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हाई कोर्ट ने कहा- केंद्र ही है दिल्ली का 'बॉस', जानें जजमेंट की 12 खास बातें

दिल्ली सरकार और राज्यपाल के बीच अधिकारों के विवाद को लेकर चल रही लड़ाई पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 194 पेज का जजमेंट दिया है. ये हैं इस फैसले की खास बातें.

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सबा नाज़/पूनम शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 04 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 10:45 AM IST

दिल्ली सरकार और राज्यपाल के बीच अधिकारों के विवाद को लेकर चल रही लड़ाई पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 194 पेज का जजमेंट दिया है. ये हैं इस फैसले की खास बातें.

1. आर्टिकल 239 ए के मुताबिक दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है.

2. संविधान के अनुच्छेद 239 एए के बाद भी दिल्ली का केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा बरकार.

3. दिल्ली के उपराज्यपाल दिल्ली मंत्रिमंडल की सलाह और फैसले मानने के लिए बाध्य नहीं.

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4. दिल्ली सरकार अगर कोई भी फैसला लेती है तो उसे राज्यपाल की अनुमति लेना आवश्यक है.

5. अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले का अधिकार केंद्र सरकार के पास और दिल्ली सरकार के क्षेत्राधिकार से बाहर.

6. केंद्र का 21 मई 2015 का नोटिफिकेशन सही है. एसीबी को लेकर केंद्र सरकार का 23 जुलाई 2014 का नोटिफिकेशन सही. जिसमें एसीबी को केंद्रीय कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई न करने की बात कही गयी थी.

7. एसीबी को दिल्ली सरकार के अधीन नहीं बताया गया था.

8. दिल्ली सरकार ने CNG फिटनेस स्कैम और डीडीसीए में हुए वित्तीय घोटाले को लेकर बनाई गई जांच कमिटी अवैध है. क्योंकि उपराज्यपाल की सहमति इसमें नहीं ली गई.

9. दिल्ली सरकार द्वारा तीनों बिजली कंपनी में नॉमिनी निदेशकों की नियुक्ति अवैध है.

10. दिल्ली सरकार का 12 जून 2015 का डीइआरसी को दिया गया निर्देश अवैध और असंवैधानिक है. जिसमें कहा गया था कि बिजली कटौती होने पर उपभोक्ताओं को मुआवजा दिया जाएगा.

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11. दिल्ली सरकार का 4 अगस्त 2015 का कृषि जमीन का सर्कल रेट बढ़ाने का फैसला अवैध.

12. हालांकि सीआरपीसी में एलजी को विशेष पब्लिक प्रॉसीक्यूटर नियुक्त करने का अधिकार है, इस शक्ति का इस्तेमाल मत्रिमंडल की सलाह से होना चाहिए.

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