
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी-शिवसेना के बीच मचे घमासान ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार को किंगमेकर बना दिया है. शिवसेना और एनसीपी के बीच नए सिरे से पक रही सियासी खिचड़ी से बीजेपी खेमा चिंतित नजर आ रहा है. हालांकि बीजेपी लगातार सरकार बनाने का दावा कर रही है. ऐसे में महाराष्ट्र की सत्ता किसके हाथ में होगी, इसकी तस्वीर शरद पवार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के मुलाकात के बाद साफ हो जाएगी.
बता दें कि महाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना और बीजेपी के बीच जारी शह और मात के खेल में शरद पवार की भूमिका बेहद अहम हो गई है. यही वजह है कि शिवसेना भी एनसीपी से हाथ मिलाने के लिए बेताब है. शिवसेना नेताओं ने एनसीपी के प्रमुख शरद पवार से मुलाकात भी की है. माना जा रहा है शिवसेना ने शरद पवार के सामने एनसीपी के समर्थन से सरकार बनाने का प्रस्ताव रखा है. हालांकि इसके बावजूद एनसीपी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं.
महाराष्ट्र के सियासी संग्राम के बीच शरद पवार सोमवार को सोनिया गांधी से मुलाकात होगी. माना जा रहा है कि इस बैठक में पवार-सोनिया के बीच महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम पर विचार विमर्श हो सकता है. इसके बाद ही शरद पवार अपने पत्ते खोलेंगे.
दरअसल विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने 56 और बीजेपी ने 105 सीटों पर जीत दर्ज की. जबकि एनसीपी को 54, कांग्रेस को 44 और अन्य को 29 सीटें मिली हैं. चुनावी नतीजे के बाद से ही बीजेपी और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर गतिरोध बना हुआ है. महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को खत्म हो रहा है. लेकिन सीएम पद पर फंसे पेच के चलते मामला अभी तक अटका हुआ है.
ऐसे में एनसीपी के ऐसे स्टैंड पर सभी की निगाहें हैं. एनसीपी कभी शिवसेना का साथ देने का संकेत देती है तो कभी विपक्ष में बैठने का. लेकिन राजनीति के माहिर खिलाड़ी शरद पवार किस मौके पर कौन सा दांव खेलेंगे इस पर सभी की निगाहें हैं.
शिवसेना सरकार कांग्रेस-एनसीपी की बदौलत ही बना सकती है. इस तरह से अगर एनसीपी शिवसेना के साथ खड़ी होती है तो उसे कांग्रेस के समर्थन की भी जरूरत होगी. शिवसेना और एनसीपी के मिलने के बाद 110 का आंकड़ा पहुंचता है, लेकिन बहुमत के लिए 145 विधायकों की संख्या होनी चाहिए. ऐसे स्थिति में कांग्रेस की रणनीति पर लोगों की नजर होगी.
एनसीपी विपक्ष में बैठने पर कायम रहती है तो फिर बीजेपी के सरकार बनने का रास्ता साफ हो जाएगा. यही नहीं अगर एनसीपी 2014 की रणनीति भी अपनाती है तो भी बीजेपी की सरकार आसानी से बन सकती है. देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर सरकार बनाएं और विश्वासमत के समय 54 सीटों वाली एनसीपी सदन वॉकआउट कर जाए तो बीजेपी आसानी से अपना बहुमत सिद्ध कर ले जाएगी. एनसीपी ने 2014 में विश्वासमत के समय यही किया था.