
हरियाणा-महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव का जैसे-जैसे परवान चढ़ रहा है वैसे-वैसे बीजेपी-शिवसेना के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं तो कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. दोनों राज्यों में कांग्रेस के टिकट वितरण को लेकर हरियाणा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व मुंबई अध्यक्ष संजय निरुपम ने बगावत का का झंडा बुलंद कर दिया है. ऐसे में इन दोनों नेताओं ने पहले से ही बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस पार्टी की परेशानी को और भी बढ़ा दिया है.
दरअसल अशोक तंवर ने टिकट के लिए अपने पांच दर्जन समर्थकों की सूची कांग्रेस हाईकमान को सौंपी थी, जिसे पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है. तंवर चाह रहे थे कि पांच साल तक उनके साथ जुड़े रहे समर्थकों को भी टिकट मिले, लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा के चलते उनके एक भी समर्थक को टिकट नहीं मिला. अपने समर्थकों की अनदेखी से नाराज कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया.
अशोक तंवर ने आरोप लगाया कि हरियाणा कांग्रेस अब 'हुड्डा कांग्रेस' बनती जा रही है. उन्होंने दावा किया, 'जिन्होंने पांच साल तक खून-पसीना बहाया, लेकिन टिकट वितरण में उनकी अनदेखी की गई. नेतृत्व भी यही चाहता था लेकिन कुछ लोगों के निहित स्वार्थ हैं, वो नहीं चाहते हैं कि नए लोग आएं. जब बीजेपी मौजूदा विधायकों के टिकट काट सकती है तो हम क्यों नहीं? नाराज अशोक तंवर ने हरियाणा में कांग्रेस के लिए प्रचार नहीं करने के संकेत भी दे दिए हैं.
महाराष्ट्र में कांग्रेस पहले से ही अपने वजूद को बचाए रखने की चुनौतियों से गुजर रही थी. ऐसे में कांग्रेस के टिकट वितरण को लेकर महाराष्ट्र कांग्रेस के दिग्गज नेता संजय निरुपम पार्टी से नाराज हो गए हैं और पार्टी छोड़ने की धमकी भी दे दी है. संजय निरुपम ने कहा कि मैंने एक उम्मीदवार की सिफारिश की थी, लेकिन उसे भी टिकट नहीं दिया गया है.
संजय निरुपम ने कहा, 'ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी अब मेरी सेवाएं नहीं चाहती है. मैंने विधानसभा चुनाव के लिए मुंबई में सिर्फ एक नाम की सिफारिश की थी. सुना है कि इसे भी खारिज कर दिया गया है. जैसा कि मैंने पहले नेतृत्व को बताया था, उस स्थिति में मैं चुनाव प्रचार में भाग नहीं लूंगा. यह मेरा अंतिम निर्णय है.' इतना ही नहीं संजय निरुपम ने ट्वी कर लिखा, 'मुझे उम्मीद है कि पार्टी को गुडबाय कहने का वक्त नहीं आएगा, लेकिन, लीडरशिप जिस तरह से मेरे साथ बर्ताव कर रही है, उससे लगता है कि अब वह दिन दूर नहीं है.'
वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी ने हरियाणा और महाराष्ट्र में अपने एक दर्जन विधायकों और कई मंत्रियों तक टिकट काट दिए हैं. हरियाणा में कांग्रेस के कई मंत्री और सांसद अपने परिवार के सदस्यों के लिए टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने इन्हें टिकट नहीं दिया है. इसके बावजूद बीजेपी में किसी तरह की कोई बगावत नहीं देखने को मिली. हालांकि पार्टी के नाराज नेताओं को बीजेपी के बड़े नेताओं ने जरूर मनाने का काम किया. इसी का नतीजा है कि बीजेपी दोनों राज्यों में मजबूती के साथ चुनावी मैदान में नजर आ रही है.
वहीं, कांग्रेस में अपने दोनों रूठे हुए नेताओं को मनाना तो दूर किसी बड़े नेता ने मुलाकात तक नहीं की है. जबकि अशोक तंवर और संजय निरुपम कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं. इतना ही नहीं अपने-अपने राज्यों में इनका अपना आधार भी है. तंवर जहां हरियाणा का दलित चेहरा माने जाते हैं तो निरुपम महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों के बड़े नेता हैं. ऐसे में दोनों नेताओं की बगावत ने कांग्रेस की राह में रोड़ा जरूर खड़ा कर दिया है.