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गुम हो गया महाराष्ट्र का ब्रैंड एम्बेसडर 'जय', सुराग देने वाले को मिलेंगे 50 हजार रुपये

'जय' के गुम होने से महाराष्ट्र और छत्तीसगढ की पुलिस और दोनों राज्यों के वन विभागों के कर्मचारियों की नींद उड़ी हुई है. 'जय' है कौन? ये एक बाघ का नाम है. बाघ भी ऐसा-वैसा नहीं बल्कि महाराष्ट्र का ब्रैंड एम्बेसडर

जय जय
मोनिका शर्मा/सुनील नामदेव/खुशदीप सहगल
  • रायपुर,
  • 13 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 11:35 PM IST

'जय' के गुम होने से महाराष्ट्र और छत्तीसगढ की पुलिस और दोनों राज्यों के वन विभागों के कर्मचारियों की नींद उड़ी हुई है. 'जय' है कौन? ये एक बाघ का नाम है. बाघ भी ऐसा-वैसा नहीं बल्कि महाराष्ट्र का ब्रैंड एम्बेसडर. 'जय' महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में स्थित ताडोबा टाइगर रिजर्व से बीते दो महीने से लापता है. 'जय' की खोज में दोनों राज्यों की पुलिस और वन विभागों का अमला लगा हुआ है.

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सुराग देने पर 50 हजार का इनाम घोषित
'जय' का कोई सुराग नहीं मिलने पर अब नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी (NTCA) ने विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है. साथ ही 'जय' की खबर देने वाले को 50 हजार रुपये काइनाम दने की भी घोषणा की गई है. बताया जा रहा है कि 'जय' का नामकरण मशहूर फिल्म 'शोले' में अमिताभ बच्चन के निभाए किरदार पर किया गया था.

छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा पर हो रही है तलाश
ऐसी संभावना जताई जा रही है कि 'जय' छत्तीसगढ़ की सीमा में दाखिल हो चुका है. मुमकिन है कि उसने बीजापुर, सुकमा, कांकेर और भोपालपट्टनम के वन क्षेत्र में अपना नया ठिकाना बना लिया हो. महाराष्ट्र सरकार ने बस्तर रेंज के वन विभाग के अधिकारियों को अलर्ट जारी कर 'जय' को पकडने की अपील की है. हालत ये है कि वन विभाग की 5 टीमें 'जय' की तलाश में घने जंगल में खाक छान रही है. लेकिन अब तक उसकी भनक भी नहीं लगी है.

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गले में रेडियो कॉलर डिवाइस, बीते दो महीने से नहीं मिला सिग्नल
'जय' के गले में रेडियों कॉलर डिवाइस भी लगी थी. लेकिन बीते दो महीने से कोई रेडियों सिग्नल नहीं मिल रहे है. इस साल अप्रैल के आखिरी हफ्ते तक 'जय' ताडोबा के जंगल में ही था. फिर वो छह महीने तक आस-पास के जंगलों में भटकता रहा. कभी कभार उसकी मौजूदगी के सिग्नल भी वन विभाग के कंट्रोल रूम को मिलते रहे. लेकिन बीते दो महीने से पूरी चुप्पी छाई हुई है.

कहीं नक्सलियों के हाथ तो नहीं चढ़ गया 'जय'?
'जय' की तलाश में वन विभाग के अधिकारियों ने कई शिकारियों को पकडकर पूछताछ की. गांवों में संदिग्धों के घरों पर छापे मारे लेकिन 'जय' का कुछ पता नहीं चल सका. अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि 'जय' कही नक्सलियों के हाथ तो नहीं चढ़ गया. या शिकारियों ने उसका शिकार कर सबूत भी मिटा दिए हैं. बहरहाल, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा पर वन क्षेत्र में 'जय' की तलाश में दिन-रात एक किए जा रहे हैं.

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