
बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व और केंद्र से नाराज चल रहे बीजेपी के 'पितामह' लालकृष्ण आडवाणी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक बार फिर निशाना साधा है. आडवाणी ने इशारों-इशारों में मोदी पर वार करते हुए कहा कि नेताओं को मूल्यों और नैतिकताओं को बनाए रखना चाहिए. यही नहीं, आडवाणी ने कहा कि हवाला का आरोप लगने मात्र पर उन्होंने नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दिया था.
पश्चिम बंगाल के अखबार 'आनंद बाजार पत्रिका' को दिए इंटरव्यू में ललित मोदी विवाद पर पूछे गए सवाल के जवाब में आडवाणी ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा को कायम रखने की जरूरत है. हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे पर कोई टिप्पणी नहीं की. आडवाणी ने इससे पहले भी एक इंटरव्यू में मोदी सरकार पर वार करते हुए कहा था कि देश में आपातकाल की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.
पत्रिका को दिए इंटरव्यू में आडवाणी ने कहा, 'एक नेता के लिए जनता का भरोसा हासिल रखना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. नैतिकता जो मांग करती है वह ‘राजधर्म’ है और सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा कायम रखने की जरूरत है.' आडवाणी का यह बयान ऐसे समय आया है जब स्वराज और राजे ललित मोदी विवाद में फंसी हुई हैं. पूर्व आईपीएल प्रमुख ललित मोदी की मदद मामले में कांग्रेस उनके इस्तीफे की मांग पर अड़ी हुई है.
सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे से संबंधित विवाद पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए आडवाणी ने कहा, 'मैं आज इन सब से काफी दूर हूं इसलिए मुझे कुछ भी टिप्पणी नहीं करनी है. मैं फैसला करने में शामिल नहीं हूं और इसलिए मुझे इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं करनी है.'
...जब आडवाणी पर लगे थे आरोप
बता दें कि आडवाणी ने हवाला घोटाला में संलिप्तता के आरोप लगाने के बाद 1996 में संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और इस मामले में क्लीनचिट मिलने के बाद 1998 में वह संसद के लिए फिर से निर्वाचित हुए थे. हवाला कारोबारी एसके जैन की डायरी की प्रविष्टियों को सीबीआई ने आडवाणी समेत शीर्ष नेताओं के खिलाफ अहम सबूत के तौर पर पेश किया था.
इंटरव्यू के दौरान आडवाणी ने कहा, 'जिस दिन जैन डायरी के आधार पर मेरे खिलाफ आरोप लगाए गए उसी शाम पंडारा रोड पर अपने मकान में बैठकर (संसद सदस्य) के तौर पर इस्तीफा देने का फैसला किया. यह किसी और का फैसला नहीं था. यह मेरा था. उसके तुरंत बाद मैंने अपने फैसले के बारे में सूचित करने के लिए वाजपेयी को कॉल किया. उन्होंने मुझसे इस्तीफा नहीं देने को कहा, लेकिन मैंने किसी की नहीं सुनी.'
उन्होंने कहा, 'लोग चुनाव में हमारे पक्ष में मतदान करते हैं इसलिए लोगों के प्रति प्रतिबद्धता सर्वाधिक महत्वपूर्ण है.' यह पूछे जाने पर कि क्या इस्तीफा मानदंड होना चाहिए आडवाणी ने कहा, 'मैं अपने बारे में कह सकता हूं. दूसरे क्या करेंगे, उनका क्या मामला है मैं नहीं जानता हूं और मैं उस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं.'