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शहीद की मौत के बाद पत्नी ने थामा सेना का दामन, कहा- वर्दी थी पति का पहला प्यार

आपको बता दें कि जब कर्नल संतोष म्‍हाडिक जिंदा थे तो स्वाति टीचिंग किया करती थीं. हालांकि सेना जॉइन करने के बारे में उन्होंने तुरंत फैसला लिया. अपने पति के प्यार में उन्होंने यह फैसला लिया. उन्होंने  बताया था कि अंतिम संस्कार के वक्त पति के पार्थि‍व शरीर को देखकर वह बेहद भावुक हो गईं थीं. उसी समय उन्होंने सेना में शामिल होने का फैसला कर लिया था.

शहीद  कर्नल संतोष म्‍हाडिक और स्वाति शहीद कर्नल संतोष म्‍हाडिक और स्वाति
अंकुर कुमार
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  • 09 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 6:19 PM IST

एक सैनिक की पत्नी ने न सिर्फ अपने पति की मौत के सदमे का सामना किया बल्कि अब साहस के साथ पति द्वारा छोड़ी गई अधूरी जिम्मेदारी को पूरा करने जा रही है. कुपवाड़ा में आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हुए कर्नल संतोष म्‍हाडिक की पत्नी स्वाति म्‍हाडिक सेना में शामिल होने जा रही है. देश के प्रति पति पत्नी दोनों के जज्बे को कई लोग सलाम कर रहे हैं.

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यूनिफॉर्म से था प्यार

सेना जॉइन करते हुए स्वाति ने बताया कि मेरे पति का पहला प्यार उनकी वर्दी थी, इसलिए मुझे एक दिन तो इसे पहनना ही था. लेफ्टिनेंट स्वाति ने अपने पति की शहादत के बाद सेना में शामिल होने की इच्छा जताई थी. रक्षा मंत्रालय द्वारा इस मामले को मंजूरी दे दी गई थी. उन्होंने अपने पति के अंतिम संस्कार के वक्त सेना में शामिल होने की बात कही थी. हालांकि सेना में शामिल होने की उम्र से अधिक उम्र होने के कारण इसमें दिक्कत आ रही थी.

उस समय के रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने उस समय के सेना प्रमुख दलवीर सिंह से स्वाति को सेवा चयन बोर्ड (एसएसबी) की परीक्षा में आयु सीमा में छूट देने की सिफारिश की थी. बता दें कि एसएसबी एग्जाम देने की उम्र 27 साल होती है, जबकि स्वाति की उम्र 37 साल थी.

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टीचर थीं स्वाति

आपको बता दें कि जब कर्नल संतोष म्‍हाडिक जिंदा थे तो स्वाति टीचिंग किया करती थीं. हालांकि सेना जॉइन करने के बारे में उन्होंने तुरंत फैसला लिया. अपने पति के प्यार में उन्होंने यह फैसला लिया. उन्होंने  बताया था कि अंतिम संस्कार के वक्त पति के पार्थि‍व शरीर को देखकर वह बेहद भावुक हो गईं थीं. उसी समय उन्होंने सेना में शामिल होने का फैसला कर लिया था. स्वाति ने कहा था कि, ''उनकी यूनिफॉर्म पहनकर मुझे ऐसा लगेगा कि वह भी मेरे साथ हैं. यही वजह है कि मैंने आर्मी जॉइन करने का फैसला किया.'' स्वाति ने पिछले साल ही एसएसबी की परीक्षा पास की थी. शहीद कर्नल संतोष महादिक को उनके बेटे स्वाराज ने मुखाग्नि दी थी. उनकी एक बेटी कार्त‍िकी भी है. स्वाति चाहती हैं कि उनके बच्चे भी बड़े होकर आर्मी जॉइन करे.

पति के बारे में बात करते हुए स्वाति ने बताया था कि संतोष कुपवाड़ा में अपनी पोस्टिंग के दौरान स्थानीय युवाओं को सही रास्ते पर रहने और स्कूल जाने के लिए मोटिवेट भी करते थे. वह मानते थे कि आतंकवाद जैसी समस्या का हल शिक्षा से निकलेगा न कि बुलेट से.

आतंकियों से किया था मुकाबला

उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा के पास आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हुए 41 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष महादिक शहीद हो गए थे. 39 वर्षीय कर्नल महादिक महाराष्ट्र के रहने वाले थे. महाराष्ट्र के सतारा में एक कृषक परिवार में उनका जन्म हुआ था. उन्होंने 1998 में सेना में भर्ती होने से पहले सतारा के सैन्य स्कूल से शिक्षा पूरी की थी.

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घाटी में कुपवाड़ा के हाजी नाका जंगली क्षेत्र में एक अभियान के दौरान वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे और बाद में उनकी अस्पताल में मृत्यु हो गई थी. कर्नल महादिक को वर्ष 2003 में पूर्वोत्तर में आपरेशन राइनो के दौरान बहादुरी के लिए सेना मेडल से सम्मानित किया गया था. उनकी मौत पर उस समय के रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने एक संदेश में कहा था कि ‘हमें उनके जैसे अपने युवा अधिकारियों पर गर्व है जो आगे बढ़कर नेतृत्व करते हैं और देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राण बलिदान करने में संकोच नहीं करते.’

 

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