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PM की रैली के लिए किसानों को अधपकी फसल काटने का आदेश!

तहसीलदार और पटवारी किसानों से पेपर पर दस्तखत करवाकर खेत में खड़ी फसल कटवाने की इजाजत ले रहे हैं. खेतों से कंटीले तार से घिरा खंभा भी हटवाया जा रहा है.

किसान रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जाने वाले हैं किसान रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जाने वाले हैं
केशव कुमार
  • सीहोर,
  • 10 फरवरी 2016,
  • अपडेटेड 10:55 PM IST

मध्य प्रदेश के सीहोर में 18 फरवरी को होनेवाले किसान रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जाने वाले हैं. सम्मेलन में वह बीते दिनों शुरू हुए फसल बीमा योजना पर वह किसानों से बातें करेंगे. इस आयोजन के लिए किसानों की खड़ी फसल कटवाए जाने का मामला सामने आया है.

राहत के बदले किसान चुकाएंगे बड़ी कीमत
इस सम्मेलन के लिए उन किसानों ने बड़ी कीमत चुकाई है, जिनकी जमीन सम्मेलन के आयोजन के लिए तय सीमा में आ रही थी. ऐसे ही किसान सुरेश परमार के खेत में खड़ी फसल कटवा दी गई. उनका कहना है कि अधिकारियों ने उनसे खेत साफ करने को कहा है. फसल पकने से पहले ही काटने के अलावा दूसरा कोई तरीका समझ में नहीं आया. परमार के मुताबिक इससे 1.5 लाख रुपये के नुकसान का अंदेशा है. राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ने इन आरोपों से इनकार किया है.

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किसानों के सिर बढ़ेगा कर्ज का बोझ
24 साल के दूसरे किसान किसान कपिल परमार ने कहा कि फसल पकने से पहले काटा जाना बहुत अखरता है. मेरी समझ नहीं आ रहा कि आखिर अब मैं क्या करूं? उनकी तीन एकड़ जमीन सम्मेलन की जद में आ गई है. कपिल ने सवाल किया है कि क्या प्रशासन ऐसा चाहता है कि मैं खुदकुशी कर लूं? अधपकी फसल को कौन खरीदेगा या खरीदेगा भी तो क्या कीमत मिलेगी? ऐसा होने पर किसानों के सर कर्ज का बोझ बढ़ेगा. इन बातों से कई किसान परिवार परेशान हैं.

खड़ी फसल के साथ कंटीली बाड़ भी हटवाई
किसानों ने बताया कि इस मसले पर गांव की महिला प्रधान ने कोई भी मदद करने के बजाय अपने हाथ खड़े कर दिए हैं. तहसीलदार और पटवारी किसानों से पेपर पर दस्तखत करवाकर खेत में खड़ी फसल कटवाने की इजाजत ले रहे हैं. खेतों से कंटीले तार से घिरा खंभा भी हटवाया जा रहा है.

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डीएम बोले, सरकारी जमीन पर होगा सम्मेलन
इस जमीन का इस्तेमाल सम्मेलन में आनेवालों किसानों के बैठने और गाड़ी पार्क करने के लिए किया जाएगा. इस आयोजन में लगभग एक लाख किसानों के शामिल होने का अनुमान है. सीहोर के डीएम सुदाम खड़े ने किसानों के आरोपों को खारिज किया. उन्होंने कहा कि किसी भी किसान से जबरन जमीन नहीं ली गई है और न ही खड़ी फसल कटवाई गई है. सम्मेलन सरकारी जमीन पर करवाया जा रहा है. उसके आसपास की निजी जमीन को स्थानीय किसानों की रजामंदी से लिया गया है.

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