
महाराष्ट्र में स्कूली बच्चों की एक किताब में 'यौन इच्छा', 'कौमार्य' जैसे शब्द पाए जाने पर अभिभावकों ने हंगामा खड़ा कर दिया. इस मामले में राज्य की बीजेपी सरकार को भी घेरा जा रहा है. विपक्षी दलों ने इस किताब की पाठ्यसामग्री को आपत्तिजनक और बच्चों के लिए बिल्कुल अनुपयुक्त बताया है.
असल में महाराष्ट्र के सरकारी स्कूलों में पहली से लेकर चौथी क्लास तक के बच्चों के लिए सप्लीमेंटरी रीडिंग की एक किताब 'बाल नचिकेता' पढ़ाई जाती है. इस किताब को स्कूलों की पुस्तकालयों के लिए खरीदा गया है. इस किताब में कई पौराणिक कहानियां दी गई हैं.
विपक्ष के अनुसार इस पुस्तक में 'कौमार्य भंग होने', 'शारीरिक सुख', 'यौन इच्छा' जैसे शब्द इस्तेमाल किए गए हैं, जो बच्चों के लिहाज से बिल्कुल अनुपयुक्त है. इस किताब की एक कहानी में दिया गया वाक्य है- 'पहले कई ऐसे उदाहरण पाए जाते हैं, जब राजाओं और देवताओं ने शादी के बिना भी शारीरिक सुख हासिल किए.'
एक और कहानी के अनुसार मत्स्यगंधा ऋषि पराशर से कहती हैं, 'हे ऋषि यदि मेरा कौमार्य भंग हो तो भी क्या आप मुझे स्वीकार करेंगे?'
इसकी कहानी में कुछ अन्य पंक्तियां इस प्रकार हैं-उसके शरीर की लचक देखकर ऋषि पराशर के अंदर काम इच्छा जाग उठी.', 'उन्होंने कामातुर होकर उसका हाथ पकड़ लिया.'
घपले का भी आरोप
कहानी यहीं खत्म नहीं होती. विपक्ष का यह भी आरोप है कि यह किताब बाजार में महज 20 रुपये में उपलब्ध है, लेकिन इसे स्कूल के पुस्तकालयों के लिए 50 रुपये में खरीदा गया है. आरोप यह भी है कि इस पुस्तक का प्रकाशक 'भारतीय विचार साधना' राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का करीबी है.
महाराष्ट्र का शिक्षा विभाग इसके पहले भी कई बार विवाद में पड़ चुका है. पिछले साल विभाग ने इतिहास की ऐसी किताबें लाई थीं, जिनमें मुगलों से पहले के मुस्लिम शासकों का कोई उल्लेख ही नहीं था.