Advertisement

BJP के ‘पन्ना प्रमुखों’ के मुकाबले कांग्रेस उतारेगी ‘बूथ सहयोगियों’ की फौज

कांग्रेस 2 अक्टूबर से 19 नवंबर तक लोक संपर्क अभियान शुरू करने जा रही है. कांग्रेस इस अभियान के जरिए एक करोड़ ‘बूथ सहयोगियों’ की फौज खड़ी करना चाहती है, ताकि बीजेपी और आरएसएस की मजबूत चुनावी मशीनरी को करारी टक्कर दी जा सके.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी
राम कृष्ण/मौसमी सिंह/खुशदीप सहगल
  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 6:05 PM IST

आम आदमी पार्टी के बाद अब कांग्रेस भी बीजेपी की ‘पन्ना प्रमुख रणनीति’ को अपनाने जा रही है. कांग्रेस साल 2019 के आम चुनाव के लिए वोटरों को अधिक से अधिक संख्या में अपने हक़ में मोड़ने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती.

‘द ग्रैंड ओल्ड पार्टी’ 2  अक्टूबर से 19 नवंबर तक लोक संपर्क अभियान शुरू करने जा रही है. इसके लिए दरवाजे-दरवाजे जाकर लोगों से पार्टी के नेता और कार्यकर्ता मिलेंगे. कांग्रेस ने अपने सभी फ्रंटल संगठनों और राज्य इकाइयों को इस अभियान को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत झोंकने के निर्देश दिए हैं.  

Advertisement

AICC मुख्यालय की ओर से सात पन्नों में दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं, जिसमें मास्टर प्लान की विस्तृत जानकारी है. इंडिया टुडे/आजतक की पहुंच में ये दिशा-निर्देशों वाला दस्तावेज मौजूद है.

कांग्रेस अपने अभियान के तहत एक करोड़ ‘बूथ सहयोगियों’  की फौज खड़ी करना चाहती है, ताकि बीजेपी और आरएसएस की मजबूत चुनावी मशीनरी को करारी टक्कर दी जा सके. इन ‘बूथ सहयोगियों’ को हर बूथ के 20-25 घरों के साथ लगातार संपर्क में रहने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी.  

रणनीति का खाका कांग्रेस की सभी राज्य इकाइयों को भेजा जा चुका है. उनसे कहा गया है कि 25 सितंबर तक वो सारा ग्राउंडवर्क कर लें और अभियान की प्रगति पर महीने में दो बार रिपोर्ट भेजें.

वोटर मोबिलाइजेशन प्लान

कांग्रेस ने अपने प्लान को अमली जामा पहनाने के लिए विस्तृत ढांचा तैयार किया है. इसके मुताबिक एक ‘सक्षम’ अभियान प्रभारी को हर ब्लॉक स्तर पर नियुक्त किया जाएगा. ये अभियान प्रभारी ब्लॉक के हर गांव में ब्लॉक प्रमुख के साथ जाएगा. फिर हर गांव में ‘योग्य’ लोगों को चुनकर बूथ सहयोगी बनाया जाएगा.     

Advertisement

हर पोलिंग बूथ से पार्टी के 10 बूथ सहयोगी होंगे, जो वोटरों से सीधे संपर्क में रहकर उनकी समस्याओं को दूर करने की कोशिश करेंगे. एक बूथ सहयोगी पर 20-25 घरों की जिम्मेदारी रहेगी. इन बूथ सहयोगियों के काम पर नजर रखने के लिए एक एरिया बूथ कोऑर्डिनेटर (ABC) होगा. ABC अपने क्षेत्र में 10 बूथों का प्रभारी होगा और अपने से ऊपर वाले पार्टी पदाधिकारी को नियमित तौर पर प्लान की प्रगति रिपोर्ट देता रहेगा.

जमीनी स्तर पर वोटरों से सीधे संपर्क में रहने वाले इन बूथ सहयोगियों पर एक और अहम जिम्मेदारी होगी. ये जिम्मेदारी होगी कैश की किल्लत से जूझ रही कांग्रेस के लिए चंदा जुटाना. कलेक्शन करने के बाद पूरी रसीदें और रजिस्टर बुक पार्टी के ब्लॉक प्रमुख को सौंपी जाएंगी.

बूथ सहयोगियों की जिम्मेदारी

बूथ सहयोगी कांग्रेस की ‘आंख, कान और नाक’ का काम करेंगे. ये अहम आंकड़े एकत्र करने के साथ पार्टी के प्रमोशन एजेंडा को भी आगे बढ़ाएंगे. इनकी रिपोर्ट सीधे AICC डेटा डिपार्टमेंट को मिलेगी.

बूथ सहयोगी किस तरह करेंगे काम?

1) - चुनावी अभियान के लिए फंड की कमी से जूझ रही कांग्रेस की चंदा जुटाने को ‘डोर टू डोर’  कैम्पेन पर निगाहें हैं.  

2) - बूथ सहयोगियों को बुकलेट उपलब्ध कराई जाएंगी, जिनमें 50, 100, 500 या 1000 रुपये के चंदे की एंट्री दर्ज की जा सकेगी.

Advertisement

3) - बूथ सहयोगियों को इश्तिहारों समेत अन्य प्रचार सामग्री सौंपी जाएंगी, जिसे वो वोटरों में बांटेंगे. इनमें कांग्रेस की योजनाओं के बारे में बताया जाएगा कि वो लोगों की बेहतरी के लिए क्या-क्या करना चाहती है. इसके अलावा केंद्र सरकार की नाकामियों का भी जिक्र होगा.  

4) - खास फोकस 18-24 वर्ष के आयु वर्ग के वोटरों को लुभाने पर रहेगा, जिन्हें कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से शुभकामना संदेश भी दिया जाएगा.

5) - बूथ सहयोगी पार्टी के लिए इंटेलीजेंस ऑपरेटर के तौर पर भी काम करेंगे. ये कांग्रेस समर्थक संगठनों, संस्थाओं और समूहों की अलग अलग 11 लिस्ट भी उपलब्ध कराएंगे.

6) - वोटरों की उम्र, दिए गए चंदे, पता, ईमेल पता और वोटर आईडी से जुड़े डेटा की जानकारी भी बूथ सहयोगियों की ओर से AICC को भेजी जाएंगी. कांग्रेस ने कॉरपोरेट स्टाइल में बूथ सहयोगियों के कामकाज का मूल्यांकन करने के लिए ढांचा भी तैयार किया है. बूथ सहयोगियों में बेहतर प्रदर्शन करने वालों को नवाजा भी जाएगा. उन्हें इंसेंटिव के तौर पर कांग्रेस सम्मेलनों में आमंत्रित किया जाएगा. साथ ही उन्हें सांगठनिक पदों पर भी नियुक्त किया जा सकता है. यहीं नहीं उनके नामों पर चुनाव में खड़ा करने के लिए भी विचार किया जा सकता है.

Advertisement

बता दें कि हाल-फिलहाल के वर्षों में बीजेपी की चुनावी सफलताओं में पन्ना प्रमुखों के जरिए चुनाव माइक्रो मैनेजमेंट की भी अहम भूमिका रही है. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि कांग्रेस क्या बीजेपी को उसी के गेम में मात दे सकेगी?

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement