
मथुरा में हिंसा के बाद जवाहर बाग की टूटी दिवारें तो बन गईं, लेकिन रामवृक्ष यादव का जुल्मी राज हमेशा के लिए खत्म हो गया. इस छावनीनुमा चारदीवारी से घिरे 280 एकड़ के बाग में रामवृक्ष के साथ यहां रहे लोगों ने जो आपबीती सुनाई है उससे साफ पता चलता है कि यहां जलियांवाला बाग जैसे कांड की तैयारी पहले से ही थी.
पुलिस हिरासत में मौजूद सत्याग्रहियों की मानें तो रामवृक्ष धमकाते हुए कहता था कि जवाहर बाग को वो किसी दिन जलियांवाला बाग बना देगा. यही नहीं उसके साथ इस बाग में रहने वालों को छुट्टी पर जाने के लिए अमानवीय प्रक्रिया से गुजरना होता था. सबसे पहले छुट्टी की अर्जी देना ही सौ सवालों का सबब बन जाता था.
छुट्टी के लिए यातना से गुजरते थे सत्याग्रही
सिर्फ दो जून की रोटी और आजाद हिन्द सरकार बनने के खोखले ख्वाबों के आसरे पर दिन रात फोकट में खटने वालों को यदि दो-चार दिन छुट्टी पर जाना हो तो अर्जी मंजूर कराने के लिए भी यातना भरे इंटरव्यू में कई अनर्गल सवालों के जवाब देने होते थे. छुट्टी पर फाइनल मोहर तब लगती जब जाने वाला दो लोगों को जमानती तौर पर अंदर रखवा देता.
रामवृक्ष की गैंग में ऐसे शामिल होते थे लोग
बताया जा रहा कि जमानती आमतौर पर भुखमरे और मजबूर लोग होते थे, जिन्हें यहां दो जून का खाना मिल जाता था. जल्दी ही यहां की रोटियां और रोजाना भड़काऊ भाषणों के टॉनिक लेकर वे यहां के रंग-ढंग में ढल जाते थे. इस तरह भुखमरों के पेट को भोजन मिल जाता और रामवृक्ष की सेना को नया रंगरूट मिल जाता था.
ऐसे दी जाती थी हथियार चलाने की ट्रेनिंग
एक महिला सत्याग्रही ने बताया कि रामवृक्ष यादव और उसके साथी बाग में मौजूद पुरुषों-महिलाओं को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देते थे. महिला ने बताया कि वह जब अंदर गई तो वहां हर तरफ हथियार टंगे हुए देखे थे. उनके अंदर जाते ही बाहर ताला बंद कर दिया गया और धमकाते हुए कहा गया कि बाहर जाओगे तो मार दिए जाओगे.