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केंद्र की दलील, 'सनक के चलते मारा गया बाघ के बाड़े में कूदने वाला मकसूद'

केंद्रीय प्राणिउद्यान प्राधिरकण की ओर से नियुक्त एक समिति ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश की. सफेद बाघ का शिकार बने 22 साल के मकसूद की मौत के लिए केंद्र सरकार ने उसे ही जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उसने चेतावनी नहीं मानी और दुर्घटनावश बाड़े में जा गिरा.

23 सितंबर 2014 को सफेद बाघ के हमले के बाद मारा गया था मकसूद 23 सितंबर 2014 को सफेद बाघ के हमले के बाद मारा गया था मकसूद
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 अक्टूबर 2015,
  • अपडेटेड 3:25 PM IST

अब से ठीक एक साल पहले 2 मिनट 26 सेकेंड के वीडियो ने पूरे देश को चौंका दिया. दिल्ली के चिड़ियाघर में विजय नाम के एक सफेद बाघ ने बाड़े के अंदर अपने जबड़ों से एक शख्स को मौत दे दी. लेकिन सवाल ये उठा कि मकसूद नाम के इस शख्स की मौत का असली जिम्मेदार कौन है? सफेद बाघ, खुद मकसूद या फिर चिड़ियाघर प्रशासन?

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वीडियो: सफेद बाघ ने इस तरह दबोच ली थी मकसूद की गर्दन

अपनी सनक के चलते ही मारा गया था मकसूद: केंद्र
केंद्रीय प्राणिउद्यान प्राधिरकण की ओर से नियुक्त एक समिति ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश की. सफेद बाघ का शिकार बने 22 साल के मकसूद की मौत के लिए केंद्र सरकार ने उसे ही जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उसने चेतावनी नहीं मानी और दुर्घटनावश बाड़े में जा गिरा. रिपोर्ट में कहा गया है कि चिड़ियाघर के कर्मचारियों ने मौजूद परिस्थितियों में अपनी सर्वश्रेष्ठ कोशिश की. केंद्र सरकार के वकील जसमीत सिंह की ओर से दाखिल की गई रिपोर्ट के मुताबिक समिति का मानना है कि मकसूद बाघों के प्रति अपनी सनक के चलते ही दुर्घटनावश बाड़े में गिर गया.

मकसूद की पत्नी की याचिका पर रिपोर्ट तैयार
गौरतलब है कि यह रिपोर्ट मृतक की पत्नी द्वारा दायर याचिका पर सौंपी गई. उसने दावा किया था कि सरकार को लापरवाही और सुरक्षा चूक को लेकर मुआवजा देना चाहिए. उसने 50 लाख रुपये का मुआवजा मांगा था.

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रिपोर्ट में चिड़ियाघर की सुरक्षा खामियां उजागर
हालांकि हाईकोर्ट में पेश हुई इस रिपोर्ट में मकसूद की मौत के लिए चिड़ियाघर प्रशासन को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया गया है. लेकिन दूसरी ओर इस रिपोर्ट ने चिड़ियाघर की सुरक्षा खामियों को भी उजागर कर दिया है. हादसे की जांच के लिए बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सुरक्षा को चाकचौबंद करने के लिए कई सुझाव दिए हैं. मसलन कर्मचारियों को ऐसी घटनाओँ के लिए ट्रेनिंग और समय समय पर मॉक ड्रिल और इमरजेंसी अलार्म लगाने कीप्रैक्टिस करनी चाहिए.

2 दिसंबर से पहले हलफनामा दाखिल करने का आदेश
कोर्ट ने ने केंद्र को आपदा प्रबंधन के लिए किसी समिति का गठन होने की जानकारी देते हुए एक हलफनामा दो दिसंबर से पहले सौंपने को कहा है।

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