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Exclusive: 'लिपस्टि‍क' विवाद पर बोले पहलाज, संस्कार हमारे देश का धर्म

महिलाओं पर बनी फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' के विवाद पर संस्कारों की दुहाई दे रहे हैं सेंसर बोर्ड चीफ...

'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का
सिद्धार्थ हुसैन
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  • 24 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 11:58 AM IST

'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' पर असंस्कारी होने का ठप्पा लगाने से CBFC के अध्यक्ष पहलाज निहलानी का नाम फिर सुर्खियों में है. अलंकृता श्रीवास्तव के निर्देशन में बनी इस फिल्म को प्रकाश झा ने प्रोड्यूस किया है.

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) ने प्रकाश झा की नई फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' को सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया. CBFC ने फिल्म प्रोड्यूसर प्रकाश झा को एक चिट्ठी भेजकर कारण साफ किया है कि क्यों फिल्म को प्रमाणित नहीं किया गया है.

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'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' को सेंसर बोर्ड ने बताया 'असंस्कारी', नहीं दिया सर्टिफिकेट

इस विवाद पर आज तक से एक्सक्लूसिव बातचीत में CBFC के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने कहा - हमने फिल्म पर कैंची नहीं चलाई है. लेकिन फिल्म में महिलाओं को सही तरीके से नहीं दर्शाया गया है इसलिए यह 'ए' सर्टिफिकेट के साथ पास नहीं हो सकती है.

फिल्म पर कैंची न चलाने की बात पर पहलाज ने कहा - अगर हम ऐसा करते तो प्रोड्यूसर्स कोर्ट जा सकते थे. इसलिए ऐसा न करना ही हमने बेहतर समझा. फिर कुछ फिल्मों को सेंसर बोर्ड ने पास कर दिया था. 'जॉली एलएलबी 2' इसका हालिया उदाहरण है.

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श्याम बेनेगल की सलाह पर पहलाज का कहना था कि इसे पास नहीं किया गया है और अगर कहीं कुछ कंफ्यूजन है जो उनको सेंसर बोर्ड की बजाय सरकार से सवाल करना चाहिए. CBFC के चेयरमैन पहलाज निहलानी ने कहा है कि उन्होंने अपना काम किया है और अब फिल्म के निर्माता ऊपरी संस्था या कोर्ट कहीं भी जा सकते हैं.

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'बेफिक्रे' के किसिंग सीन पर सवाल उठाने पर पहलाज ने कहा कि वह सब एक दायरे में था और रिवा‍इजिंग कमिटी ने इसे पास किया था. फिर यह एक तरह का प्रयोग भी था लिहाजा दोनों फिल्मों की तुलना नहीं की जा सकती.

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लेकिन फिल्म तो एक महिला ने बनाई है

पहलाज निहलानी से जब यह बात की गई कि 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' को एक महिला डायरेक्टर ने बनाया है. इस पर CBFC का कहना था कि वह जो चाहे बनाएं लेकिन क्या दिखाया जाएगा और क्या नहीं, इसका फैसला तो बोर्ड ही करेगा.

साथ ही सेंसर बोर्ड के संस्कारी होने के सवाल पर पहलाज ने कह ही दिया कि संस्कार हमारे देश की परंपरा है और संस्कार को बचाने का काम सेंसर बोर्ड का ही है.

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