
टीम इंडिया के युवा टैलेंट और चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप यादव ने खुलासा किया है कि अंडर-15 में सेलेक्शन के वक्त चाइनामैन गेंद नहीं डालने के कारण उन्हें नहीं चुना गया था, जिसके बाद वह डिप्रेशन में चले गए थे. इस बात से वे इतनी दुखी हो गए थे कि उन्होंने सुसाइड करने तक का फैसला कर लिया था. कुलदीप यादव ने शनिवार को मीडिया से जुड़े एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि अंडर-15 टीम में सलेक्शन के लिए उन्होंने मेहनत की थी. इसके बाद भी सलेक्शन नहीं होने पर निराश हो गए थे. उन्होंने मन बना लिया था कि वे अब क्रिकेट को छोड़ देंगे. हालांकि उनके पिता ने उनका मनोबल बढ़ाया और वे आज यहां तक पहुंचे हैं.
कुलदीप यादव ने कहा कि 'भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करना मेरे लिए बहुत स्पेशल मोमेंट रहा था. क्योंकि वह टेस्ट (धर्मशाला टेस्ट) जीतना हमारे लिए बहुत जरूरी था. वह सीरीज का निर्णायक मुकाबला था और दबाव के बावजूद मैंने अच्छा प्रदर्शन किया था.'
कुलदीप ने कहा, 'जब मैंने वनडे में हैट्रिक ली, तो बहुत कुछ बदल गया. मैंने कभी सपने में भी हैट्रिक लेने की नहीं सोची थी. मैंने कभी टीम इंडिया में खेलने जैसा बड़ा सपना भी नहीं देखा था. क्योंकि अगर मैं पहले ही इतना ज्यादा सोच लेता, तो यहां तक नहीं पहुंच पाता. मेरे बहुत छोटे-छोटे टारगेट थे जिन्हे मैं हासिल करता हुआ चला गया.'
कुलदीप ने कहा, '2014 में जब मुझे भारतीय टीम में बुलाया गया, तब मैं सेलेक्शन के बाद नहीं खेल पाया और एक साल बाहर रहा. मैं दो साल पहले ही 20 साल की उम्र में टीम इंडिया के लिए खेल लेता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, इसता मुझे मलाल रहेगा.'
कुलदीप ने कहा, 'मैं पहले तेज गेंदबाज बनना चाहता था और वसीम अकरम की तरह गेंदबाजी करना चाहता था. मेरी गेंद भी स्विंग करती थी. फिर एक दिन कोच ने मुझसे कहा कि तुम तेज गेंदबाजी नहीं करोगे, अगर स्पिन गेंद डालनी है, तो डालो. उस समय मैं 11 साल का था और कोच को लगा कि मैं इतना कमजोर हूं कि शायद भविष्य में इतना भार नहीं उठा पाऊं.'
कुलदीप ने आगे कहा, फिर मैंने कोच की सलाह पर स्पिन गेंद डाली और मैं लकी था कि मैंने चाइनामैन गेंद डाली थी. मुझे भी नहीं पता था कि चाइनामैन गेंदबाजी क्या होती है. मैंने राउंड द विकेट लेग स्पिन डाली. कोच को लगा यह नई चीज है. एक-दो गेंद बाद उन्होंने मुझसे और गेंद डलवाई और कहा आज से तुम ऐसे ही गेंद डालोगे. फिर मुझे एहसास हुआ कि यह अलग तरह की गेंदबाजी है.'