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सुप्रीम कोर्ट में CBI का दावा- विदेश जाकर अपने खाते बंद कर रहे थे कार्ति चिदंबरम

सिब्बल का तर्क था कार्ति अपनी बेटी को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश दिलाने के लिये गये थे. इस पर मेहता ने तपाक से कहा, ‘‘यदि आपने सिर्फ यही किया था तो फिर आपको किस बात का डर है?’’ मेहता ने जब वित्तीय जांच इकाई की रिपोर्ट का हवाला दिया तो कार्ति के वकील ने कहा, ‘‘इसकी पिछले दस साल से जांच की जा रही है.’’

कार्ति के खिलाफ लुक आउट नोटिस को ठहराया सही कार्ति के खिलाफ लुक आउट नोटिस को ठहराया सही
BHASHA
  • नई दिल्ली,
  • 23 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 8:02 AM IST

केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को विदेश जाने से रोका गया क्योंकि वह विदेशी बैंकों के अपने कई खातों को कथित रूप से बंद कर रहे थे. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष जांच एजेन्सी ने कार्ति के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी करने को न्यायोचित ठहराते हुये कहा कि उनकी विदेश यात्राओं के दौरान का सामने आया विवरण ‘हतप्रभ’ करने वाला है और इसका भ्रष्टाचार के मामले में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी से सीधा संबंध है.

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जांच ब्यूरो ने वित्त मंत्री के रूप में पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में INX मीडिया को विदेश से 305 करोड़ रूपए प्राप्त करने के बारे में विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी में कथित अनियमितताओं के संबंध में 15 मई को FIR दर्ज की थी.

सीबीआई की ओर से अतिरक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता पीठ के समक्ष सीलबंद लिफाफे में कुछ दस्तावेज पेश करना चाहते थे जिसका कार्ति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जोरदार विरोध किया. इस पर मेहता ने कहा, ‘‘आपने विदेश में जो किया है उसका हिस्सा सीलबंद लिफाफे में है.’’ सिब्ब्ल ने सीबीआई को सीलबंद लिफाफे में दस्तावेज पेश करने की अनुमति देने के तुषार मेहता के अनुरोध का विरोध किया लेकिन अतिरिक्त सालिसीटर जनरल ने इस अवसर का लाभ उठाया और इसके संक्षिप्त मजमून को बताया.

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इस पर सिब्बल ने कहा, ‘‘मैं इस पर आपत्ति कर रहा हूं. यह प्राथमिकी का हिस्सा नहीं है, वे इस तरह से अदालत में दस्तावेज दाखिल नहीं कर सकते.’’ पीठ ने इस मामले में दोनों की आगे दलीलें सुनने के लिये इसे 4 अक्टूबर की तारीख तय की गई.

सिब्बल का तर्क था कार्ति अपनी बेटी को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश दिलाने के लिये गये थे. इस पर मेहता ने तपाक से कहा, ‘‘यदि आपने सिर्फ यही किया था तो फिर आपको किस बात का डर है?’’ मेहता ने जब वित्तीय जांच इकाई की रिपोर्ट का हवाला दिया तो कार्ति के वकील ने कहा, ‘‘इसकी पिछले दस साल से जांच की जा रही है.’’ अतिरिक्त सालिसीटर जनरल ने पीठ से आग्रह किया, ‘‘आप कृपया इन दस्तावेजों को देख लीजिये. आरोपी यह नहीं कह सकता कि ‘‘अदालत को इन्हें नहीं दिखायें.’’

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