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जेटली के प्रति कोहली आभारी, गंभीर ने कहा- उनके बाद डीडीसीए की स्थिति हुई बदतर

वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, ईशांत शर्मा और शिखर धवन के बाद अब टीम इंडिया के टेस्ट कप्तान विराट कोहली ने भी केंद्रीय वित्त मंत्री और डीडीसीए के पूर्व प्रमुख अरुण जेटली का खुला समर्थन किया है.

विराट कोहली, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर विराट कोहली, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर
अभिजीत श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 21 दिसंबर 2015,
  • अपडेटेड 6:53 PM IST

वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, ईशांत शर्मा और शिखर धवन के बाद अब टीम इंडिया के टेस्ट कप्तान विराट कोहली ने भी केंद्रीय वित्त मंत्री और डीडीसीए के पूर्व प्रमुख अरुण जेटली का खुला समर्थन किया है.

अरुण जेटली पर उनके कार्यकाल के दौरान वित्तीय अनियमितता पर आंखें मूंदे रखने के आम आदमी पार्टी के आरोपों के बीच कोहली ने कहा, ‘अपने कार्यकाल के दौरान दिल्ली क्रिकेट के साथ ही प्लेयर्स की भलाई के लिए बहुत कुछ किया.’

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कोहली ने ट्वीट किया, ‘हमारे संघ के अध्यक्ष के रूप में जेटली जी के प्रति हम आभारी है. वह हमेशा क्रिकेट की बेहतरी और क्रिकेटर्स की भलाई के लिए काम करना चाहते थे.’

 

जेटली डीडीसीए में बतौर अध्यक्ष 13 वर्ष के अपने कार्यकाल के दौरान हुई कथित वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों का सामना कर रहे हैं और दिल्ली सरकार ने हाल ही में इसकी जांच के आदेश दिए हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने डीडीसीए में हुई गड़बड़ियों के चलते जेटली से केंद्रीय वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा देने की मांग की है.

सहवाग, गंभीर, धवन, ईशांत का समर्थन
इससे पहले दिग्गज बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग और उनके पूर्व साथी सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर ने शनिवार को अरुण जेटली के प्रति समर्थन व्यक्त किया था. सहवाग ने शनिवार को ट्वीट किया, ‘डीडीसीए में किसी अन्य अधिकारी से बात करना बेहद मुश्किल होता था, लेकिन जेटली किसी भी तरह की परेशानी पड़ने पर हमेशा खिलाड़ियों के साथ होते थे.’

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सहवाग ने कहा, ‘जब तक मैं क्रिकेट में सक्रिय था अगर मुझे किसी खिलाड़ी के ‘आश्चर्यजनक’ तरीके से चयनित होने का पता चलता था तो मुझे सिर्फ अरुण जेटली को सूचित करना होता था और जेटली तत्काल गलती सुधारते और योग्य खिलाड़ी के साथ न्याय करते थे.’

उल्लेखनीय है कि पूर्व दिग्गज स्पिन गेंदबाज बिशन सिंह बेदी ने भी दिल्ली सरकार के आरोपों का समर्थन किया है, लेकिन गंभीर का कहना है कि जेटली ने अपने कार्यकाल के दौरान क्रिकेट के विकास के लिए काफी कुछ किया है.

गंभीर ने भी ट्वीट किया, ‘कुछ पूर्व खिलाड़ियों द्वारा डीडीसीए में हुई हर तरह की गड़बड़ी के लिए अरुण जेटली पर आरोप लगाना हैरान करने वाला है.’ गंभीर ने आगे ट्वीट किया, ‘डीडीसीए में हुए भ्रष्टाचार के लिए जेटली को दोषी ठहराना पूरी तरह गलत है. उन्हीं की वजह से करदाताओं का रुपये लिए बगैर दिल्ली को एक अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम मिला.’

 

घरेलू क्रिकेट में दिल्ली के लिए खेलने वाले तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा ने भी ट्वीट कर जेटली के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया. ईशांत ने लिखा, ‘अरुण जेटली से मैं जब भी मिला और बातचीत की, वह मुझे हमेशा मददगार, निष्पक्ष और दयालु नजर आए.’

 

टीम के धाकड़ सलामी बल्लेबाज शिखर धवन ने भी अरुण जेटली के समर्थन में ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, ‘अरुण जेटली जी दिल्ली के क्रिकेटर्स के लिए हमेशा उच्च सुविधाएं देना चाहते थे और मेरे जैसे क्रिकेटर को उनके नेतृत्व का भरपूर फायदा मिला है.’

