
वार्षिक बजट हो या फिर अंतरिम बजट, आम आदमी के लिए यदि टैक्स में छूट अथवा इजाफा मायने रखता है तो उसकी रुचि इसमें भी रहती है कि बीते वित्त वर्ष के दौरान देश की सरकार को कहां से और कितनी आमदनी हुई. इसके साथ ही वह यह भी जानना चाहता है कि इस आमदनी की रकम को अगले वित्त वर्ष के दौरान सरकार कहां-कहां खर्च करने जा रही है. जानें बजट दस्तावेज की मदद से सरकार के खजानें में एकत्र रुपया कहां-कहां से कितना एकत्र हुआ और उस रुपये के कितने अंश को कहां-कहां खर्च करने की तैयारी है.
खजाने में कहां से आता है रुपये
बजट दस्तावेज में दिए पाई-चार्ट के मुताबिक केन्द्र सरकार के राजस्व में सबसे बड़ा योगदान गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स की वसूली से होता है. 1 रुपये का 21 पैसा यानी 21 फीसदी राजस्व वित्त वर्ष 2018-19 में जीएसटी से एकत्र हुआ है. वहीं जीसटी जितनी 21 फीसदी कमाई सरकार को कॉरपोरेशन टैक्स अथवा निगम कर से होती है. वहीं चालू वित्त वर्ष के दौरान केन्द्रीय खजाने में तीसरा सबसे बड़ा योगदान सरकार द्वारा दिए गए कर्ज और अन्य देनदारी से एकत्र होता है. इसका योगदान 19 फीसदी है. सरकारी खजाने में चौथा अहम योगदान इनकम टैक्स से होता है. इनकम टैक्स से सरकार को कुल 17 फीसदी राजस्व मिल रहा है.
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खजाने से कहां जाता है रुपया
वहीं इसी आधार पर सरकार के खजाने से खर्च को देखें तो सरकार की कमाई के एक रुपये में सर्वाधिक 23 पैसे का खर्च यानी 23 फीसदी खर्च राज्यों को टैक्स और शुल्क में हिस्सा देने में जाता है. राज्यों के भुगतान के बाद केन्द्र सरकार का दूसरा सबसे बड़ा खर्च सरकार द्वारा लिए गए कर्ज का ब्याज अदा करने में जाता है. कुल राजस्व का लगभग 18 फीसदी पैसा ब्याज अदा करने में खर्च किया जाता है. इसके बाद केन्द्रीय क्षेत्र की योजनाओं पर 12 फीसदी खर्च, देशभर में केन्द्र सरकार की चलने वाली योजनाओं पर 9 फीसदी राजस्व का खर्च और आर्थिक सहायता अथवा सब्सिडी देने में अतिरिक्त 9 फीसदी का खर्च किया जाता है. इसके अलावा रक्षा क्षेत्र की जरूरतों के लिए 8 फीसदी और रिटायर्ड कर्मचारियों को पेंशन देने में 5 फीसदी खर्च किया जाता है.