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चंडीगढ़ केसः जानें उन हटाई गईं धाराओं का मतलब और उसकी सजा

सोमवार को इलाके के सीसीटीवी फुटेज का न मिलना भी सुर्खियों में बना रहा. छेड़छाड़ के आरोपी विकास और उसके दोस्त आशीष पर शुरूआत में जो धाराएं लगाईं गईं थीं, उनमें उन्हें यह सजा हो सकती हैः

फिर गिरफ्तार हो सकते हैं छेड़छाड़ के आरोपी विकास बराला और आशीष फिर गिरफ्तार हो सकते हैं छेड़छाड़ के आरोपी विकास बराला और आशीष
राहुल सिंह
  • चंडीगढ़,
  • 07 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 10:56 PM IST

हरियाणा के वरिष्ठ IAS वीरेंद्र कुंडू की बेटी वर्णिका कुंडू के साथ छेड़छाड़ का मामला सुर्खियों में है. घटना का मुख्य आरोपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला का बेटा विकास बराला है. विकास और उसके दोस्त को पुलिस स्टेशन से जमानत दिए जाने, उन पर लगाई गई संगीन धाराओं को बाद में हटाने के मामले में पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं. वहीं सोमवार को इलाके के सीसीटीवी फुटेज का न मिलना भी सुर्खियों में बना रहा. विकास पर शुरूआत में जो धाराएं लगाईं गईं थीं, उनमें उसे यह सजा हो सकती हैः

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दरअसल चंडीगढ़ पुलिस ने पहले विकास और उसके दोस्त आशीष के खिलाफ आईपीसी की धारा 354-डी और मोटर व्हिकल एक्ट की धारा 185 के तहत मामला दर्ज किया था. लेकिन कुछ ही घंटों के बाद मामले में धारा 341, 365 और 511 को जोड़ दिया गया. मगर तीसरी बार 365 और 511 को हटाकर केवल धारा 341 को ही जोड़ा गया.

आईपीसी की धारा 354 D - गलत इरादे से पीछा करना.

सजा - तीन साल की सजा और जुर्माना.

मोटर व्हिकल एक्ट की धारा 185 - नशे की हालत में गाड़ी चलाना.

सजा - 6 माह की सजा और जुर्माना.

आईपीसी की धारा 341 - गलत इरादे से रोकना.

सजा - एक माह की सजा और 500 रुपये जुर्माना.

जो धाराएं हटाईं गई हैं:

आईपीसी की धारा 365 - गुप्त रूप से और गलत तरीके से व्यक्ति को प्रतिबंधित करने के उद्देश्य से अपहरण करना.

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सजा - अधिकतम 7 साल की सजा.

आईपीसी की धारा 511 - संगीन अपराध को अंजाम देने की कोशिश करना.

सजा - अधिकतम आजीवन कारावास.

क्या सत्ताधारी पार्टी के रसूख को देख हटाई गईं ये धाराएं?

यह दोनों ही धाराएं (365 और 511) गैर जमानती हैं. इसके बावजूद दोनों आरोपियों को उसी दिन पुलिस स्टेशन से जमानत दे दी गई. आरोप है कि पुलिस वालों ने पहले आरोपियों के खिलाफ संगीन धाराओं में केस दर्ज किया, लेकिन जैसे ही विकास बराला के सत्ताधारी पार्टी के रसूखदार नेता का बेटा होने का पता चला जानबूझकर विकास पर से संगीन आरोपों की फेहरिस्त हटा दी और मामूली धाराओं में मुकदमा दर्ज कर थाने से ही जमानत दे दी. चंडीगढ़ के नामी वकील रंजन लखनपाल ने बताया कि पुलिस ने आरोपियों को पुलिस स्टेशन से जमानत देकर न्यायालय को बाइपास करने की कोशिश की है, क्योंकि मामला सत्ताधारी पार्टी से जुड़ा है.

फिर गिरफ्तार हो सकते हैं विकास बराला और आशीष

लगातार सोशल मीडिया पर पक्षपात के आरोप लगने के बाद अब पुलिस ने लड़की की शिकायत और कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दिए गए बयानों को डीडीए मुनीष दुआ के पास कानूनी राय के लिए भेज दिए हैं. कानूनी राय आने के बाद पुलिस तय करेगी कि क्या आरोपी विकास बराला और आशीष के खिलाफ किडनैपिंग के प्रयास की धारा 365/511 के तहत केस दर्ज किया जाए या नहीं. अगर डीडीए अपनी रिपोर्ट में केस दर्ज करने की इजाज़त देते हैं तो विकास बराला और आशीष को दोबारा गिरफ्तार किया जा सकता है.

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