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विपक्षी एकता पर पवार का वार, बोले- 2019 से पहले व्यवहारिक नहीं महागठबंधन

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यदि आप कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पंजाब जाएंगे...तो आप पाएंगे कि कांग्रेस वहां पहले नंबर की पार्टी है. वहीं, आंध्र प्रदेश में किसी को भी टीडीपी को प्रमुख पार्टी के रूप में स्वीकारना होगा. तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव काफी मायने रखेंगे. ओडिशा में नवीन पटनायक बड़ी ताकत होंगे.

एनसीपी प्रमुख शरद पवार (फाइल फोटो) एनसीपी प्रमुख शरद पवार (फाइल फोटो)
अनुग्रह मिश्र
  • मुंबई,
  • 26 जून 2018,
  • अपडेटेड 12:08 AM IST

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने विपक्षी एकता पर सवाल खड़े करते हुए महाठबंधन की व्यवहारिकता पर सवाल उठाए हैं. अपने पहले के रुख में बदलाव के संकेत देते हुए पवार ने सोमवार को कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी विरोधी महागठबंधन व्यावहारिक नहीं है.

शरद पवार ने कहा, ‘हालांकि मीडिया में काफी अटकलें हैं, कुछ विकल्पों के बारे में, महागठबंधन जैसे मोर्चे के बारे में काफी लिखा जा रहा है. लेकिन मैं किसी महागठबंधन या किसी अन्य चीज की संभावना नहीं देखता. हमारे कुछ दोस्त हैं. वे लोग वह चाहते हैं. लेकिन वह संभव नहीं है.’

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क्षेत्रीय दल होंगे अहम

चुनाव के बाद क्षेत्रीय दलों के एक अहम भूमिका निभाने की ओर संकेत करते हुए पवार ने कहा, ‘मेरा खुद का सोचना है और आकलन है कि आखिरकार यह राज्यवार स्थिति होगी. तमिलनाडु जैसे राज्य हो सकते हैं, जहां प्रमुख पार्टी डीएमके होगी और अन्य गैर बीजेपी पार्टियों को उसे स्वीकार करना होगा.'

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यदि आप कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पंजाब जाएंगे...तो आप पाएंगे कि कांग्रेस वहां पहले नंबर की पार्टी है. वहीं, आंध्र प्रदेश में किसी को भी टीडीपी को प्रमुख पार्टी के रूप में स्वीकारना होगा. तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव काफी मायने रखेंगे. ओडिशा में नवीन पटनायक बड़ी ताकत होंगे. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी प्रमुख भूमिका निभाएंगी.

बीजेपी के खिलाफ एकजुट होंगे नेता

पवार ने कहा कि ये लोग प्रदेश के नेता, प्रदेश की पार्टी के तौर पर अपने-अपने राज्यों में अपनी स्थिति मजबूत करेंगे, ना कि गठबंधन के रूप में. लेकिन चुनाव के बाद ऐसी हर संभावना होगी कि ये सभी नेता एकजुट हों क्योंकि चुनाव का पूरा जोर बीजेपी के खिलाफ होगा. पवार ने कहा कि वह इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि ये ताकतें 2019 के चुनाव के बाद एकजुट होंगी, लेकिन चुनाव से पहले वह महागठबंधन की कोई संभावना नहीं देखते.

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गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में पवार ने कहा था कि सभी विपक्षी पार्टियों को अगले साल लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ एकजुट होना चाहिए. उन्होंने इसे 1977 जैसी स्थिति बताई, जब पार्टियों के गठबंधन ने इंदिरा गांधी को सत्ता से बाहर किया था.

शरद पवार ने कहा था कि लोकतंत्र में विश्वास रखने वाली और साझा न्यूनतम कार्यक्रम रखने वाली बीजेपी विरोधी पार्टियों को लोगों की इच्छाओं को अपने मन में रखना चाहिए और एकजुट होना चाहिए. समान विचारधारा वाली सभी पार्टियों को एकजुट रखने की प्रक्रिया का हिस्सा बन कर मुझे खुशी होगी.

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