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भारत के लिए श्रीलंका में महिंदा राजपक्षे की जीत के क्या मायने हैं?

महिंदा राजपक्षे के ही भाई गोतबया राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति हैं, ऐसे में दोनों भाइयों की इस वक्त श्रीलंका की राजनीति में तूती बोल रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, महिंदा राजपक्षे (PIB) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, महिंदा राजपक्षे (PIB)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 11:38 AM IST

  • श्रीलंका के प्रधानमंत्री बने महिंदा राजपक्षे
  • पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर दी बधाई

श्रीलंका में हुए संसदीय चुनावों के नतीजे सामने आ गए हैं. महिंदा राजपक्षे एक बार फिर महारथी साबित हुए हैं और उनकी पार्टी को लगभग दो तिहाई बहुमत मिला है. महिंदा राजपक्षे के ही भाई गोतबया राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति हैं, ऐसे में दोनों भाइयों की इस वक्त श्रीलंका की राजनीति में तूती बोल रही है. दोनों भाइयों के हालिया में लिए गए फैसले कई बार श्रीलंका का झुकाव चीन की ओर करते हैं, ऐसे में महिंदा राजपक्षे की जीत का भारत पर क्या असर पड़ सकता है, एक नज़र डालिए...

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किस मुद्दे के दम पर जीत लिया चुनाव?

महिंदा राजपक्षे करीब दस साल तक श्रीलंका के राष्ट्रपति रह चुके हैं, लेकिन पार्टी में विरोध के कारण उनकी कुर्सी चली गई. फिर उनके भाई राष्ट्रपति बन गए और महिंदा खुद प्रधानमंत्री बन गए. इस बार चुनाव में जाते हुए श्रीलंका पोदुजना पार्टी (SLPP) का मुद्दा था संविधान में बदलाव का. जिसमें राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के कार्यकालों की संख्या में बढ़ोतरी, कुछ ऐसे कानून जो पहले से देश में लागू हैं उन्हें बदलने का मसला. इसके अलावा सिंहली, बौद्ध मतदाताओं बनाम मुस्लिम-तमिल मतदाताओं के मसले ने जोर पकड़ा था.

महिंदा राजपक्षे और भारत कहां खड़े हैं?

महिंदा राजपक्षे की पार्टी को शुरुआत से ही चीन की करीबी माना जाता रहा है. उसका सबसे बड़ा मकसद चीन के द्वारा बड़े स्तर पर किया जा रहा निवेश है, जिसे SLPP ने अपने देश में विकास के मॉडल के रूप में पेश किया. और मतदाताओं को यकीन दिला दिया कि बाहरी निवेश से श्रीलंका की सूरत बदल सकती है. श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे ने कुछ वक्त पहले भारत के साथ बंदरगाह को लेकर हुए समझौते की समीक्षा करने का आदेश दिया था, तब महिंदा अंतरिम प्रधानमंत्री थे और उन्होंने इसका खुले तौर पर साथ दिया था. इसके अलावा ईस्टर के वक्त चर्च में हुए हमले पर भी श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने भारत विरोधी बयान दिए थे.

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चीन और श्रीलंका...

चीन लगातार हिन्द महासागर में अपनी पैठ तेज कर रहा है, साथ ही कई मोर्चों पर भारत को घेरने की योजना बना रहा है. फिर चाहे पाकिस्तान में बढ़ता निवेश हो, बांग्लादेश में पैर जमाने की कोशिश हो या फिर नेपाल को डराना धमकाना हो.

इसी तरह चीन ने बंदरगाहों के रास्ते श्रीलंका में निवेश बढ़ाया है. चीन के इसी निवेश के लालच में आकर राजपक्षे बंधुओं की सरकार ने भारत-ऑस्ट्रेलिया-जापान-अमेरिका से संबंध वाले कई प्रोजेक्टों से किनारा किया, हिन्द महासागर में चीन को अपनी ओर आने की इजाजत दी. हालांकि, श्रीलंका भी लगातार कर्ज के तले दबता जा रहा है और कुल कर्ज का करीब दस फीसदी हिस्सा चीन से ही है.

श्रीलंका में और मजबूत हुए राजपक्षे बंधु, संसदीय चुनाव में महिंदा की पार्टी को बहुमत

ऐसे में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिंदा राजपक्षे को जीत के बाद सबसे पहले बधाई दी. अब देखना होगा कि दोनों देशों के बीच आगे के संबंध किस तरह आगे बढ़ते हैं. क्योंकि भारत और चीन के बीच लगातार संबंध बिगड़े हैं और उनका असर पड़ोसी मुल्कों के साथ भी संबंधों पर असर पड़ा है.

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