
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पारंपरिक सीट बदलकर मैसूर जिले के चामुंडेश्वरी से इस बार किस्मत आजमा रहे सूबे के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आज अपना नामांकन दाखिल किया.
सिद्धारमैया ने नामांकन दाखिल करने के पहले चामुंडेश्वरी विधानसभा में ही अपने गांव सिद्धरामागुडी गांव का भी दौरा किया. अपने गांव में सिद्धारमैया कई मंदिरों में गए और नामांकन के पहले देवी-देवताओं का आशीर्वाद हासिल किया.
मंदिर-मंदिर घूम रहे सिद्धारमैया को गांव में कार्यकर्ताओं का समर्थन मिला. गांव का दौरा करने के बाद सिद्धारमैया मैसूर के सबसे विख्यात चामुंडेश्वरी देवी के दर्शन करने के लिए मंदिर पहुंचे. सिद्धारमैया ने यहां चामुंडेश्वरी देवी की पूजा अर्चना की और प्रसाद भी चढ़ाया.
चामुंडेश्वरी देवी के दर्शन के बाद सिद्धारमैया मैसूर शहर में मिनी विधानसभा पहुंचे और रिटर्निंग ऑफिसर के सामने हलफनामे के साथ अपना नामांकन दाखिल किया.
सबसे दिलचस्प घटना रही कि जब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपना नामांकन करने के लिए रिटर्निंग अफसर के दफ्तर पहुंचे तो वहां पहले से ही चामुंडेश्वरी सीट से उनके खिलाफ जेडीएस के टिकट पर उतरे जीटी देवगौड़ा अपना नामांकन दाखिल करने के लिए मौजूद थे.
कहा तो यहां तक जा रहा है कि चामुंडेश्वरी सीट से सिद्धारमैया को हराने के लिए जेडीएस और बीजेपी एक साथ होकर चुनाव लड़ सकती हैं. सिद्धारमैया ने इस सवाल के जवाब में कहा था कि उन्हें भी इस बात की जानकारी है लेकिन बीजेपी और जेडीएस का इस तरह का एक्सपेरिमेंट 2006 में नाकामयाब हो गया था.
वहीं, जेडीएस के उम्मीदवार जीटी देवगौड़ा ने आजतक से बातचीत में बीजेपी के समर्थन की हर संभावनाओं को नकार दिया और कहा कि कर्नाटक में जीत जेडीएस की होगी. रिटर्निंग अफसर के दफ्तर में एक तरफ जहां कांग्रेस के कार्यकर्ता हाथों में झंडे लेकर नारे लगा रहे थे.
वहीं दूसरी तरफ जेडीएस के कार्यकर्ता भी अपने उम्मीदवार के समर्थन में पहुंचे थे. दोनों विरोधी पार्टियों के कार्यकर्ताओं में बवाल ना हो इसके लिए मैसूर पुलिस को भी खासी मशक्कत करनी पड़ी.
जेडीएस के उम्मीदवार जीटी देवगौड़ा के नामांकन के बाद पुलिस ने उन्हें दूसरे गेट से उनके कार्यकर्ताओं के साथ बाहर जाने का रास्ता दिया ताकि सिद्धारमैया के बाहर निकलते समय दोनों पार्टी के कार्यकर्ता एक दूसरे के नेताओं का विरोध ना कर सकें. एक ही इमारत में मौजूद होने के बावजूद भी सिद्धारमैया और जीटी देवगौड़ा के बीच बातचीत नहीं हुई.