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पाकिस्तान की गीदड़ भभकी पर बोले रक्षामंत्री, 'हम भी कह सकते हैं गन का मुंह उधर घुमा दो'

एजेंडा आज तक 2014 मंच पर बोलते हुए रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि पाकिस्तान की हरकतों पर ईंट का जवाब पत्थर से देने की जरूरत है. रणनीति में ये कॉन्सेप्ट रहेगा. हालांकि यही सॉल्यूशन नहीं है और भी रास्ते हैं जिन पर सरकार काम कर रही है.

Manohar Parrikar Manohar Parrikar
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 दिसंबर 2014,
  • अपडेटेड 2:13 PM IST

एजेंडा आज तक 2014 मंच पर बोलते हुए रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि पाकिस्तान की हरकतों पर ईंट का जवाब पत्थर से देने की जरूरत है. रणनीति में ये कॉन्सेप्ट रहेगा. हालांकि यही सॉल्यूशन नहीं है और भी रास्ते हैं जिन पर सरकार काम कर रही है. पाकिस्तान के खिलाफ मोदी सरकार का एक्शन जानने के लिए वहां के अखबार देखिएः अमित शाह

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रक्षामंत्री ने कहा कि नौगांव में 14 हजार फीट पर मार गिराया था, वो भी इसी साल आपने देखा. मैंने वो तस्वीरें नहीं देखी पर वहां तैनात जवानों के पास अच्छे उपकरण हों, हथियार हों, बूट हों, ताकि वो भारी बर्फ में काम करते समय परेशानी ना हो. लोग कभी कमांड के बारे में शिकायत नही करते थे. लेकिन बूट के लिये हमेशा कहते थे. समाजवादियों की लड़ने की आदत है, 22 से हल्ला बोलेंगेः लालू

उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि जो जवान सीमा पर लड़ते हैं, उन्हें राहत हो. मैं पाक से अपनी सेना की तुलना नहीं करता. पाक को लेकर हम जानते हैं कि दबाव की जरूरत है. आप 6 माह बाद खुद देखेंगे. हमने 66 आंतकी हमलों का जवाब दिया. चुनाव के दरम्यान जो हुआ उसमें भी हमने 6 को मार गिराया. हम अगले कदम पर 6 माह बाद दवाब देंगे. हमारे प्रयास चालू है. हमने के लिये अच्छे उपकरण और सहूलियत की बात कर रहे हैं. हम कोशिश कर रहे हैं कि वहां काम करने वाले जवानों को अच्छी सुविधा दें. दोनों के तरफ के अफसर मिलते हैं. कहते हैं सब ठीक है.

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रक्षामंत्री ने कहा, 'मैं प्रधान सेनापति नहीं हूं. वो परमाणु बम की बात करता है, लेकिन हम फुल स्केप वॉर की बात नहीं करते. हम किस तरह से इसका जवाब तकनीकr तौर पर देंगे. इस पर हम भी लो एक्सरसाइज़ कर सकते हैं. हम कह सकते हैं गन का मुंह उधर घुमा दो. अहम है कि कोई भी सुरक्षा अधिकारी अपनी कमजोरी के बारे में नहीं बोल सकता. बोलना भी नही चाहिये. सबसे ज़्यादा लीकेज़ रक्षा मंत्रालय से होती है. मैंने खुद देखा अखबार में. मैं कभी सैनिक की जान देना नहीं चाहता, जब वो गन लोड़ कर रहा हो. गोपालपुर में हो गया, तो मैंने उनसे पूछा किसने कहा था, हम लापरवाही से भी अपना नुकसान करते हैं. देश का अकेला ऐसा रक्षा मंत्री हूं, जिसने 100 घंटे सभी कुछ जानने में बिताया है.

उन्होंने कहा कि जब लोग तकनीक की बात करते हैं, तो मैं सवाल पूछता हूं. इंजीनियर होने का फायदा मिलता है. मुझे पता होता है कि कहां कमजोरी है. कहां गैप है. संसद के बाद आर्डिनेंस फैक्ट्रियों में जाऊंगा. दौरा करूंगा.

