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फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग ने कंपनी की विवादास्पद फ्री बेसिक्स इंटरनेट सेवा का सोमवार को एक बार फिर बचाव करते हुए कहा कि यह पहल नेट निरपेक्षता की रक्षा करती है.
जकरबर्ग ने फ्री बेसिक्स को व्यक्तिगत स्तर पर बढ़ावा देने के लिए एक वीडियो जारी किया है. फेसबुक की प्रस्तावित फ्री बेसिक्स योजना में शिक्षा, हेल्थकेयर और रोजगार जैसी सेवाएं अपने मोबाइल फोन पर उस एप के जरिए फ्री (बिना किसी डेटा योजना के) हासिल कर सकते हैं. जो इस प्लेटफॉर्म के लिए विशेष रूप से बनाया गया है.
फ्री बेसिक्स में उपयोक्ता कुछ वेबसाइटें नि:शुल्क खोल सकते हैं लेकिन इसके साथ ही यह पहल यूट्यूब, जीमेल, गूगल या ट्विटर आदि बाकी वेबसाइटों की अनुमति नहीं देती. आलोचकों ने कंपनी की इस पहल को नेट निरपेक्षता के सिद्धांत का कथित उल्लंघन बताया है.
वीडियो पोस्ट में जकरबर्ग ने कहा है, 'हमारा मानना है कि कनेक्टिविटी एक मानवाधिकार है. दुनिया के लिए कनेक्टिविटी हासिल करना हमारी पीढ़ी के लिए बुनियादी चुनौतियां हैं. लोग जब कनेक्टेड होंगे तो हम बहुत कुछ अच्छी चीजें कर सकते हैं.' उन्होंने यह भी कहा है कि कनेक्टिविटी कुछ धनी और सक्षम लोगों का विशेषाधिकार नहीं बना रह सकता है. इसे ऐसा होना चाहिए कि सभी इसका फायदा उठाएं.
वहीं एक दैनिक में अपने आलेख में जकरबर्ग ने फ्री बेसिक्स की तुलना एक पुस्तकालय से की है. जिसमें हेल्थकेयर और शिक्षा सहित कुछ ही विषय की किताबें हैं. इसमें उन्होंने लिखा है, 'सभी उन सूचनाओं और टूल्स तक पहुंचने की पात्रता रखते हैं जो कि उन्हें उन अन्य सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंचने में मददगार हो सकते हैं. हर कोई फ्री बेसिक्स इंटरनेट सेवाओं का फायदा उठाने की पात्रता रखता है.'
उल्लेखनीय है कि दूरसंचार नियामक ट्राई ने रिलांयस कम्युनिकेशंस से इस सेवा (फ्री बेसिक्स) को अस्थाई तौर पर स्थगित रखने को कहा है. रिलायंस कम्युनिकेशंस भारत में फेसबुक की फ्री बेसिक्स पहल की भागीदार है.