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10 साल बाद फिर उसी स्थिति में येदियुरप्पा, क्या दोबारा नैया पार लगाएगा 'ऑपरेशन लोटस'?

एक बार फिर कर्नाटक दस साल पुराने अपने राजनीतिक इतिहास को दोहराएगा. येदियुरप्पा जब बहुमत साबित न कर पाने के चलते शपथ लेने के सात दिन के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. 'ऑपरेशन लोट्स' के जरिए एक साल के सत्ता में पूर्ण बहुमत के साथ वापसी की थी.

बीएस येदियुरप्पा और राज्यपाल वजुभाई वाला बीएस येदियुरप्पा और राज्यपाल वजुभाई वाला
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 17 मई 2018,
  • अपडेटेड 4:33 PM IST

कर्नाटक की सत्ता के सिंहासन पर बीजेपी काबिज हो गई है. मुख्यमंत्री के तौर पर बीएस येदियुरप्पा ने तीसरी बार शपथ ली है. हालांकि, अभी बहुमत साबित करना एक बड़ी चुनौती है. बहुमत के जादुईं आंकड़े को साबित करने में वो सफल होते हैं या एक बार फिर कर्नाटक दस साल पुराने अपने राजनीतिक इतिहास को दोहराएगा. 2008 में येदियुरप्पा ने कर्नाटक की जंग तो फतह कर लिया था लेकिन तब भी पार्टी बहुमत से तीन सीटें दूर थी. ऐसे में बीजेपी ने ऑपरेशन लोटस के जरिए सत्ता को बरकरार रखा था.

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बता दें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव की 222 सीटों पर आए नतीजों में बीजेपी को 104 सीटें मिली हैं, जो कि बहुमत से 8 विधायक कम हैं. कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 37, बसपा को 1 और अन्य को 2 सीटें मिली हैं. ऐसे में बीजेपी भले ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी हो, लेकिन बहुमत से वो दूर है. जबकि कांग्रेस और जेडीएस ने नतीजे आने के बाद हाथ मिला लिया है.

बीजेपी ने जहां सबसे बड़ी पार्टी होने के चलते सरकार बनाने का दावा पेश किया, तो वहीं जेडीएस और कांग्रेस ने गठबंधन करके विधायकों की पर्याप्त संख्या होने का हवाला देकर सरकार बनाने का दावा पेश किया.

बुधवार की शाम कर्नाटक के राज्‍यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी को सरकार बनाने का न्‍योता भेजा और उन्हें 15 दिन में बहुमत साबित करने का समय दिया. येदियुरप्पा ने अपने तय समय के अनुसार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन असल परिक्षा बहुमत साबित करने की है. कांग्रेस और जेडीएस अपने-अपने विधायकों सहजने में जुटे हैं. जबकि बीजेपी बहुमत के लिए गुणा गणित फिट बनाने में जुटी है.

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क्या हुआ था 2008 में, क्या था ऑपरेशन लोटस?

कर्नाटक में 'ऑपरेशन लोटस' अचानक से चर्चा का विषय बन गया है. 2008 में बीजेपी कुछ ऐसी ही परिस्थिति में फंस गई थी, तब बीजेपी की रणनीतिक चाल को ऑपरेशन लोटस का नाम दिया गया था. उस चुनाव में भी बीजेपी बहुमत के आंकड़े से तीन सीटें दूर थी.

कर्नाटक विधानसभा में बहुमत परीक्षण से पहले जेडीएस और कांग्रेस के 6 विधायकों ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. बाद में हुए उपचुनाव में उन विधायकों ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ाया और वे सभी जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. कांग्रेस और जेडीएस ने आरोप लगाया था कि बीजेपी ने उनके विधायकों की खरीद फरोख्त कर ली थी. इस तरह से येदियुरप्पा बहुमत साबित करने में सफल हुए थे.

कर्नाटक में बीजेपी फिर उसी मुहाने पर खड़ी है, जहां येदियुरप्पा को बहुमत की अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा. बहुमत साबित कर लेंते हैं तो फिर सत्ता के सिंहासन पर काबिज रहेंगे. बीजेपी के पास 104 विधायक हैं और बहुमत के लिए 112 का जादुई आंकड़ा. इस तरह से 8 विधायकों की पार्टी को जरूरत है.

ऐसे में बीजेपी को दूसरे दलों के 8 विधायकों की जरूरत होगी. ऐसे में बीजेपी एक बार फिर ऑपरेशन लोटस के जरिए सत्ता को बरकरार रखने की कोशिश जारी है. मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने दावा कि है कि उनके पास 120 विधायकों का समर्थन है. इसका मतलब साफ है कि कांग्रेस और जेडीएस के कुछ विधायकों को बीजेपी अपने पाले में लाने की कोशिश में जुटी है.

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