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टीनएजर की तरह है नवेद का बर्ताव, ट्रेनिंग कैंप को पिकनिक की तरह याद करता है

जम्मू के उधमपुर हमले में जिंदा पकड़े गए आतंकी नवेद से पूछताछ में कई बड़े खुलासे हुए हैं. उसका पाकिस्तान के फैसलाबाद की रफीक कॉलोनी से लेकर उधमपुर पहुंचने तक का सफर सामने आया. वहीं पता चला कि कश्मीर में लश्कर के मोस्ट वॉन्टेड अबु कासिम ने ही इस हमले की साजिश रची थी.

उधमपुर हमले में पकड़ा गया आतंकी नवेद उधमपुर हमले में पकड़ा गया आतंकी नवेद
aajtak.in
  • श्रीनगर,
  • 10 अगस्त 2015,
  • अपडेटेड 2:27 PM IST

जम्मू के उधमपुर हमले में जिंदा पकड़े गए आतंकी नवेद से पूछताछ में कई बड़े खुलासे हुए हैं. उसका पाकिस्तान के फैसलाबाद की रफीक कॉलोनी से लेकर उधमपुर पहुंचने तक का सफर सामने आया. वहीं पता चला कि कश्मीर में लश्कर के मोस्ट वॉन्टेड अबु कासिम ने ही इस हमले की साजिश रची थी.

नवेद ने पूछताछ के दौरान बताया कि उसके पिता मोहम्मद याकूब मजदूरी  करते हैं और मां घर का काम-काज करती हैं. आर्थिक तंगी के चलते पांचवी क्लास में ही नवेद ने पढ़ाई छोड़ दी थी और घर के काम-काज में मदद करने लगा था. नवेद ने बताया कि वह चार साल पहले 2011 में लश्कर के संपर्क में आया.

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टीनएजर की तरह है नवेद का बर्ताव
इंटेरोगेशन रिपोर्ट (आईआर) के मुताबिक, बशीर नाम के एक शख्स ने नवेद को लश्कर से जुड़ने को राजी किया और वही उसको फैसलाबाद स्थित लश्कर के दफ्तर ले गया. उसी साल नवेद को 21 दिनों की ट्रेनिंग के लिए हबीबुल्लाह ट्रेनिंग कैंप में भेजा गया. ट्रेनिंग के बाद नवेद घर आ गया और फिर उसे तीन महीने की हथियारबंद ट्रेनिंग के लिए मुजफ्फराबाद भेजा गया.

पूछताछ करने वाले अफसर का कहना है कि 'नवेद ट्रेनिंग कैंप में गुजारे वक्त को ऐसे याद करता है जैसे वो किसी पिकनिक पर गया हो. उसका बर्ताव एक ऐसे टीनएजर की तरह है जिसे ये अंदाजा ही नहीं था कि उसे आत्मघाती मिशन पर भेजा जा रहा है. वह जिंदा रहकर खुश है उसे लगता है कि हम उसे उसके घर भेजेंगे.'

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ज्यादातर लोगों को कोड नेम से जानता है नवेद
इंटेरोगेशन रिपोर्ट से पता लगता है कि नवेद के साथ तीन और लोग सीमापार कर गुलमर्ग के बाबा रेशी इलाके पहुंचे थे. बाकी लोगों को वह केवल उनके कोड नेम से जानता था. आईआर में सामने आया है कि कैसे नूरी पोस्ट से गुलमर्ग तक सात दिनों तक चलते हुए इन आतंकियों ने सफर पूरा किया और 3 जून को एलओसी पार की.

सीमा पार करवाने के बाद खुर्शीद नाम का गाइड उन्हें छोड़ वापस रवाना हो गया. जबकि उन्हें लश्कर के कमांडर उबैद ने रिसीव किया जो खुद पाकिस्तानी नागरिक है. 9 जून को इन चारों को ट्रक के जरिए अवंतीपुरा लाया गया. हालांकि पुलिस को ये सूचना मिली थी कि ट्रक से आतंकियों को लाया गया है. जिसके बाद पुलिस ने मुस्तैदी दिखाते हुए ट्रक ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में नवेद ने खुलासा किया कि उसे और नोमान उर्फ मोमिन को मंगलवार को अबु कासिम ने ही कुलगाम से एक ट्रक में बैठाया था. इस ट्रक में फल लदे हुए थे. रात को वह पटनीटॉप में रुके और सुबह ही समरोली के पास पहुंचे. हमले वाली जगह से करीब 500 मीटर पहले ही वे ट्रक से उतर गए थे.

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घुसपैठ खत्म होने के दावे की खुली पोल
नवेद ने बताया 'उसके बाद हम बाबा रेशी और टंगमर्ग आए. इसके बाद मेरे दो साथियों को दूसरी जगह भेजा और मुझे और नोमान को बडगाम व पुलवामा से होते हुए कुलगाम में पहुंचाया गया. इस दौरान वह पुलवामा जिले के अवंतीपुरा में एक गुफा में चार अन्य आतंकियों के साथ रहा. उसने कहा कि हम कासिम भाई के पास भी तीन दिन रहे. नवेद ने अपनी पूछताछ में सेना द्वारा इस साल उत्तरी कश्मीर में घुसपैठ के शून्य के स्तर पर पहुंचने के दावे की पोल खोलने के साथ यह भी साबित कर दिया कि लश्कर का मोस्ट वांटेंड आतंकी अबु कासिम अब भी कश्मीर में चुपचाप अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है. सूत्रों ने बताया कि उधमपुर हमले की साजिश कश्मीर में रची गई है. इसका सूत्रधार जम्मू कश्मीर में लश्कर का मोस्ट वांटेड अबु कासिम ही है.

 

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