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त्र्यंबकेश्वर मंदिर में प्रवेश पर लगे प्रतिबंध का उल्लंघन करने को तैयार महिलाएं

सोमवार को 150 महिलाएं भूमाता ब्रिगेड के बैनर तले महाराष्ट्र के नासिक जिले के प्रसिद्ध त्र्यंबकेश्वर मंदिर के लिए रवाना हो गईं हैं. इन महिलाओं का इरादा भगवान शिव के मंदिर के गर्भगृह में महिला श्रद्धालुओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को तोड़ने का है.

त्र्यंबकेश्वर मंदिर त्र्यंबकेश्वर मंदिर
सबा नाज़
  • पुणे,
  • 07 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 3:31 PM IST

पूजा स्थलों पर लैंगिक भेदभाव के खिलाफ अभियान को तेज करते हुए लगभग 150 महिलाएं सोमवार को भूमाता ब्रिगेड के बैनर तले महाराष्ट्र के नासिक जिले के प्रसिद्ध त्र्यंबकेश्वर मंदिर के लिए रवाना हो गईं. इन महिलाओं का इरादा भगवान शिव के मंदिर के गर्भगृह में महिला श्रद्धालुओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को तोड़ने का है.

तृप्ति देसाई के नेतृत्व वाले इस संगठन ने 26 जनवरी को अहमदनगर जिले के शनि शिंगणापुर मंदिर में लागू ऐसे ही प्रतिबंध को तोड़ने का हंगामेदार प्रयास किया था. तृप्ति ने लैंगिक न्याय के इस अभियान को जारी रखने का संकल्प लिया था.

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मंदिर की सुरक्षा कड़ी की गई
अपने इस अभियान को अंजाम देने के लिए महाशिवरात्रि का मौका चुनते हुए इस संगठन ने अधिकारियों से कहा है कि वे पिछले मार्च की तरह इस मार्च में उनका रास्ता न रोकें. यह प्राचीन मंदिर नासिक से 30 किलोमीटर दूर स्थित त्रिंबक शहर में है. मंदिर में भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक ज्योर्तिलिंग है. देशभर में जारी आतंकी अलर्ट के कारण और महाशिवरात्रि के त्यौहार पर लाखों श्रद्धालुओं के आगमन के कारण इस मंदिर की सुरक्षा चाकचौबंद कर दी गई है.

मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश को लेकर ब्रिगेड आश्वस्त
मंदिर के ‘गर्भगृह’ में महिलाओं के प्रवेश की वकालत करने की अपनी योजना के तहत भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति लगभग 150-175 कार्यकर्ताओं के साथ पुणे से रवाना हो गई हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था कि पिछले अभियान की तरह इस बार उनकी सदस्यों को रास्ते में पकड़ा न जाए. तृप्ति ने बताया, 'चूंकि मुख्यमंत्री ने शनि शिंगणापुर के मुद्दे पर हमारा समर्थन किया था, ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि हमें आज रोका नहीं जाएगा और हमें ‘गर्भगृह’ में प्रवेश करने दिया जाएगा.'

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कुछ संगठन करेंगे महिलाओं के प्रवेश का विरोध
पुलिस उप अधीक्षक प्रवीण मुंडे ने कहा, 'हमने अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है और इस शहर में कानून-व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने के लिए भूमाता बिग्रेड के कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए अवरोधक भी लगाए हैं.' इस बीच, दक्षिण पंथी संगठन महिला दक्षता समिति, शारदा महिला मंडल, पुरोहित संगठन आदि एकजुट हो गए हैं और उन्होंने इन कार्यकर्ताओं को मंदिर पहुंचने से पहले रोकने का फैसला किया है.

मंदिर में महिलाओं के प्रवेश न करने का वैज्ञानिक कारण
त्र्यंबकेश्वर मंदिर न्यास के सदस्य कैलाश घूले ने कहा कि गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध वर्षों पुरानी परंपरा है. इसे हाल में लागू नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि पुरूषों को भी रोजाना सुबह छह बजे से सात बजे तक मुख्य पूजास्थल पर जाने नहीं दिया जाता. परंपरा के मुताबिक, सिर्फ पुरूषों को ही उस क्षेत्र में जाने की अनुमति है, जहां मुख्य ‘लिंग’ विद्यमान है. वहां तक जाने के लिए भी पुरूषों को एक विशेष सोवाला (रेशमी कपड़ा) पहनना पड़ता है. इस परंपरा की वैज्ञानिक वजह बताने की कोशिश करते हुए उन्होंने कहा कि मूल स्थान पर कुछ किरणें एकत्र होती हैं, जो महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं.

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