
महाराष्ट्र की सियासत में बड़े उलटफेर की सुगबुगाहट दिख रही है. शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी की सरकार बनने और महाराष्ट्र की सत्ता से बीजेपी के दूर होते ही पार्टी के अंदर बगावत के स्वर उठने लगे हैं. महाराष्ट्र में बीजेपी का ओबीसी चेहरा माने जाने एकनाथ खड़से और पंकजा मुंडे ने चुनावी के बाद से बागी रुख अख्तियार कर लिया है तो विनोद तावड़े खामोशी अख्तियार किए हुए हैं. इसने महाराष्ट्र बीजेपी की टेंशन को बढ़ा दिया है और पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुट गई है.
खड़से के बागी रुख से बीजेपी परेशान
बीजेपी का ओबीसी चेहरा माने जाने वाले एकनाथ खड़से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद से ही पार्टी के कुछ नेताओं को लेकर लगातार अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. उन्होंने रविवार को कहा था कि अगर पार्टी में मेरा अपमान जारी रहता है तो मुझे दूसरे विकल्पों पर विचार करना होगा. खड़से ने यह भी दावा किया था कि बीजेपी प्रत्याशी पंकजा मुंडे और रोहिणी खड़से की हार के लिए बीजेपी के ही कुछ नेता और कार्यकर्ता जिम्मेदार हैं.
बीजेपी नेता एकनाथ खड़से ने मंगलवार को शिवसेना सुप्रीमो और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की. खड़से ने सीएम साथ करीब 40 मिनट बिताए. इससे पहले वह सोमवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार से भी मुलाकात कर चुके हैं. इतना ही नहीं खड़से बीजेपी से नाराज चल रही पंकजा मुंडे के साथ भी मीटिंग कर चुके हैं.
बता दें कि चुनाव से पहले टिकट बंटवारे के दौरान भी एकनाथ खड़से नाराज हो गए थे और निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन दाखिल कर दिया था. इसके बाद पार्टी ने उनकी बेटी रोहिणी खड़से को मुक्ताईनगर सीट से टिकट दिया था, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी चंद्रकांत निम्बा पाटिल से उन्हें 1957 मतों से हार का सामना करना पड़ा. यही वजह है कि विपक्षी दलों के नेताओं के साथ खड़से की मुलाकात के सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं.
पंकजा मुंडे का कल शक्ति प्रदर्शन
महाराष्ट्र बीजेपी के कद्दावर नेता रहे गोपीनाथ मुंडे की राजनीतिक विरासत संभाल रहीं पंकजा मुंडे ने अपने चचेरे भाई और एनसीपी नेता धनंजय मुंडे को हाथों परली सीट से चुनाव हार के बाद से बागी रुख अख्तियार किए हुए हैं. पंकजा मुंडे 12 दिसंबर को अपने पिता गोपीनाथ मुंडे की जयंती पर महाराष्ट्र की सियासत में अपनी राजनीतिक ताकत दिखाना चाहती हैं, जिसमें वह कोई बड़ा सियासी फैसला ले सकती हैं. उनके समर्थकों का आरोप है कि ओबीसी वर्ग और पार्टी में नेतृत्व खत्म करने के लिए बीजेपी के कुछ नेताओं ने ही पंकजा मंडे को चुनाव में हराया.
पंकजा ने फेसबुक पोस्ट लिखकर सियासी सरगर्मी बढ़ा दी थी. उन्होंने लिखा था, 'बदले राजनीतिक माहौल को देखते हुए यह सोचने की जरूरत है कि आगे क्या किया जाए? अपनी शक्ति पहचानने की जरूरत है. मुझे स्वयं से बात करने के लिए 8-10 दिनों की जरूरत है.' इसी के साथ उन्होंने अपने ट्विटर प्रोफाइल से 'बीजेपी' का टैग भी हटा दिया था. इसके बाद से वह बीजेपी में सक्रिय नहीं हैं. मंगलवार को बीजेपी कोर कमेटी की बैठक से भी पंकजा मुंडे नदराद रहीं.
बीजेपी डैमेज कंट्रोल में जुटी
भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार के बताया कि हमने पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में एकनाथ खड़से के साथ विचार-विमर्श करने का निर्णय लिया, उनकी चिंताओं पर ध्यान दिया जाएगा. बीजेपी के खिलाफ काम करने वाले कार्यकर्ताओं को लेकर खड़से जी ने कुछ सबूत सौंपे हैं. जिसने भी पार्टी के खिलाफ काम किया है उसे निष्कासित कर दिया जाएगा.
महाराष्ट्र की सियासत में पंकजा मुंडे और एकनाथ खड़से की पूर्व सीएम फडणवीस के बीच छत्तीस के आंकड़े माने जाते हैं. वहीं, ओबीसी वर्ग के कद्दावर नेता माने जाने वाले विनोद तावड़े टिकट कटने के बाद से खामोश हैं, जिनसे हाल ही में एकनाथ खड़से ने मुलाकात की है. माना जा रहा है कि इन तीनों ओबीसी नेताओं के बीच कोई सियासी खिचड़ी पक रही है.
महाराष्ट्र में बीजेपी तीन ओबीसी साइड लाइन
दरअसल महाराष्ट्र में गोपीनाथ मुंडे, एकनाथ खड़से और विनोद तावड़े की वजह से बीजेपी को ओबीसी समुदाय में पैठ बनाने में कामयाबी मिली, लेकिन बदकिस्मती से 2014 में एक कार हादसे में मुंडे का निधन हो गया. इसके बाद उनकी बेटी पंकजा और प्रीतम ने उनकी विरासत को संभाला. 2014 में महाराष्ट्र में जब बीजेपी ने सरकार बनाई तो पंकजा मुंडे, एकनाथ खड़से और विनोद तावड़े भी मंत्री बने. लेकिन ये तीनों ओबीसी नेता अलग-अलग कारणों से महाराष्ट्र की सियासत के सीन से फिलहाल किनारे कर दिए गए हैं. एकनाथ खड़से और तावड़े को पार्टी ने जहां टिकट नहीं दिया तो वहीं पंकजा मुंडे चुनाव हार गईं.
महाराष्ट्र की राजनीति के मौजूदा परिदृश्य पर नजर डालें तो बीजेपी के पास ओबीसी कैटेगरी का कोई बड़ा नेता नहीं दिखता है. लेकिन बीजेपी ओबीसी के इतने बड़े वोटबैंक को बिना नेतृत्व के नहीं छोड़ सकती है. इसीलिए बीजेपी ने खड़से और पंकजा मुंडे को मनाने के लिए सुधीर मुनगंटीवार और भूपेंद्र यादव को लगाया है. ऐसे में देखना है कि बीजेपी के ओबीसी चेहरे कौन सा सियासी कदम उठाते हैं.