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EXCLUSIVE: कश्मीर में दहशत की फंडिंग के लिए PAK के 'ब्रिगेडियर प्लान' का पर्दाफाश!

भारत और पाकिस्तान ने आपसी भरोसा बढ़ाने के लिए साल 2008 में दोनों ओर के कश्मीर के बीच कारोबार को बढ़ावा देने का फैसला किया था. इसके लिए एलओसी पर कुछ जगहों से विनिमय प्रणाली यानी बार्टर सिस्टम के तहत 21 तरह के सामानों का आदान-प्रदान किया जाता है. लेकिन पाकिस्तान ने भारत की पीठ में फिर छुरा भोंकते हुए इसी सिस्टम को फंडिंग का जरिया बनाया.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • श्रीनगर,
  • 01 मई 2017,
  • अपडेटेड 11:59 AM IST

कश्मीर में हिंसा को सुलगाने में पाकिस्तान का रोल जगजाहिर है. लेकिन पत्थरबाजों, अलगाववादियों और आतंकियों की दुकान चलाए रखने के लिए पाक में दहशतगर्दों के आका फंडिंग कैसे करते हैं, इसकी परतें अब खुल रही हैं. आजतक के हाथ लगी लगी एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक आईएसआई इस काम के लिए दोनों तरफ के कश्मीर के बीच होने वाले कारोबार का सहारा ले रही है. इस साजिश को ब्रिगेडियर प्लान नाम दिया गया है.

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क्या है ब्रिगेडियर प्लान?
भारत और पाकिस्तान ने आपसी भरोसा बढ़ाने के लिए साल 2008 में दोनों ओर के कश्मीर के बीच कारोबार को बढ़ावा देने का फैसला किया था. इसके लिए एलओसी पर कुछ जगहों से विनिमय प्रणाली यानी बार्टर सिस्टम के तहत 21 तरह के सामानों का आदान-प्रदान किया जाता है. लेकिन पाकिस्तान ने भारत की पीठ में फिर छुरा भोंकते हुए इसी सिस्टम को फंडिंग का जरिया बनाया. समझौते को दरकिनार करते हुए इस्लामाबाद ईरान, अमेरिका, तुर्की और अफगानिस्तान जैसे देशों से मंगवाए सामान को भी ड्यूटी फ्री भारत भेजने लगा. पूरी साजिश की भूमिका एक रिटायर्ड ब्रिगेडियर को सौंपी गई.

ऐसे हो रही है दहशत की फंडिंग
NIA सूत्रों की मानें तो ISI ने पत्थरबाजों की फंडिंग के लिए पीओके में बाकायदा फंड मैनेजर तैनात किये हैं. ये एजेंट सरहद पर सामान के आदान-प्रदान की फर्जी इन-वॉयसिंग का सहारा लेते हैं. आयात और निर्यात के सामान की कीमत कम करके दिखाई जाती है और बाकी पैसे का बड़ा हिस्सा अलगाववादियों तक पहुंचाया जाता है. एनआईए की जांच में पता चला है कि 2008 से 2016 के बीच उरी के रास्ते पाकिस्तान की ओर से कुल 2 हजार करोड़ रुपये का सामान निर्यात किया गया. वहीं भारत ने इस दौरान 1900 करोड़ का सामान उस पार भेजा. सूत्रों की मानें तो बाकी बचे 100 करोड़ घाटी में पत्थरबाजों और हथियाबंद आतंकियों की फंडिंग के लिए इस्तेमाल किये गए.

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इसी तरह 2008 से 2016 के बीच पुंछ के रास्ते भारत ने पाकिस्तान को कुल 650 करोड़ रुपये का सामान निर्यात किया. बदले में पाकिस्तान से 2100 करोड़ रुपये का सामान भारत आया. यानी कश्मीर की कुछ ट्रेडिंग कंपनियों की मदद से आईएसआई 1450 करोड़ रुपये दहशतगर्दों तक पहुंचाने में कामयाब रही.

एनआईए रडार पर ट्रेडिंग कंपनियां
एनआईए को शक है कि इस तरकीब से घाटी भेजा गया पैसा हुर्रियत नेताओं तक भी पहुंचा है. इस रकम का बड़ा हिस्सा पत्थरबाजों को दिया जा रहा है. सूत्रों की मानें तो फिलहाल करीब 667 ट्रेडिंग कंपनियां जांच के घेरे में हैं. इनमें से 6-7 ट्रेडिंग कंपनियों से कई दौर की पूछताछ हो चुकी है. एनआईए ये पता भी लगा रही है कि उरी और पुंछ के जरिये कश्मीर पहुंचाए गए 1550 करोड़ रुपये कहां इस्तेमाल हुए. इसके अलावा दर्जनों पुलिस अफसरों, कस्टम अधिकारियों, ट्रांसपोर्टरों और परमिट देने वाले अधिकारियों से भी पूछताछ की गई है. पूछताछ में खुलासा हुआ है कि कई ट्रेडिंग कंपनियों ने इस गोरखधंधे को अंजाम देने के लिए 20-20 फर्जी कंपनियां बना रखी थीं. माना जा रहा है कि कश्मीर के पंपोर के अलावा चंडीगढ़, गुजरात और दिल्ली के कारोबारी भी इस गुनाह में शामिल हो सकते हैं.

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