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‘जेटली के बाद DDCA की स्थिति खराब हुई’
गौतम गंभीर ने तो अरुण जेटली का पक्ष लेते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में दिल्ली की क्रिकेट में कई अच्छे काम हुए लेकिन उनके पद छोड़ने के बाद पिछले दो वर्षों में ही स्थिति बदतर हुई. गंभीर ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘जब जेटली डीडीसीए के अध्यक्ष थे तब इसमें काफी अच्छे काम हुए. अंतरराष्ट्रीय स्तर के एक स्टेडियम का निर्माण किया गया. आपने देखा होगा कि पहले कोटला किस तरह का स्टेडियम था और अब कैसा है. ये सब काम तभी हुए जब जेटली अध्यक्ष थे.’ दिल्ली रणजी टीम के कप्तान ने कहा, ‘आज जो भी लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं, वे भी क्रिकेट सुधार समिति का हिस्सा थे. उन्हें शीर्ष पद दिए गये और उन्होंने दिल्ली के लिए कुछ नहीं किया. उन्होंने कहा, ‘अब जबकि वह (जेटली) अध्यक्ष नहीं हैं तब उन पर हर तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं. यदि ऐसा मामला है तो फिर उन्हें डीडीसीए में ऐसे पदों पर नहीं होना चाहिए. आज सारे आरोप डीडीसीए पर नहीं बल्कि जेटली पर लगाए जा रहे हैं. मेरा सवाल है कि वह अकेले डीडीसीए को नहीं चला रहे थे. वित्त मंत्री जेटली 2013 तक 13 वर्षों तक डीडीसीए के प्रमुख रहे. दिल्ली सरकार ने उन पर उनके कार्यकाल के दौरान डीडीसीए में कथित भ्रष्टाचार पर आंख मूंदने का आरोप लगाया है. आप सरकार ने स्वतंत्र जांच के लिए जेटली से इस्तीफा देने या उन्हें पद से हटाने की मांग की है.’ गंभीर ने इस मामले में आगे कहा, ‘मेरा मानना है कि उनके पद छोड़ने के बाद स्थिति खराब हुई. यदि आप इस साल प्रथम श्रेणी सत्र से पूर्व की तैयारियों पर गौर करो तो वहां कोई गेंदबाज नहीं था, कोई विकेट या नेट्स नहीं थे. जब जेटली जी अध्यक्ष थे तब ऐसा कभी नहीं हुआ.’ उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं जानता कि किसी तरह का भ्रष्टाचार हुआ या नहीं, मेरा सिर्फ इतना मानना है कि वर्तमान अधिकारी वहां नहीं होने चाहिए क्योंकि उन्होंने कभी क्रिकेट के बारे में नहीं सोचा. पहले स्थिति बहुत अच्छी थी. पिछले दो वर्षों जैसी बुरी स्थिति डीडीसीए पहले कभी नहीं रही. वहां कोई भी ऐसा नहीं है जिसके पास जाकर अपनी बात रख सकते हो.’

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‘बागी तेवर जेटली के खिलाफ नहीं था’
गंभीर, वीरेंद्र सहवाग और कुछ अन्य सीनियर खिलाडि़यों ने दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ की खेल समिति से नाखुश होकर 2009 में प्रशासन के खिलाफ बागी तेवर अपना दिए थे. उस बगावत के बारे में गंभीर ने कहा, ‘हमारा विरोध जेटली जी के लिए नहीं था, यह डीडीसीए अन्य अधिकारियों के लिए था. हमने कभी उनका नाम नहीं लिया. हमने हमेशा कहा कि जब भी हमें किसी तरह की परेशानी हुई तो हम हर चीज के लिए जेटली जी के पास गए जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए था. यदि आपको हर काम के लिए जेटली जी के पास ही जाना था तो फिर अन्य अधिकारियों और प्रशासकों का क्या काम था. फिर एक संघ होने का क्या मतलब है. इसलिए तब हमें अन्य अधिकारियों से परेशानी थी और यहां तक कि अब भी हमें अन्य अधिकारियों से परेशानी है. मेरे और सहवाग के हमेशा जेटली जी के साथ बहुत अच्छे संबंध रहे.’

गंभीर से पूछा गया कि क्या वह कभी दिल्ली की टीम छोड़ेंगे तो उन्होंने कहा, ‘मैं हमेशा दिल्ली का लड़का रहा. मैंने कभी दिल्ली को छोड़ने के बारे में नहीं सोचा. मेरा दिल दिल्ली के लिए धड़कता है. मैंने दिल्ली के साथ अपना करियर शुरू किया और मैं दिल्ली के साथ रहकर अपना करियर समाप्त करना चाहता हूं क्योंकि मुझे लगता है कि यह मेरी घरेलू टीम है और इससे मुझे भारत की तरफ से खेलने का मौका मिला. वहां जो भी अव्यवस्था थी या है, इसने मुझे मौका दिया.’

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भारत और पाकिस्तान के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय सीरीज का होना अनिश्चित है और गंभीर ने कहा कि इस पर फैसला दोनों देशों की सरकारों को करना है. उन्होंने कहा, ‘यह राजनीतिक फैसला है. भारत और पाकिस्तान के बीच सीरीज के बारे में फैसला हमेशा सरकारें करती हैं और वे ही इसे मंजूरी देती हैं. यदि आप किसी खिलाड़ी से पूछोगे तो वह यही कहेगा कि पाकिस्तान के खिलाफ खेलने में मजा आता है. लेकिन पहले भी जो सीरीज हुई वे सरकार की मंजूरी के बाद ही हो पाई थी और सरकार जो भी फैसला करेगी वह देश के सर्वश्रेष्ठ हित में करेगी.’

युवराज सिंह और आशीष नेहरा ने ऑस्ट्रेलिया दौरे में टी20 सीरीज के लिए टीम इंडिया में वापसी की है. गंभीर से पूछा गया कि वह भारतीय टीम में कब वापसी कर सकते है तो उन्होंने कहा, ‘यह चयनकर्ताओं पर निर्भर करता है. मेरा काम क्रिकेट खेलना और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है.’

उन्होंने कहा, ‘दिल्ली विजय हजारे ट्रॉफी के नाकआउट में है और हम अच्छा प्रदर्शन करने पर ध्यान दे रहे हैं. प्रत्येक खिलाड़ी को अपने देश से नहीं खेलने की कमी अखरती है लेकिन आप वही कर सकते हो जो आपके हाथ में है.’

गंभीर से पूछा गया कि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ स्पिनरों की मददगार पिचों पर खेलने से ऑस्ट्रेलिया में वनडे और टी20 में उनका प्रदर्शन प्रभावित होगा तो उन्होंने कहा, ‘यह अलग तरह का प्रारूप है. आप टेस्ट और वनडे की तुलना नहीं कर सकते हो.’

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