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एनसीपी नेता शरद पवार से भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में न्यायिक आयोग पूछताछ करेगा. शरद पवार की गवाही को लेकर एक अर्जी लगाई गई थी, जिसे आयोग ने स्वीकार कर लिया है. अब इसे लेकर आयोग जल्द ही एनसीपी नेता पवार को समन जारी करेगा. इससे पहले अक्टूबर 2018 में शरद पवार की ओर से इस मामले में हलफनामा दायर किया गया था.
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता शरद पवार को मामले की जांच कर रहा न्यायिक आयोग समन भेजेगा. समाचार एजेंसी पीटीआई को न्यायिक आयोग के वकील आशीष सातपुते ने यह जानकारी दी. सामाजिक समूह विवेक विचार मंच के सदस्य सागर शिंदे ने पिछले हफ्ते आयोग को एक आवेदन दिया था. इसमें 2018 में हुई हिंसा के बारे में शरद पवार द्वारा 18 फरवरी को दिए बयान को लेकर पूछताछ करने की मांग की गई थी.
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आवेदन में कहा गया था कि शरद पवार ने मीडिया के सामने आरोप लगाया था कि दक्षिणपंथी कार्यकर्ता मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिंडे ने पुणे के बाहरी इलाके कोरेगांव भीमा और इसके आसपास के इलाकों में हिसा का माहौल बनाया था. आवेदन में यह भी कहा गया है कि पवार ने पुणे शहर के पुलिस आयुक्त की भूमिका भी संदिग्ध होने का आरोप लगाया है. आवेदक ने कहा है कि शरद पवार के पास और भी महत्वपूर्ण जानकारी है. इसलिए उनसे इस मामले में पूछताछ करने की जरूरत है.
भाजपा सरकार ने किया था आयोग का गठन
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच के लिए गठिन न्यायिक आयोग की अध्यक्षता बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जे.एन. पटेल कर रहे हैं. जबकि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव सुमित मुलिक न्यायिक पैलन के सदस्य हैं. महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के शासन काल में आयोग का गठन किया गया था. फिर चुनावों के बाद शिवसेना की अगुवाई वाली सरकार ने इस आयोग का कार्यकाल 8 अप्रैल तक बढ़ा दिया है. बता दें कि वर्तमान सरकार में शिवसेना के अलावा एनसीपी और कांग्रेस घटक दल हैं.
शरद पवार ने हलफनामे में क्या कहा?
एसीपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने अपने हलफनामे में कहा है कि मैं घटना का तथ्यात्मक रूप से बताने की स्थिति में नहीं रहूंगा. क्योंकि यह मौजूदा कानून व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है. पवार ने कहा कि राज्य सरकार और कानून भीमा कोरेगांव और इसके आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा करने में विफल रहे.
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साथ ही पवार ने कहा है कि भीमा कोरेगांव में हिंसा के पीछे दक्षिणपंथी ताकतों की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है. बता दें कि 1 जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगाठ पर समारोह के दौरान हिंसा भड़क गई थी और इसमें एक शख्स की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे.