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कर्नाटक की BTM सीटः क्या गृह मंत्री के गढ़ को तोड़ पाएगी BJP?

छह बार विधायक रह चुके और सातवीं बार विधानसभा में पहुंचने के लिए आश्वस्त गृह मंत्री रामलिंग रेड्डी को चुनौती देने के लिए बीजेपी ने रेड्डी बंधुओं के रिश्तेदार लल्लेश रेड्डी को मैदान में उतारा था.

वोट डालने के बाद परिवार के साथ कर्नाटक के गृह मंत्री रामलिंग रेड्डी (फोटो उनके ट्विटर अकाउंट से) वोट डालने के बाद परिवार के साथ कर्नाटक के गृह मंत्री रामलिंग रेड्डी (फोटो उनके ट्विटर अकाउंट से)
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 14 मई 2018,
  • अपडेटेड 6:03 AM IST

कर्नाटक की बीटीएम लेआउट एक वीआईपी सीट है जहां से कांग्रेस नेता और गृह मंत्री रामलिंगा रेड्डी विधायक हैं. वह काफी कद्दावर नेता हैं. छह बार विधायक रह चुके हैं और सातवीं बार विधानसभा में पहुंचने के लिए आश्वस्त हैं. उनको चुनौती देने के लिए बीजेपी ने रेड्डी बंधुओं के रिश्तेदार लल्लेश रेड्डी को मैदान में उतारा था.

यह सीट कांग्रेस नेता रामलिंगा का गढ़ है और इसे तोड़ने के लिए लल्लेश रेड्डी ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया है. गौरतलब है कि कर्नाटक की 222 विधानसभा सीटों पर 12 मई को चुनाव हुए हैं और करीब 72 फीसदी की अच्छी वोटिंग हुई है. विभि‍न्न वजहों से दो सीटों पर चुनाव टाल दिया गया.

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सीट संख्या 172- BTM लेआउट

बीटीएम असल में तीन इलाकों बाइरासांद्रा, थवारेकेरे और माडिवाला का शॉर्ट रूप है. यह बेंगलुरु दक्षिण लोकसभा क्षेत्र के तहत आता है. यह मशहूर इलेक्ट्राॅनिक सिटी और आईटीपीएल के पास है, बेंगलुरु के आईटी सिटी के दो महत्वपूर्ण उपनगर हैं. इस इलाके में मशहूर कैफे और डिस्कोथेक है और कई नेचुरल टूरिस्ट प्लेस भी हैं.

बीटीएम एक सामान्य सीट है. चुनाव आयोग ने यहां कुल 247 पोलिंग स्टेशन बनाए थे. यहां कुल 2,63,860 वोटर हैं, जिनमें 1,39,086 पुरुष और 1,24,747  महिला वोटर हैं. इस इलाके में साक्षरता दर करीब 91 फीसदी है.

यहां प्रदूषण का बढ़ता स्तर चुनावी मुद्दा बन गया था और गृहमंत्री को इससे बचने के उपाय बताने पड़े. बीजेपी ने बेंगलुरु से सटे हाईटेक सिटी इस विधानसभा क्षेत्र में क्राइम रेट सबसे अधिक होने को चुनावी मुद्दा बनाया.

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रेड्डी बनाम रेड्डी

गृहमंत्री रामलिंगा रेड्डी के सामने बीजेपी ने रेड्डी बंधुओं के रिश्तेदार लल्लेश रेड्डी को चुनावी मैदान में उतारा था. जनता दल सेकुलर ने के. देवदास को मैदान में उतारा था. आम आदमी पार्टी ने यहां से सैयद अब्बास को खड़ा किया था. कुल 13 कैंडिडेट मैदान में थे.

साल 2008 में परिसीमन के बाद बनी यह सीट तबसे ही कांग्रेस का गढ़ रही है. रामलिंग रेड्डी को साल 2017 में जी. परमेश्वर की जगह गृह मंत्री बनाया गया था. इसके पहले वह ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर थे. जनता में उनकी छवि अच्छी है.

रामलिंगा राज्य के कुछ ऐसे दिग्गज नेताओं में हैं, जिन्हें हराना मुश्किल है. बीटीएम लेआउट विधानसभा से ही वह दो बार लगातार विधायक रह चुके हैं. कांग्रेस ने उन्हें इस बार भी टिकट दिया और वह तीसरी बार यहां से जीतने के लिए पूरा जोर लगा चुके हैं. इससे पहले वह बेंगलुरु और जयानगर से भी विधायक रह चुके हैं. रामलिंगा के पास करीब 67 करोड़ रुपये की संपत्ति‍ है.

साल 2013 के विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस नेता रामलिंगा रेड्डी ने जबर्दस्त 69,712 वोट पाकर बीजेपी के एन.सुधाकर को हराया था. एन सुधाकर को महज 20,664 वोट हासिल हुए थे.

रामलिंगा साल 1989 से अब तक छह बार विधायक रह चुके हैं. चार बार जयानगर सीट से और दो बार बीटीएम लेआउट से. उन्होंने सरकारी बंगला नहीं लिया है और अपने ही घर में रहते हैं.

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इस बार के चुनाव में बीजेपी ने एन. सुधाकर को यहां से टिकट नहीं दिया और लल्लेश रेड्डी को उतारा गया. लल्लेश रेड्डी बेंगलुरु में ही पले-बढ़े हैं और सार्वजनिक जीवन का अनुभव उन्हें अपने परिवार से विरासत में मिला है. उन्होंने एमबीए और सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है.

अपने जिन सात लोगों को टिकट दिलाने में रेड्डी बंधु कामयाब हुए थे, उनमें से एक लल्लेश भी थे. वह पेशे से रियल एस्टेट कारोबारी हैं और उनके पास भी पैसे की कोई कमी नहीं है. उनके पास करीब 31 करोड़ की प्राॅपर्टी है. वह जी. जनार्दन रेड्डी के समर्थन के भरोसे अपनी नैया पार लगने की उम्मीद रखते हैं.

अब 15 मई को ही यह साफ हो पाएगा कि कांग्रेस के इस मजबूत गढ़ को बीजेपी किस हद तक दरका पाती है.

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