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उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ SC में याचिका

राष्ट्रपति शासन लगाने के खिलाफ उत्तराखंड हाई कोर्ट में कांग्रेस की याचिका पर तुरंत सुनवाई शुरू हुई. कांग्रेस नेता और अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने केंद्र को मंगलवार तक जवाब देने को कहा था.

ब्रजेश मिश्र
  • नैनीताल,
  • 29 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 2:46 PM IST

उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू के खि‍लाफ वकील एमएल शर्मा ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करके सीबीआई जांच कराने की मांग की है. उन्होंने याचिका में कहा कि उत्तराखंड में विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला गंभीर है और इसकी जांच होनी चाहिए. एमएल शर्मा पहले भी ऐसी याचिकाएं दायर करते रहे हैं. उन्होंने चर्चित इशरत जहां एनकाउंटर मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दी थी. सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई होगी.

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इस बीच कांग्रेस नेता हरीश रावत 34 विधायकों के साथ सोमवार को राज्यपाल से मिले और उन्होंने राज्यपाल के सामने अपना पक्ष रखा. दूसरी ओर, बीजेपी नेता और केंद्रीय नेता अरुण जेटली ने यह कहते हुए राष्ट्रपति शासन को उचित करार दिया है कि राज्य की कांग्रेस सरकार लोकतंत्र की हत्या कर रही थी. केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला लिया गया था.

करीब तीन घंटे चली थी सुनवाई
उधर, हाई कोर्ट में सुनवाई करीब 11 बजे शुरू हुई. करीब साढ़े तीन घंटे तक जस्टिस यू.सी. ध्यानी की एकलपीठ के सामने सिंघवी ने अपनी बात रखी. इसके बाद जस्टिस ने सुनवाई मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी. कोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ से पक्ष रखने के लिए वरिष्ठ वकील रमेश थपलियाल पहुंचे थे.

रविवार को लगा था राष्ट्रपति शासन
गौरतलब है कि कांग्रेस की ओर से मामले की पैरवी सिंघवी और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल कर रहे हैं, दोनों वकील भी हैं. सिंघवी सोमवार सुबह दिल्ली से नैनीताल हाईकोर्ट पहुंचे. थोड़ी देर बाद कपिल सिब्बल भी नैनीताल पहुंच गए. इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रविवार को उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने की संस्तुति की थी.

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कांग्रेस ने केंद्र की नीयत पर उठाए सवाल
राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत इसकी घोषणा पर हस्ताक्षर किए थे. उसके बाद उत्तराखंड विधानसभा निलंबित कर दी गई. यह पूरा घटनाक्रम मात्र एक दिन पहले का है, जब कांग्रेस के नेतृत्ववाली राज्य सरकार को सदन में बहुमत साबित करना था. कांग्रेस के नेताओं और रावत ने राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र के इस फैसले को लोकतंत्र की हत्या करार दिया है. उनका कहना है कि जब राज्यपाल ने मुख्यमंत्री हरीश रावत को 28 मार्च को बहुमत साबित करने का मौका दिया था, तब केंद्र सरकार ने 24 घंटे पहले निर्वाचित सरकार को बर्खास्त करने की जल्दबाजी क्यों की.

उधर, बीजेपी की उत्तराखंड इकाई ने दावा किया है कि वह विधानसभा में अब बड़ी पार्टी है, उसे बहुमत साबित करने का मौका दिया जाए. सोमवार दोपहर डेढ़ बजे उत्तराखंड बीजेपी के विधायक दिल्ली से देहरादून पहुंच गए. प्रदेश बीजेपी कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि बीजेपी बहुमत साबित करने के लिए तैयार है.

जेटली ने हरीश रावत पर साधा निशाना
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने हरीश रावत की आलोचना करते हुए फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, '18 मार्च को विनियोग विधेयक के सदन में नाकाम हो जाने के बाद जिसे पद छोड़ देना चाहिए था, उसने सरकार को बनाए रखकर राज्य को गंभीर संवैधानिक संकट में डाल दिया. इसके बाद सदन की स्थिति में बदलाव लाने के लिए मुख्यमंत्री ने लालच देने, खरीद-फरोख्त और अयोग्य ठहराने जैसे काम शुरू कर दिए. इससे स्थिति और जटिल हो गई.'

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