अनुछेद 32 के तहत दायर की गई है. कन्हैया ने वकील राजू रामचंद्रन द्वारा दायर इस याचिका पर जस्टिस जे. चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली बेंच शुक्रवार सुबह 10:30 बजे सुनवाई करेगी.
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पटियाला हाउस कोर्ट में जिस तरह के हालात हैं, इसके कारण वहां पर मामले की सुनवाई हो पाना मुमकिन नहीं है. याचिका में लिखा गया है कि पटियाला हाउस कोर्ट में अराजकता का माहौल है. वहां याचिकाकर्ता के वकील को न सिर्फ डयूटी करने से रोका गया, बल्कि जब कन्हैया को अदालत में लाया गया तो उस पर भी हमला हुआ. आरोप लगाया गया है कि इस दौरान प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाने में असफल रहा, जबकि बड़ी संख्या में पुलिस मौजूदगी में हुई यह घटना मौलिक अधिकारों का हनन है.
'मारने पर तुले हैं वकील'
याचिकाकर्ता कन्हैया ने कहा कि वह निर्दोष है और अदालत में जब तक मुकदमा चलता है, आरोपी को निर्दोष ही माना जाता है. लेकिन पटियाला हाउस कोर्ट के वकील उसे दोषी मानते हुए मारने पर तुले हैं. यह न्यायिक व्यवस्था भरोसा खत्म करती है. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट नागरिकों के अधिकारों की रक्षक है. वह कन्हैया के इन अधिकारों की रक्षा करे और नागरिकों में भरोसा कायम करे. याचिका में लिखा गया है, 'सुप्रीम कोर्ट ने जो हमें सुरक्षा मुहैया करवाई है वो केवल कोर्ट नंबर 4 तक सीमित है. ऐसी परिस्थितियों में कन्हैया की पैरवी करने वाले वकील सत्र अदालत तक नहीं पहुंच सकते.'
न्याय को लेकर आशंकित
जेएनयू कैंपस में देश विरोधी नारेबाजी के आरोपी कन्हैया ने याचिका के जरिए कोर्ट को बताया है कि उसके वकील बुधवार शाम साढ़े सात बजे तक पटियाला हाउस कोर्ट में बंधक रहे और पुलिस उन्हें सुरक्षा मुहैया नहीं करवा पाई. पटियाला हाउस कोर्ट में बार-बार कानून व्यवस्था बिगड़ी, जो एक गंभीर मसला है. ऐसी परिस्थितियों में उसको न्याय मिलेगा, इसको लेकर वह आशंकित है.
...इसलिए चाहिए जमानत
याचिकाकर्ता ने लिखा है कि न्याय पाने के अधिकार पूरी तरह से बाधित हो रहे हैं. इन चीजों को देखते हुए मौजूदा स्थिति बहुत खराब है. ऐसी परिस्थितियों में विशिष्ट उपाय ही चाहिए होते हैं. याचिकाकर्ता के पास उसकी जान की सुरक्षा के लिए और कोई रास्ता नहीं बचा है, इसलिए वह जमानत पाने के लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहा है.
एसआईटी जांच की भी मांग
दूसरी ओर, एक अन्य याचिका दायर कर इस मामले की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) के गठन की भी मांग की गई है. याचिकाकर्ता सुभाष चंद्रन का कहना है कि इस मामले में निष्पक्ष न्याय के लिए मामले की एसआईटी द्वारा जांच की जानी चाहिए. साथ ही आरोपी वकीलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए.
वकीलों के पैनल ने सौंपी रिपोर्ट
इन सब के बीच, पटियाला हाउस कोर्ट में वकीलों के बवाल की जांच करने गए 6 सदस्यीय वरिष्ठ वकीलों के पैनल ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. गुरुवार दोपहर 2 बजे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे. चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश की गई. दिल्ली हाईकोर्ट रजिस्ट्रार ने भी पटियाला हाउस कोर्ट में देशद्रोह के आरोपी कन्हैया पर हुए हमले के मामले की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंप दी है. दिल्ली पुलिस की ओर से बताया गया कि वह अपनी रिपोर्ट शुक्रवार सुबह साढ़े 10 बजे अदालत सामने रखेंगे.
उधर, सुप्रीम कोर्ट के सामने एक वकील ने बताया कि उसकी पटियाला हाउस कोर्ट में बुधवार को पिटाई की गई थी. लेकिन पुलिस उसकी शिकायत पर मुकदमा दर्ज नहीं कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता को कहा कि वह इस मामले को देखेंगे.
'हमें गालियां दीं, पत्थर फेंके'
बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट के हालातों का मुआयना कर वापस लौटे 6 वरिष्ठ वकीलों के पैनल में शामिल वरिष्ठ वकील हरेन रावल ने अदालत को बताया था कि पटियाला हाउस कोर्ट में आतंक का माहौल था. हर कोई डरा हुआ था. उन्होंने वहां पहुंचकर पूरे हालात को अपने मोबाइल कैमरे में कैद किया और विडियो रिकॉर्डिंग की. रावल ने कहा, 'वकीलों ने यह मालूम होने के बावजूद कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति का जायजा लेने के लिए भेजा है, हमें गालियां दीं और पूरे दल पर बजरी और गमले के टुकड़े फेंक कर मारे. वहां मौजूद पुलिसकर्मी उन्हें रोकने में असमर्थ थे.'