सेना में करप्शन के सवाल पर उन्होंने कहा कि केवल ईमानदार रहना हल नहीं है. आसान नहीं है कि आप सवालों से बच कर रहें. इस देश में करप्शन केवल पैसे का ही नहीं, बल्कि मन का भी होता है. आपको गंदगी में जाकर गंदगी साफ करना पड़ता है. एन्थनी की साफ छवि का मतलब ये नहीं कि वो काम भी ऐसा किये.

वन रैंक वन पेंशन के सवाल पर पर्रिकर ने कहा, 'जब आप सेना में भर्ती देखते हैं, तो वहां कोई राजनीतिक एजेन्डा नहीं चलता. कई बार चुनाव में वादे किये जाते हैं, लेकिन मैं भी सभी कर रहा हूँ पूरा प्रेशर डालने वाला हूँ. मेरी कोशिश है कि सारी समस्याओं का हल हो. मैं इस मामले को ज्यादा दिन नहीं खिंचने दूंगा. 80-90 फीसदी तक करने की कोशिश रहेगी. कई बदलाव और सवाल होंगे पर लेकिन 4 से 8 हफ्ते में नतीजे देखने को मिलेंगे.

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योजना के मामले में मैं डिटेल के तौर पर जान रहा हूं, लेकिन सभी जगह हाथ डालकर नहीं होगा. बजट में जो नया डालना होगा. सेना सबसे बड़ी सम्पत्ति है, रक्षा विभाग की. उनकी समस्याओं का हल करें, तो हम इस प्रीफर करेंगे. वो इतना हैवी अमाउन्ट नहीं होगा. लेकिन निजीकरण से अहम है, उच्चीकरण जिससे हमारे सेना मजबूत होगी.

अपनी सादगी पर उन्होंने कहा, 'मैं इकोनॉमी क्लॉस से जाता हूँ, ताकि सेना के विमान का इस्तेमाल सेना के लिये हो, रक्षा संसाधनों का नुकसान नहीं होना चाहिए. इसकी वजह से ये साबित नहीं होता कि आप अच्छे या बुरे प्रशासक हैं.

सवाल-जवाब का दौर
अरुण पुरी- रक्षा मंत्रालय के दलालों पर आपका क्या कहना है.
ऐसे सैंकड़ों लोग हैं, जिन्होंने रक्षा सौदों में दलाल बनकर बड़ी-बड़ी कोठी बना ली. वो कमीशन पर सवाल है. कोई दलाल और प्रतिनिधि नहीं होना चाहिये. साफ तौर पर पारदर्शी तरीके से भुगतान होना चाहिये. इतने मामले रुके होते हैं कि 2007 के मामले मेरे पास आ रहे हैं. जिन्हें देखकर ताजुब होता है कि जितने फैसले लेट होते हैं, उतना उन्हें मौका मिल जाता है. मैं उन्हें दलाल नहीं प्रतिनिधि कहता हूं. हम इस पर पालिसी बनाने की तैयारी कर रहे हैं. हम बैन करने के साथ साथ उन पर आर्थिक दंड लगाने की बात भी सोच रहे हैं. अगर कोई एग्रीमेन्ट का उल्लघंन करने पर भारी दंड होना चाहिये, ताकि वो कुछ भी गलत करने से पहले सौ बार सोचे. अगर आपने उल्लघंन किया है, तो 4 या 5 गुना पेनाल्टी लगा दो. उनके ऊपर सुझाव भी लेंगे. जनवरी तक इस पर नीति की योजना है. ब्लैक लिस्ट करने पर भी सोचेंगे.

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अमर सिंह का सवाल, रक्षा मंत्रालय में रक्षा सौदों में शामिल होना चाहिये?
जवाबः मैं काजल की कोठरी में जाने से नहीं डरता. मैं बाहर आ जाऊँगा. रक्षा सौदों में मैने कई मामलों में पूछताछ की है. मैं फाइलों पर लिखे रिमार्क पढ़ता हूँ. किसी भी मामले को जज करते समय ध्यान रखता हूँ. आलोचक कुछ भी कह सकता. लेकिन मैं अपने फैसले लेने से नहीं डरता.

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