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ED की कार्ति चिदंबरम पर कार्रवाई, 90 लाख की FD समेत कई बैंक खाते कुर्क

प्रवर्तन निदेशालय ने एयरसेल मैक्सिस केस में कार्रवाई करते हुए कार्ति चिदंबरम की संपत्ति कुर्क की है. सोमवार को ED ने कार्ति के बैंक अकाउंट्स और 90 लाख की फिक्स्ड डिपोसिड को भी कुर्क किया है.

कार्ति चिदंबरम (फाइल फोटो) कार्ति चिदंबरम (फाइल फोटो)
शिवेंद्र श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:58 PM IST

प्रवर्तन निदेशालय ने एयरसेल मैक्सिस केस में कार्रवाई करते हुए कार्ति चिदंबरम की संपत्ति कुर्क की है. सोमवार को ED ने कार्ति के बैंक अकाउंट्स और 90 लाख की फिक्स्ड डिपोसिड को भी कुर्क किया है.

दरअसल, कार्ति अपनी अधिकतर संपत्तियों को बेचने की कोशिश कर रहे थे साथ ही बैंक अकाउंट्स को भी बंद कर रहे थे. ED का कहना है कि कार्ति और पी. चिदंबरम को एयरसेल मैक्सिस डील में सॉफ्टवेयर कंसलटंसी के नाम पर 2 लाख डॉलर की रकम दी गई थी.

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बैंक खाते बंद करने का था शक

केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा था कि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को विदेश जाने से रोका गया क्योंकि वह विदेशी बैंकों के अपने कई खातों को कथित रूप से बंद कर रहे थे.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष जांच एजेन्सी ने कार्ति के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी करने को न्यायोचित ठहराते हुये कहा कि उनकी विदेश यात्राओं के दौरान का सामने आया विवरण ‘हतप्रभ’ करने वाला है और इसका भ्रष्टाचार के मामले में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी से सीधा संबंध है.

कार्ति पर क्या हैं आरोप?

कार्ति पर आरोप है कि उन्होंने आईएनएक्स मीडिया से उसके खिलाफ मॉरीशस से निवेश हासिल करने के लिए विदेशी निवेश प्रमोशन बोर्ड की शर्तों का उल्लंघन करने को लेकर चल रही कर जांच में हेर-फेर करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने के लिए धन हासिल किया.

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सीबीआई के 10 लाख रपए के वाउचर भी मिले थे जो सेवाओं के बदले कथित रूप से दिए गए थे. सीबीआई ने आरोप लगाया था कि ये वाउचर एडवांटेज स्ट्रैटजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड को दिए गए थे. इस कंपनी पर परोक्ष रूप से कार्ति का स्वामित्व है.

क्या है एयरसेल मैक्सिस डील?

दरअसल, एयरसेल मैक्सिस डील में तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कैबिनेट कमेटी की अनुमति के बिना ही मंजूरी दी जबकि ये डील 3500 करोड़ की थी. नियमों के मुताबिक वित्तमंत्री 600 करोड़ रुपये तक की डील को ही मंजूरी दे सकते थे. एफआईपीबी ने फाइल को वित्तमंत्री के पास भेजा और उन्होंने इसे मंजूर कर दिया. हालांकि कोर्ट ने कहा था कि इससे पहले कि कोई नोटिस जारी किया जाए, याचिकाकर्ता को पहले कोर्ट को प्रथम दृष्टया सबूत मैटेरियल के तौर पर पेश करने होंगे.

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